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    यूपी में अपात्रों को बांटे 9.52 करोड़, 11 लाख पात्र लिस्ट से बाहर; पीएम आवास योजना ग्रामीण को लेकर बड़ा खुलासा

    Updated: Wed, 24 Dec 2025 06:18 PM (IST)

    भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (CAG) की रिपोर्ट में प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण के कार्यान्वयन में कई खामियां पाई गई हैं। 1838 अपात्र लाभार्थ ...और पढ़ें

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    राज्य ब्यूरो, लखनऊ। भारत के लेखा महापरीक्षक (सीएजी) की विधानमंडल में पेश की गई रिपोर्ट में प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण के क्रियान्वयन में कई खामियों पर सवाल उठाए हैं। अप्रैल 2017 से मार्च 2023 तक की लेखापरीक्षा की रिपोर्ट के अनुसार एक तरफ 1838 अपात्रों को 9.52 करोड़ रुपये की धनराशि जारीकर दी गई। वहीं दूसरी तरफ 11.35 लाख पात्र लाभार्थियों को स्थायी प्रतीक्षा सूची से बाहर कर दिया गया। सीएजी का कहना है कि लगभग 53 प्रतिशत आपत्तियां एक से छह साल बाद भी अनिस्तारित हैं।

    प्रधानमंत्री आवास योजना में ग्रामीण विकास विभाग को मार्च 2024 तक 36.15 लाख आवास के निर्माण का लक्ष्य दिया गया था। अप्रैल 2017 से मार्च 2023 तक की लेखापरीक्षा में पाया गया कि स्वीकृत 34.71 लाख आवास में से 34.18 लाख (लगभग 98.47 प्रतिशत) का निर्माण मार्च 2024 में पूरा हो गया था।

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    इस दौरान लाभार्थियों के सत्यापन में सावधानी न बरतने के कारण नमूना जांच किए गए जिलों में 1838 अपात्र लाभार्थियों को 9.52 करोड़ रुपये की धनराशि जारी कर दी गई थी। इसकी जानकारी होने के बावजूद इसमें से 2.62 करोड़ रुपये सितंबर 2024 तक वसूल नहीं किए जा सके हैं। इसके अलावा वर्ष 2017 से 2020 मे संदिग्ध साइबर अपराध के कारण 159 लाभार्थियों को दिए जाने वाले 86.20 लाख रुपये अन्य व्यक्तियों के खाते में ट्रांसफर हो गए। यह मामला भी अक्टूबर 2024 तक अनिर्णीत पड़ा रहा।

    सीएजी के अनुसार ग्रामीण विकास मंत्रालय के सलाह के बाद योजना से बाहर रह गए परिवारों की पहचान कराई गई थी। मार्च 2024 में आवास प्लस सर्वेक्षण में ऐसे परिवारों की 33.64 लाख थी, लेकिन स्थायी प्रतीक्षा सूची में 22.29 लाख लाभार्थियों को ही जगह दी गई। रिपोर्ट में सवाल उठाया गया है कि सर्वेक्षण में लाभार्थियों की पहचान के बाद एक बड़े हिस्से को स्थायी प्रतीक्षा सूची से बाहर रखा जाना, या तो सर्वेक्षण में गलतियों के कारण हुआ या फिर आंकड़ों में गड़बड़ी के कारण पात्र परिवारों को बाहर रखा गया।

    ग्रामीण विकास विभाग ने अक्टूबर 2023 में कई पात्र लाभार्थियों को गलती से प्रतीक्षा सूची से बाहर होने की बात स्वीकार कर ली थी। इसके अलावा 357.29 करोड़ रुपये का केंद्रांश कम जारी किया गया। इससे 79 प्रतिशत लाभार्थियों को पहली किश्त जारी करने में सात कार्य दिवसों से अधिक की देरी हुई। अगस्त 2024 तक 11,031 लाभार्थियों को 20.18 करोड़ रुपये दिया जाना बाकी था।

    74 प्रतिशत आवासों की दीवार पर नहीं था प्लास्टर
    सीएजी ने 2,079 बन चुके आवासों का सत्यापन किया तो 74 प्रतिशत की दीवारों पर प्लास्टर नहीं मिला, 54 प्रतिशत में भोजन पकाने के लिए रसोई नहीं थी। 58 प्रतिशत में स्नानागार, 44 प्रतिशत में जल निकासी की व्यवस्था नहीं मिली। इसके अलावा 82 प्रतिशत आवासों में योजना का प्रतीक चिन्ह भी नहीं बना था। शौचालय 39 प्रतिशत, रसोई गैस कनेक्शन 39 प्रतिशत, बिजली कनेक्शन 30 प्रतिशत, पाइप पेयजल कनेक्शन 89 प्रतिशत में नहीं मिला।

    ये भी मिली खामियां
    -वर्ष 2018-23 में ग्रामीण राजमिस्त्री प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत 50,771 प्रशिक्षुओं को 28.70 करोड़ रुपये मजदूरी की क्षतिपूर्ति का भुगतान अक्टूबर 2024 तक लंबित रहा
    -वर्ष 2016 से 23 के दौरान स्वीकृत 34.71 लाख आवास में से 20,215 मार्च 2025 तक अधूरे बने मिले। जबकि उनके पूरे होने की 12 माह की निर्धारित समय सीमा पूरी हो चुकी थी।
    -लाभार्थियों को बैंक ऋण सुविधा देने के प्रयास सही से नहीं किए गए।
    -प्रत्येक विकास खंडों में डेमो हाउस का निर्माण किया जाना था।
    -75 जिलों में से पांच में ही कार्यक्रम प्रबंधन इकाई का गठन किया गया।