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    एक हाथ में सिर और दूसरे में तलवार लेकर लड़ते रहे वीर योद्धा बाबा दीप सिंह, 26 को मनेगा आगमन दिवस

    By Anurag GuptaEdited By:
    Updated: Sun, 16 Jan 2022 09:56 AM (IST)

    लखनऊ गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष राजेंद्र सिंह बग्गा ने बताया कि गरोवल के युद्ध बाबा दीप सिंह एक हथेली पर अपना सिर धर और दूसरे में तलवार लेकर रणक्षेत्र में लड़ते रहे और जान रहने तक सिखधर्म पर आंच नहीं आने दी।

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    लखनऊ में गुरुद्वारा नाका हिंडाेला में होंगे आयोजन।

    लखनऊ, [जितेंद्र उपाध्याय]। बाबा दीप सिंह का जन्म 27 जनवरी, 1682 अमृतसर के गांव पहूविंड में हुआ था। गुरु गोबिंद साहिब से मुलाकात हुई और अमृत धारण कर लिया। 1699 में बैसाखी पर माता-पिता के साथ बाबा दीप सिंह ने 16 वर्ष की आयु में आनंदपुर साहिब आए और गुरु गोबिंद सिंह के दर्शन के बाद अमृतपान कर लिया। उनके संदेशाें को जनजन तक पहुंचाने का मन बना लिया। लखनऊ गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष राजेंद्र सिंह बग्गा ने बताया कि गरोवल के युद्ध बाबा दीप सिंह एक हथेली पर अपना सिर धर और दूसरे में तलवार लेकर रणक्षेत्र में लड़ते रहे और जान रहने तक सिखधर्म पर आंच नहीं आने दी। रणभूमि में उनके कौशल को देखकर भयभीत होकर दुश्मन भाग खड़े हुए। ऐसे महान योद्धा के आगमन दिवस पर गुरुद्वारा नाका हिंडोला में विशेष आयोजन होगा। रविवार को सहज पाठ के साथ इसकी शुरुआत होगी। 26 जनवरी को मुख्य आयोजन होगा।

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    मुगलों के अत्याचार से दिलाई मुक्ति : बाबा दीप सिंह अपने सहयोगियों सहित गुरुदेव के दर्शनों को साबों की तलवंडी पहुंचे और श्री गुरु गोबिंद सिंह साहिब के चरणों में शीश रखकर युद्ध के समय में अनुपस्थित रहने की क्षमा याचना की। लखनऊ गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष राजेंद्र सिंह बग्गा ने बताया कि 1709 में बाबा दीप सिंह ने बाबा बंदा सिंह बहादुर के साथ मिलकर सरहिंद और सधौरा को मुगलों के अत्याचार से मुक्ति दिलवाई। 1733 में नवाब कपूर सिंह ने उन्हें अपने एक दस्ते का मुखिया बना दिया। 1748 में जब खालसा सिखों ने मिस्लों (छोटे-छोटे सिख राजनीतिक क्षेत्र थे, जिनमें शामिल योद्धा मुगलों के अत्याचार से पीड़ित लोगों के लिए काम करते थे) को फिर से संगठित किया तो बाबा दीप सिंह ने शहीदन मिस्ल का नेतृत्व किया । 1756 में जब अहमदशाह अब्दाली ने भारत पर चौथा आक्रमण किया तो उसने बहुत से भारतीय नगरों को लूटा और बहुत सी भारतीय नारियों को दासी बनाकर काबुल लौट रहा था, तभी बाबा दीप सिंह जी की ‘शहीद मिसल’ की सैनिक टुकड़ी ने कुरुक्षेत्र के पास पिपली तथा मारकंडे के दरिया में छापे मारकर गोरिल्ला युद्ध के सहारे लगभग 300 महिलाओं को स्वतंत्र करवा लिया। बाबा दीप सिंह जी ने जिन नारियों को आतंकवादियों से छुड़वाया, चाहे वे हिंदू परिवारों की थी अथवा मुस्लिम परिवारों की, उनकी रक्षा में कोई भेदभाव नहीं किया गया। बाबा दीप सिंह जी ने यह हमला दीप सिंह ने कुरूक्षेत्र में किया था। जिससे बौखलाकर अब्दाली ने अपने बेटे तैमूर शाह को सिखों के विनाश का हुक्म दिया। पिता का आदेश पाकर तैमूर शाह ने जगह-जगह गुरुद्वारे और पवित्र स्थानों को नुकसान पहुंचाना शुरू कर दिया। इस दौरान सिखों के पवित्र स्थान हरमिंदर साहिब को भी नुकसान पहुंचाया गया। जहान खान ने पवित्र सरोवर में कूड़ा फेंकवा दिया और गायों का वध करके श्री दरबार साहिब में रख दिया गया।

