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    UP News: विधानसभा में विधायकों के लिए लगी एआई की पाठशाला, संचार मजबूत करने पर विशेष सत्र का आयोजन

    Updated: Mon, 11 Aug 2025 07:25 AM (IST)

    उत्तर प्रदेश विधानसभा में विधायकों के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की पाठशाला आयोजित की गई। इस विशेष सत्र का उद्देश्य जनप्रतिनिधियों को सशक्त बनाना और संचार को मजबूत करना था। विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने एआई के महत्व पर प्रकाश डाला। सत्र में एआई ड्रिवेन गर्वनेंस फार लेजिस्लेटिव हैंडबुक का विमोचन भी हुआ जिसमें एआई के उपयोग और दिशा-निर्देशों की जानकारी दी गई है।

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    विधान सभा में विधायकों के लिए लगी एआइ की पाठशाला

    राज्य ब्यूरो, लखनऊ। विधानसभा में रविवार को विधायकों के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की पाठशाला लगाई गई। ‘जनप्रतिनिधियों को सशक्त बनाना: एआई के माध्यम से संचार को मजबूत करना’ विषय पर आयोजित विशेष सत्र में उन्हें एआई और उसके उपयोग के बारे में बताया गया। 

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    विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने इस मौके पर कहा कि बदलते समय में विधायकों के लिए नई तकनीक को अपनाना जरूरी हो गया है। एआई के माध्यम से न केवल कार्यकुशलता बढ़ाई जा सकती है, बल्कि जनता के साथ संवाद को अधिक पारदर्शी व त्वरित बनाया जा सकता है।

    विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि तकनीक समय के साथ बदलती रहती है, लेकिन हमारे वरिष्ठों के बताए आदर्श और मार्गदर्शन हमें हमेशा सही दिशा देते हैं। नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पाण्डेय ने विधानसभा में नई तकनीक को बढ़ावा देने पर खुशी जाहिर की और कहा कि एआई जैसी उन्नत तकनीक विधायी कार्य को और सशक्त बना रही है। 

    इस मौके पर ‘एआई ड्रिवेन गर्वनेंस फार लेजिस्लेटिव’ शीर्षक हैंडबुक का विमोचन भी किया गया। इस हैंडबुक में एआई की मूल अवधारणा, बहुभाषी संचार, स्वचालित नीति विश्लेषण, केस स्टडी और नैतिक उपयोग के दिशा-निर्देश की जानकारी दी गई है। 

    आईटी विशेषज्ञ डा. हर्षित और आशुतोष तिवारी ने बताया कि एआई का उपयोग वाइस-टू-टेक्स्ट, भावना विश्लेषण, अनुवाद और दस्तावेज़ तैयार करने में किया जा सकता है। एआई समाधानों में एकीकृत डैशबोर्ड और चैटबाट शामिल हैं जो विधायकों और जनता दोनों के लिए सूचनाओं को तुरंत उपलब्ध कराएंगे। 

    समापन मौके पर विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि एआई का प्रयोग केवल तकनीक अपनाने का कार्य नहीं है। बल्कि यह जिम्मेदारी, पारदर्शिता और जनहित में सुधार का साधन है। सही दिशा में इसका उपयोग विधायकों को जनता से और अधिक जोड़ने, पारदर्शिता बढ़ाने और शासन को बेहतर बनाने में सहायक होगा।

    विधायकों की एआई से दर्ज होगी उपस्थिति

    विधानसभा अध्यक्ष ने बताया कि अगले सत्र से विधायकों की उपस्थिति एआई आधारित कैमरों से लगेगी। एआई फेशियल रिकग्निशन सिस्टम से लैस कैमरे हर विधायक की आवाजाही को भी रिकॉर्ड करते रहेंगे। इसके लिए विधानसभा के अलग-अलग हिस्सों में विशेष कैमरे लगाए जाएंगे।

    एआई ज्योतिष नहीं जो नेताओं का भविष्य बताए

    एआई की पाठशाला में संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने विधायकों के सवालों का जवाब भी दिया। उन्होंने कहा कि विधानसभा का इतिहास अब तकनीकी से संरक्षित हो रहा है। एआई का सही उपयोग विधायकों को अधिक प्रभावी बना सकता है। 

    एक विधायक के सवाल पर उन्होंने कहा कि लगता है कि सभी लोग एआई से राजनीति लाभ के बारे में ही जानकारी चाहते हैं। लेकिन एआई ज्योतिष नहीं है, जो आपका भविष्य बताएगा। या फिर ये बताएगा कि आप कब तक विधायक बने रहेंगे। 

    उन्होंने कहा कि गूगल साइकिल है तो एआई मोटरसाइकिल। मंत्री असीम अरुण ने कहा कि विधानसभा तकनीक को साथ लेकर चल रही है। एआई का इस्तेमाल सतर्कता से करेंगे तो अपराधी हावी नहीं हो पाएंगे। 

    विधायक अनिल सिंह ने कहा कि हमें राजनीति करनी है, क्या एआई की मदद से वोट मिल जाएगा। प्रतीक भूषण ने कहा कि स्कूलों में एआई शिक्षा स्कूलों में भी लागू की जाए। अभय सिंह ने कहा कि एआई उपलब्ध डाटा लेकर जानकारी देता है, क्या ये बता पाएगा कि किस पार्टी की चुनाव में हवा चल रही है। 

    डाॅ. रागिनी ने कहा कि चैट जीपीटी यूपी के संदर्भ में जानकारी नहीं दे पाता है। विधायक सचिन यादव, डा. सुरभि, शशांक त्रिवेदी, डा. पल्लवी और डा. अभय ने भी अपने विचार रखे और कहा कि एआई तकनीक जनप्रतिनिधियों को अधिक सशक्त बनाकर जनता की सेवा में नई संभावनाएं खोलती है।