UP News: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सरकार से पूछा, प्रतियोगी अभ्यर्थियों को परिवहन सुविधा देने की क्या है नीति
High Court News इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि सरकार और परिवहन निगम बताए कि बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों के किसी प्रतियोगी परीक्षा में भाग लेने की स्थिति ...और पढ़ें

लखनऊ, विधि संवाददाता। इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ (Allahabad High Court Lucknow Bench) ने प्रतियोगी परीक्षाओं में अभ्यर्थियों (Competitive Exams Candidates ) को परिवहन की सुविधा मुहैया कराने को लेकर सरकार की नीति की जानकारी मांगी है। इस मुद्दे पर कोर्ट में दाखिल एक जनहित याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार, उत्तर प्रदेश राज्य परिवहन निगम, उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UPSSSC) को पांच सप्ताह में जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है। इसके साथ ही हाई कोर्ट ने रेलवे से भी जवाब मांगा है। मामले की अगली सुनवाई तीन जनवरी को होगी।
यह आदेश जस्टिस देवेन्द्र कुमार उपाध्याय और जस्टिस सौरभ लवानिया की पीठ ने एमएल यादव की याचिका पर पारित किया। याचिका में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा कराई गई पीईटी परीक्षा में बड़ी संख्या ऐसे अभ्यर्थियों की रही जो यथोचित परिवहन व्यवस्था न होने के कारण भाग नहीं ले सके।
हाई कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार और परिवहन निगम बताए कि बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों के किसी प्रतियोगी परीक्षा में भाग लेने की स्थिति में परिवहन के बाबत क्या कोई नीति बनाई गई है। कोर्ट ने रेलवे को भी आदेश दिया है कि उसने भी यदि ऐसी कोई नीति बनाई हो तो अवगत कराए।
बता दें कि उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने 15 व 16 अक्टूबर को सभी जिलों में आयोजित की जाने वाली प्रारंभिक अर्हता परीक्षा 2022 में अभ्यर्थियों की बड़ी संख्या को देखते हुए रेलवे और उत्तर राज्य सड़क परिवहन निगम से उनके आवागमन के लिए आवश्यक व्यवस्था सुनिश्चित करने का अनुरोध किया था। इस संबंध में मंडलीय रेल प्रबंधकों व उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम को पत्र भेजा गया था।
पीईटी परीक्षा में शामिल होने के लिए रेलवे प्रशासन ओर से स्पेशल ट्रेनों और और रोडवेज की ओर से अतिरिक्त बसों का इंतजाम किया गया था, जो नाकाफी साबित हुआ। अभ्यर्थियों को काफी अव्यवस्थाओं का सामना करना पड़ा था। कई अभ्यर्थियों की परीक्षा तक छूट गई थी।

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