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    25 अप्रैल 2007 को लखनऊ से टूटा था अटल जी का नाता, फिर वोट डालने भी नहीं आ पाए थे मतदान केंद्र

    Updated: Wed, 24 Dec 2025 05:54 PM (IST)

    25 अप्रैल, 2007 को अटल बिहारी वाजपेयी ने लखनऊ में अंतिम चुनावी सभा की। स्वास्थ्य बिगड़ने के कारण वे वोट डालने भी नहीं जा सके। प्रधानमंत्री बनने के बाद ...और पढ़ें

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    जागरण संवाददाता, लखनऊ। वर्ष था 2007 और दिन था 25 अप्रैल। यह दिन पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के लखनऊ के लिए आखिरी था। इसी दिन अटल जी ने कपूरथला चौराहे पर शहर की सभी विधानसभाओं के भाजपा उम्मीदवारों के समर्थन में चुनावी सभा कर माहौल बनाया था लेकिन इसके बाद तबियत बिगड़ने पर वर्ष 2007 के विधानसभा चुनाव में लखनऊ में नवल किशोर रोड पर विष्णु नारायण इंटर कालेज मतदान केंद्र पर वोट डालने भी नहीं आ पाए थे।

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    हालांकि लखनऊ वासी उन्हें कभी भूल नहीं पाए और आज भी पचीस दिसंबर को उन्हें याद किया जाता है। प्रधानमंत्री बनने के बाद भी अटल जी ने लखनऊ की उपेक्षा नहीं की और शहर में उनका आना जाना लगा रहता है। लखनऊ के खानपान से उसका खासा नाता था और दिल्ली तक पैक होकर मलाई पान जाती थी। चाट भी चटपटी ही उन्हें पसंद थी और शहर की कुछ दुकानों की चाट ही उन्हें परोसी जाती थी, जिसमे हरी मिर्च और धनिया खास होती थी।

    लखनऊ के खानपान ही नहीं, शहर के आयोजनों से भी उनका लगाव रहता था। चौक में अमृतलाल नागर द्वारा संचालित चकल्लस कार्यक्रम हो या फिर राम नवमी का हुजूम। अटल जी इन कार्यक्रमों में भागीदारी करते दिखते थे। मुसलमानों के बीच भी उनकी लोकप्रियता थी और यही कारण है कि भाजपा को विरोधी मानने वाले मुसलमानों के बीच में से ही एजाज रिजवी अटल जी के विचारों से प्रभावित होकर उनसे जुड़ गए थे।

    एजाज की बेटी डा. शीमा रिजवी ने भाजपा का साध पकड़ा और एमएलसी बनने के साथ ही उन्हें भाजपा सरकार में मंत्री तक बनाया गया। अटल जी का 40, कैंट रोड पर विश्व हिन्दू परिषद के नेता पुरुषोत्तम दास भार्गव के घर अधिक आना जाना था, जहां उनकी मुलाकात कार्यकर्ताओं से होती थी। पहला चुनाव भी उन्होंने पुरुषोत्तम दास भार्गव के घर से लड़ा था। दीनदयाल उपाध्याय के साथ जब अटल बिहारी वाजपेयी ने अखबार निकाला तो कागज के व्यवसायी पुरुषोत्तम दास भार्गव ही उन्हें कागज उपलब्ध कराते थे।