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    UP News: डिफेंस कॉरिडोर भूमि घोटाले में अभिषेक प्रकाश सहित 16 पर होगी कार्रवाई, सीएम योगी ने द‍िए न‍िर्देश

    Updated: Wed, 26 Mar 2025 08:31 AM (IST)

    UP News भूमि घोटाले में तत्कालीन डीएम अभिषेक प्रकाश के अलावा 15 अन्य अधिकारियों को भी दोषी ठहराया गया है। इनमें शामिल तत्कालीन एडीएम चार एसडीएम चार त ...और पढ़ें

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    उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ। - फाइल फोटो

    राज्य ब्यूरो, लखनऊ। सौर ऊर्जा के कलपुर्जे बनाने का संयंत्र स्थापित करने वाली निवेशक कंपनी से कमीशन मांगे जाने की शिकायत के बाद निलंबित चल रहे इन्वेस्ट यूपी के सीईओ रहे अभिषेक प्रकाश के विरुद्ध डिफेंस कॉरिडोर भूमि घोटाले में भी कार्रवाई की जाएगी। इस मामले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।

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    भूमि घोटाले में तत्कालीन डीएम अभिषेक प्रकाश के अलावा 15 अन्य अधिकारियों को भी दोषी ठहराया गया है। इनमें शामिल तत्कालीन एडीएम, चार एसडीएम, चार तहसीलदार, एक नायब तहसीलदार, तीन कानूनगो व दो लेखपालों के निलंबन के आदेश एक-दो दिन में जारी हो सकते हैं। सीएम ने इस घोटाले में शामिल भूमाफिया पर भी कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। इनसे मुआवजे की राशि भी वसूली जाएगी। सरोजनी नगर सब रजिस्ट्रार कार्यालय में तैनात रहे कर्मचारियों पर भी कार्रवाई की जाएगी।

    डिफेंस कॉरिडोर के लिए लखनऊ की सरोजनी नगर तहसील में भटगांव ग्राम पंचायत की भूमि अधिग्रहण में किए गए घोटाले की जांच मुख्यमंत्री ने राजस्व परिषद के तत्कालीन अध्यक्ष डा. रजनीश दुबे से कराई थी। अगस्त 2024 में शासन को भेजी गई 83 पन्नों की जांच रिपोर्ट में डीएम अभिषेक प्रकाश सहित 18 अधिकारियों को आरोपित बनाया गया था। डिफेंस कारिडोर में इकाइयों की स्थापना के लिए वर्ष 2020-21 ब्रह्मोस मिसाइल के अलावा रक्षा क्षेत्र से जुड़ी कई कंपनियां भूमि की तलाश रही थीं। इसके चलते भटगांव में भू-माफिया ने भूमि की दरें बढ़ा दी थीं।

    अधिकारियों के साथ साठगांठ करके अधिग्रहण प्रक्रिया में दस्तावेजों में हेरफेर कर आवंटियों के नाम जोड़े गए थे। आरोपित अधिकारियों ने पट्टे की असंक्रमणीय श्रेणी की भूमि को संक्रमणीय घोषित कर दिया था। भूखंडों पर जिन लोगों का कब्जा ही नहीं था, उनको भी भूखंडों का मालिक बताया था। अधिकारियों ने मालिकाना हक की जांच के बिना ही मुआवजा वितरित कर दिया था। भटगांव की करीब 35 हेक्टेयर भूमि के लिए 45.18 करोड़ रुपये शासन ने स्वीकृत किए थे।

    सरोजनी नगर तहसील के तत्कालीन अफसरों ने अपने रिश्तेदारों तथा नौकरों को भी भूमि दिलाई थी। भूमाफिया और अधिकारियों ने 20 करोड़ रुपये का मुआवजा हड़प लिया। भूमाफिया ने किसानों से आठ लाख रुपये में भूमि खरीद कर 54 लाख रुपये में बेची थी। जांच में 90 पट्टे फर्जी पाए गए थे। इनमें 11 व्यक्तियों के नाम पट्टे में दर्ज ही नहीं थे। भूमाफिया ने 35 वर्ष पुराना पट्टा दिखा संक्रमणीय भूमिधर जमीन घोषित कराया। घोटाले का राजफाश होने के बाद तत्कालीन डीएम अभिषेक प्रकाश ने कानूनगो जितेंद्र सिंह को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया था।

    इन अधिकारियों को किया जाएगा निलंबित

    तत्कालीन एडीएम (प्रशासन) अमरपाल सिंह, एसडीएम संतोष कुमार सिंह, शंभू शरण सिंह, आनंद कुमार सिंह, देवेंद्र कुमार। चार तत्कालीन तहसीलदार विजय कुमार सिंह, ज्ञानेंद्र सिंह, उमेश कुमार सिंह और मनीष त्रिपाठी। तत्कालीन नायब तहसीलदार कविता ठाकुर, तत्कालीन लेखपाल हरीश्चंद्र व ज्ञान प्रकाश। तत्कालीन कानूनगो राधेश्याम, जितेंद्र सिंह तथा नैंसी शुक्ला।

    प्रारंभिक जांच में मंडलायुक्त ने घोटाले को सुनियोजित षडयंत्र बताया था। बद्री के वारिसान रामकली ने बयान दिए थे कि रामसजीवन ने उन्हें पांच लाख रुपये देकर बैनामे पर अंगूठा लगवा लिया था। इसी प्रकार बाबूलाल की भूमि 19 अगस्त 2021 को असंक्रमणीय घोषित की गई थी, जबकि उससे पहले ही सूरज मिश्रा को विक्रय अनुबंध कर दिया गया था। इसी प्रकार अंकित के वारिसान ने भूमि संक्रमणीय घोषित होने से पहले ही विक्रय अनुबंध कर लिया था। डिफेंस कॉरिडोर की सीमा के भीतर कुल नौ नंबरों (गाटा संख्या) और उस सीमा के बाहर 31 नंबरों की जमीन ऐसी थी, जो श्रेणी-5 (3 क) के अंतर्गत कृषि योग्य बंजर-इमारती लकड़ी के वन के रूप में दर्ज है। इसे किसी निजी व्यक्ति के नाम नहीं किया जा सकता।

    वहीं, डिफेंस कॉरिडोर के लिए भूमि खरीदने वाली संस्था यूपीडा को जिस विक्रेता ने जमीन बेची, बिक्री की तिथि को उसका नाम भी खतौनी में दर्ज नहीं था। विजय कुमार को 14 जून 2021 को संक्रमणीय भूमिधर घोषित किया गया। उन्होंने इस भूमि को 5.20 लाख रुपये में राजू को बेचा था। राजू ने वरुण कुमार मिश्रा और उनकी पत्नी सरिता सिंह को 14.50 लाख रुपये में भूमि बेची थी, जिसे बाद में सरिता और वरुण ने 13 जुलाई को यूपीडा को 57.60 लाख रुपये में बेच दिया।

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