    कटा सिर और हाथ में तलवार देखा भय से भागे शत्रु सैनिक : हरमिंदर साहिब को नुकसान पहुंचाए जाने की खबर जब बाबा दीप सिंह को मिली तो उन्होंने नगाड़े पर चोट लगाकर युद्ध के लिए तैयार होने का आदेश दे दिया तुरंत समस्त ‘साबों की तलवंडी’ नगर के श्रद्धालु नागरिक एकत्र हो गए। बाबा दीप सिंह जी ने धर्म युद्ध का आह्वान करते हुए कहा कि सिखों, हमने आताताई से पवित्र हरमिंदर साहिब दरबार साहिब के अपमान का बदला अवश्य ही लेना है।

    हरमिंदर साहिब को अहमद शाह अब्दाली के कब्जे से छुड़वाने के लिए बाबा दीप सिंह अपनी सेना के साथ काफी बहादुरी से युद्ध कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने खालसा लड़ाकों से कहा कि उनका सिर हरमिंदर साहिब में ही गिरेगा। तरनतारन तक पहुंचते-पहुंचते उनकी सेना में करीब पांच हजार खालसा योद्धा शामिल हो चुके थे। लाहौर दरबार में सिखों की इन तैयारियों की सूचना जैसे ही पहुंची, जहान खान ने घबराकर इस युद्ध को इस्लाम खतरे में है, का नाम लेकर जहादिया को आमंत्रित कर लिया।

    सिखों ने ऐसी वीरता से तलवार चलाई कि जहान खान की सेना में भगदड़ मच गई।जगह जगह शवों के ढेर लग गए। दूसरी तरफ जहान खान का नायब सेनापति जमलशाह आगे बढ़ा और बाबा जी को ललकारने लगा। इस पर दोनों में घमासान युद्ध हुआ, उस समय बाबा दीप सिंह की आयु 75 वर्ष की थी, जबकि जमाल शाह की आयु लगभग 40 वर्ष थी। उस युवा सेनानायक से दो-दो हाथ जब बाबा जी ने किए तो उनका घोड़ा बुरी तरह से घायल हो गया। इस पर उन्होंने घोड़ा त्याग दिया और पैदल ही युद्ध करने लगे ।

    बाबा जी ने पैंतरा बदलकर एक खंडे का वार जमाल शाह की गर्दन पर किया, जो अचूक रहा। बाबा दीप सिंह और जमाल शाह ने एक दूसरे पर वार किया दोनों की गर्दने कट गईं। दोनों पक्ष की सेनाएं यह सब कुछ देखकर दंग रह गईं। तभी निकट खड़े दयाल सिंह ने बाबा जी को ऊंचे स्वर में चिल्लाकर कहा कि बाबा जी आपने तो रणभूमि में चलते समय प्रतिज्ञा की थी कि मैं अपना शीश श्री दरबार साहिब जी में गुरुचरणों में भेंट करूंगा, आप तो यहीं रास्ते में शरीर त्याग रहे हैं। जैसे ही यह शब्द मृत बाबा दीप सिंह जी के कानों में गूंजे, वह उसी क्षण उठ खड़े हुए और उन्होंने आत्मबल से पुनः अपनी तलवार और कटा हुआ सिर उठा लिया।

