यूपी में आयुष्मान कार्ड फर्जीवाड़ा मामले में सख्त कार्रवाई, पांच अस्पतालों की संबद्धता निलंबित
आयुष्मान भारत योजना में फर्जीवाड़ा करने वाले पांच निजी अस्पतालों की संबद्धता निलंबित कर दी गई है। इनमें बिजनौर का एक और बरेली के चार अस्पताल शामिल हैं ...और पढ़ें

आयुष्मान कार्ड फर्जीवाड़ा मामले में पांच अस्पतालों की संबद्धता निलंबित।
राज्य ब्यूरो, लखनऊ। आयुष्मान भारत योजना के कार्ड फर्जी तरीके से बनाने और इलाज करने वाले पांच निजी अस्पतालों की संबद्धता को निलंबित कर दिया गया है। इसमें एक अस्पताल बिजनौर और चार बरेली के हैं। इन्हें प्रथम दृष्टया जांच में संदिग्ध पाया गया है। नोटिस का जवाब संतोषजनक न पाए जाने के कारण इन्हें निलंबित किया गया है। अब इन अस्पतालों के मामले को मेडिकल कमेटी के सामने रखा गया है। आरोप साबित होने पर इन्हें ब्लैक लिस्ट किया जाएगा।
स्टेट एजेंसी फार काम्प्रिहेंसिव हेल्थ एंड इंटीग्रेटेड सर्विसेज (साचीज) के अधिकारियों के अकाउंट हैक करके अक्टूबर में 450 से अधिक आयुष्मान कार्ड बनाए गए थे। इनसे इलाज भी कराया गया था। अधिकारियों ने जब अकाउंट में लॉगिन किया, तब इसका पता चला था। इस मामले में एफआईआर भी कराई गई थी।
इसके साथ ही साचीज भी अपने स्तर से मामले की जांच कर रही थी। इसी में बरेली के राधिका मैटरनिटी, मेट्रो विजन, उम्मीद हॉस्पिटल, अरबन हॉस्पिटल और बिजनौर के कुंदन हास्पिटल में 25 से अधिक फर्जी कार्ड बनाए जाने की जानकारी मिली थी। इसके बाद वहां इन्हीं कार्ड से फर्जी लाभार्थियों का इलाज भी दिखाया गया।
साचीज से मिली जानकारी के अनुसार जांच में कार्ड संदिग्ध पाए जाने पर पांचों अस्पतालों को नोटिस जारी किया गया। जवाब संतोषजनक न पाए जाने पर अस्पतालों की संबंद्धता को निलंबित कर दिया गया है।
अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी (एसीइओ) पूजा यादव ने बताया कि निलंबित अस्पतालों का मामला मेडिकल कमेटी के पास है। आरोप सिद्ध होने पर सभी को ब्लैक लिस्ट किया जाएगा।
गौरतलब है कि इससे पहले साचीज के अकाउंट को हैक करके 9.45 करोड़ रुपये का फर्जी भुगतान कई अस्पतालों को कर दिया गया था। इन अस्पतालों को ब्लैक लिस्ट करके उनसे ट्रांसफर की गई धनराशि को वापस ट्रांसफर कराया जा चुका है।
फर्जीवाड़े के दोनों ही मामलों में साचीज के अधिकारियों के अकाउंट को हैक करने में छुट्टी के दिन को चुना गया। जिससे लगभग 48 घंटे तक इस फर्जीवाड़े की जानकारी किसी को भी नहीं हो पाई। जब आफिस खुले तब अधिकारियों को पूरे मामले का पता चला और एफआइआर कराई गई।

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