लखनऊ जिला पंचायत अध्यक्ष आरती रावत बनीं भाजपा के लिए सिरदर्द, बहुमत के बिना दांव पड़ा भारी
लखनऊ में आरती रावत को जिला पंचायत अध्यक्ष बनाना भाजपा के लिए गले की फांस बन गया है। बहुमत न होने के बावजूद विजय बहादुर के समर्थन से उन्हें अध्यक्ष बना ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, लखनऊ। आरती रावत को जिला पंचायत अध्यक्ष बनाने का दांव भारतीय जनता पार्टी के लिए गले की फांस बन गया है। भाजपा इस दांव में इस कदर उलझी है कि उसे चक्रव्यूह से निकलने का रास्ता नहीं मिल रहा है। यही वजह है कि सोमवार को जिला पंचायत बोर्ड की बैठक में भाजपा के प्रमुख सदस्यों से लेकर दूसरे जनप्रतिनिधि भी नदारद दिखे।
पिछले जिला पंचायत चुनाव में अध्यक्ष की सीट को सुरक्षित महिला घोषित कर दिया गया था। चुनाव के दौरान समाजवादी पार्टी से मनमुटाव के बाद भाजपा में शामिल हुए पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष विजय बहादुर ने अपनी करीबी आरती रावत को गोसाईगंज से से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ाया और जिताया भी।
परिणाम के बाद विजय बहादुर और तत्कालीन भाजपा नेताओं के बीच ऐसी खिचड़ी पकी कि कुल 25 जिला पंचायत सदस्यों वाले सदन में केवल चार सदस्य के बावजूद भाजपा ने आरती रावत को अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठा दिया। दरअसल सदन में संख्या के गुणाभाग को देखते हुए आरती को अध्यक्ष बनाना भाजपा की मजबूरी थी।
मगर भाजपा के लिए उलटी गिनती तब शुरू हुई जब जुलाई 2024 को विजय बहादुर एक बार फिर से सपा में शामिल हो गए। विजय के सपा में जाते ही आरती भाजपा की आखों में खटकने लगीं। इसके बाद भाजपा ने आरती के खिलाफ लामबंदी शुरू की लेकिन विपक्ष की जिला पंचायत में मजबूत संख्या बल के कारण सफलता नहीं मिली।
इसके बाद जुलाई 2024 में गोसाईगंज से भाजपा की जिला पंचायत सदस्य नीतू रावत ने आरती पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए शासन में शिकायत कर दी। आरती पर आरोप लगते ही कुर्सी को लेकर घमासान शुरू हो गई और पार्टी उनको किनारे लगाने में जुट गई।
शासन ने तत्कालीन डीएम सूर्यपाल गंगवार की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट के बाद आरती को निलंबित कर दिया। शासन के फैसले के खिलाफ आरती हाई कोर्ट गईं जहां निलंबन की प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए कोर्ट ने उनको राहत दे दी।
दूसरी तरफ तत्कालीन मंडलायुक्त डा रोशन जैकब की पूर्ण जांच जारी रही और गत दो जून 2025 को उनकी जांच रिपोर्ट के आधार पर शासन ने उत्तर प्रदेश क्षेत्र पंचायत एवं जिला पंचायत अधिनियम 1961 की धारा 29 के तहत आरती को पद से हटाने के लिए नोटिस जारी कर दी। इसके बाद से आरती और शासन के बीच खींचतान चल रही है। तब से बोर्ड बैठक नहीं होने से पंचायत के सारे कार्य लंबित हैं।

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