    बाबा दीप सिंह एक हथेली पर अपना सिर धर और दूसरे हाथ में तलवार लेकर फिर से रणक्षेत्र में जूझने लगे। जब शत्रु पक्ष के सिपाहियों ने मृत बाबा जी को शीश हथेली पर लेकर रणभूमि में जूझते हुए देखा तो वे भयभीत होकर, अली अली, तोबा तोबा, कहते हुए रणक्षेत्र से भागने लगे और कहने लगे कि हमने जीवित लोगों को तो लड़ते हुए देखा है। सिक्ख तो मर कर भी लड़ते हैं ! हम जीवित से तो लड़ सकते हैं, मृत से कैसे लड़ेंगे ? शत्रु सेना भय के मारे भागने में ही अपनी भलाई समझने लगी ! 15000 से ज्यादा जानें गवा कर शत्रु सेना मैदान से भाग गई ! इस युद्ध में सिक्खों की जीत हुई। श्री दरबार साहिब में बाबा दीप सिंह ने अपना शीश इस तरह टिका दिया कि बाबा जी हरमंदिर साहिब की तरफ़ मत्था टेक रहे हों। इस तरह आप ने अपना शीश गुरु जी के चरणो में भेंट करके शहीद हो गए।

    बाबा दीप सिंह जी फाउंडेशन की ओर से होंगे आयोजन : बाबा दीप सिंह जी फाउंडेशन की ओर से पिछले 11 साल से आयोजन हो रहा है। इस बार 11 वर्ष पूरे होेने पर 11 दिनों तक विविध आयोजन होंगे। फाउंडेशन के संस्थापक मनमोहन सिंह हैप्पी ने बताया कि कोरोना संक्रमण की गाइडलाइन के अनुरूप रविवार से आयोजन होंगे। लखनऊ गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष राजेंद्र सिंह बग्गा के संरक्षण में 16 जनवरी से सहज पाठ की शुरुआत होगी।

    कब क्या होगा

    • 23 जनवरी- गुरुद्वारा पटेल नगर में उप्र अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य सरदार परविंदर सिंह के संयोजन में सुबह 5:30 बजे से 6:30 तक अमृतवेला कार्यक्रम होगा।
    • 24 जनवरी- गुरुद्वारा मानसरोवर कानपुर रोड के अध्यक्ष संपूर्ण सिंह बग्गा के संयोजन में बाबा दीप सिंह जी के जीवन पर आधारित फिल्म अनोखे अमर शहीद बाबा दीप सिंह का प्रदर्शन होगा।
    • 25 जनवरी-शाम सात से 10 बजे तक गुरुद्वारा नाका हिंडोला में दरबार सजेगा।
    • 26 जनवरी-मध्याह्न 12 बजे से शाम सात बजे तक मुख्य आयोजन गुरुद्वारा नाका हिंडोला में होगा। जत्थेदार जसबीर सिंह की अगुवाई में इसी दिन सुबह 11 बजे से अमृत संचार होगा। चिकित्सा शिविर लगेगा
    • 26 जनवरी को परमजीत सिंह जग्गी के संयोजन में फ्री चिकित्सा जांच शिविर लगेगा। कवलजीत सिंह के नेतृत्व में आर्ट कंपटीशन, परमप्रीत सिंह एवं सुरेंद्र सिंह मोनू के नेतृत्व में गुरमत प्रश्नोत्तरी मुकाबला भी होगा। हरमिंदर सिंह टीटू, सतपाल सिंह मीत, हरविंदर पाल सिंह नीटा, कुलदीप सिंह सलूजा सहित संगतों की मौजूदगी में लंगर भी होगा।