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    CAG Report: कैग की रिपोर्ट में खुला अवैध खनन का 'खेल', 11 जिलों में 45 पट्टाधारकों ने की Illegal Mining

    Updated: Tue, 12 Aug 2025 09:12 PM (IST)

    लखनऊ में कैग की रिपोर्ट ने 2017-22 के बीच अवैध खनन का खुलासा किया है। पट्टाधारकों ने आवंटित क्षेत्र से बाहर खनन किया जिससे राजस्व का नुकसान हुआ। रिपोर्ट में 11 जिलों में 45 पट्टाधारकों द्वारा किए गए अवैध खनन का विवरण है जिसमें मेजा ताप विद्युत परियोजना द्वारा अनियमित उत्खनन भी शामिल है। कैग ने खनिज परिवहन में अनियमितताओं और ट्रांजिट पास में फर्जीवाड़े का भी पर्दाफाश किया।

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    कैग की रिपोर्ट में खुला अवैध खनन का खेल।

    राज्य ब्यूरो, लखनऊ। वित्तीय वर्ष 2017-18 से 2021-22 के बीच प्रदेश में अवैध खनन का खेल चला था। पट्टाधारकों ने आवंटित क्षेत्र के बाहर जाकर भी खनन किया। पट्टों के आवंटन, क्षेत्र निर्धारण, भंडारण लाइसेंस से लेकर राजस्व संग्रह और वसूली में भी अनियिमतताएं की गईं।

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    मंगलवार को विधानमंडल के दोनों सदनों में भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक (कैग) द्वारा उत्तर प्रदेश में खनन और अवैध खनन के सामाजिक-आर्थिक प्रभाव पर प्रस्तुत की गई रिपोर्ट में यह हकीकत सामने आई है।

    कैग की गई रिपोर्ट में बताया गया है कि 11 जिलों में 45 पट्टाधारकों को आवंटित पट्टा क्षेत्रों के बाहर लगभग 268.91 हेक्टेयर क्षेत्रफल में खनिजों का खनन किया गया। कैग का अनुमान है कि न्यूनतम एक मीटर की गहराई के हिसाब से 26.89 लाख घन मीटर खनिजों का अवैध खनन किया गया।

    तीन जिलों के पांच मामलों में खनन पट्टा दिए बिना 30.40 हेक्टेयर क्षेत्र में उत्खनन हुआ। मेजा ताप विद्युत परियोजना (राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम) कोहड़ार द्वारा खनन पट्टा-परमिट लिए बिना 53,88,930 घन मीटर गिट्टी एवं बोल्डर का उत्खनन कर उपयोग किया गया।

    डीएम प्रयागराज ने महाप्रबंधक मेजा ताप विद्युत परियोजना को कुल धनराशि 3,22,62,49,100 रुपये जमा करने के लिए पत्र भेजा था, इसमें परियोजना द्वारा 81,77,939 रुपये रायल्टी के रूप में जमा किए गए। लेखापरीक्षा की तिथि तक विभाग द्वारा रायल्टी की शेष धनराशि एवं खनिजों का मूल्य 321.81 करोड़ रुपये वसूल नहीं किया जा सका था।

    रिपोर्ट के अनुसार उप्र उप खनिज (परिहार) नियमावली में नीलामी के माध्यम से पट्टे पर दिए गए खनन क्षेत्रों में खनिज मूल्य और रायल्टी निर्धारित नहीं है, ऐसे में अवैध खनन पर खनिज मूल्य किस तरीके से निर्धारित किया जाएगा, इसमें अस्पष्टता है।

    विभाग ने बोली दर की अनदेखी की और स्वीकृत पट्टा क्षेत्र के निकटवर्ती क्षेत्रों से अवैध रूप से खनन करने वाले 65 पट्टाधारकों से, जनवरी 2016 से संशोधित नहीं की गई आधार दर पर रायल्टी और खनिज मूल्य वसूला, इससे राजस्व की हानि हुई। वहीं ईंट भट्ठों की स्थापना में दूरी संबंधी मानदंडों का पालन नहीं किया गया। अवैध खनन का पता लगाने को खान मंत्रालय द्वारा विकसित खनन निगरानी प्रणाली का प्रभावी ढंग से उपयोग नहीं किया गया।

    खनिज परिवहन में हुईं अनियिमतताएं

    रिपोर्ट में खनिज परिवहन में भी अनियिमितताएं सामने आईं। कार्यदायी संस्थाओं के ठेकेदारों ने सिविल कार्यों में प्रयोग खनिजों के बिलों के साथ आवश्यक ट्रांजिट पास (एमएम-11 प्रपत्र) जमा नहीं किए। कार्यदायी संस्थाओं ने ठेकेदारों के बिलों से 4.48 करोड़ रुपये की रायल्टी की कटौती तो की, लेकिन 22.40 करोड़ रुपये खनिज मूल्य और 39 लाख रुपये शास्ति वसूल नहीं किया।

    ठेकेदारों द्वारा प्रस्तुत ट्रांजिट पास में फर्जी प्रति, कार्यालय प्रति, चेक पोस्ट प्रति, अन्य गंतव्यों के ट्रांजिट पास, ट्रांजिट पास की जारी तिथि कार्य देने से पूर्व व कार्य पूर्ण होने के पश्चात होने के मामले मिले। कार्यदायी संस्थाओं व विभाग ने इन अनियमितताओं को नहीं देखा और 5.89 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त नहीं हुआ।

    कैग को ट्रांजिट पास के डेटा के विश्लेषण से पता चला कि पट्टेदारों ने रात्रि में खनिजों के परिवहन व अनुमन्य मात्रा से अधिक के परिवहन के लिए एक ही वाहन संख्या के विभिन्न क्षमता और प्रकार दर्शाकर ट्रांजिट पास बनाए।

    कृषि ट्रैक्टरों द्वारा खनिज परिवहन, अनुपयुक्त वाहनों, अयोग्य-फर्जी पंजीकरण संख्या वाले वाहनों और निषिद्ध महीनों में पारगमन के लिए भी पास बनाए। इनमें उल्लिखित दूरी वास्तविक दूरी से बहुत अधिक मिली।