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    बड़ी संख्या में एनसीआर में रहने वाले दूसरे राज्यों के लोगों को रोड टैक्स की समस्या से मिला समाधान

    By Sanjay PokhriyalEdited By:
    Updated: Mon, 01 Aug 2022 03:10 PM (IST)

    पर्यटकों को अब वहां आने-जाने में कोई समस्या नहीं होती। कोई दो राय नहीं कि जब अड़चन दूर होती है तो लोगों को कामकाज में आसानी होती है। पानी का बंटवारा सीमा पर आने वाली जमीनें भी ऐसी ही कुछ दिक्कतें हैं।

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    नोएडा सेक्टर-11 हरिदर्शन पुलिस चौकी के पास से गुजरते दिल्ली से आने वाले वाहन। जितेंद्र सिंह

    लखनऊ, राजू मिश्र। इन दिनों राज्य सरकार हर वह निर्णय कर रही है जिससे जनता को भरपूर सुविधा और सहूलियत मिल सके। एनसीआर (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र) में रहने वाले दूसरे राज्यों के लोगों को प्रदेश में अभी तक रोड टैक्स देना पड़ता था। अब इसे समाप्त करने का सरकार ने निर्णय किया है। बड़ी संख्या में लोगों को इससे लाभ पहुंचेगा। एनसीआर में हरियाणा के भी जिले शामिल हैं। यहां की बसें अपने राज्य में तो टैक्स देती ही थीं, उत्तर प्रदेश में आने पर उन्हें अतिरिक्त टैक्स देना पड़ता था।

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    राज्यों के नागरिकों के लिए लाभकारी : सरकार के इस निर्णय से स्कूली बसों को भी टैक्स से मुक्ति मिलेगी। एनसीआर में चलने वाली कैब सुविधाओं को यह राहत पहले से ही मिल रही थी। यह राज्यों की सहमति से लिए जाने वाले सार्थक फैसलों का एक बड़ा उदाहरण है। उत्तर प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान और हरियाणा सरकारों ने पहले भी इस तरह के निर्णय किए हैं जो इन तीनों राज्यों के नागरिकों के लिए लाभकारी हैं। वास्तव में राज्यों को ऐसी अन्य दिक्कतों की भी पहचान करनी चाहिए कि कौन से ऐसे नियम-कायदे हैं जिनसे लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। किस प्रकार से उनका समाधान करके जनता को राहत दी जा सकती है। सरकार ने ऐसा ही एक निर्णय चित्रकूट के बारे में भी किया है। दरअसल चित्रकूट क्षेत्र का कुछ हिस्सा उत्तर प्रदेश में और कुछ मध्य प्रदेश में आता है। यहां एक राज्य से दूसरे राज्य में जाने पर टैक्स लगता था। दोनों राज्यों की परस्पर सहमति से इसे खत्म कर दिया गया। 

    सतर्कता आवश्यक : गाजियाबाद में मंकीपाक्स के दो संदिग्ध मरीज पाए जाने के बाद इस संक्रमण के प्रसार की आशंका बढ़ी है, लेकिन इसको लेकर घबराने नहीं, बल्कि सतर्क रहने की जरूरत है। सरकार द्वारा निर्धारित गाइडलाइन का पालन किया जाए तो रोग को फैलने से रोका जा सकता है। फिलहाल शुरुआती दौर में मरीजों की संख्या कम है, इसलिए अभी से ही सावधान रहना होगा। सरकार ने हर जरूरी उपाय किए हैं। अस्पतालों में बेड भी आरक्षित कर दिए हैं। अब लोगों को प्राथमिक जिम्मेदारी खुद उठानी होगी। संक्रमित से उनका संपर्क किसी भी हाल में न हो, यह बात सुनिश्चित करनी होगी। अगर किसी को रोग के कोई भी लक्षण दिखाई देते हैं तो इसे अस्पताल में जाकर अवगत कराते हुए उपचार हासिल करें। वास्तव में यह ऐसी बीमारी नहीं है कि जिसका उपचार नहीं हो सकता है, लिहाजा बेवजह दुष्परिणाम को लेकर आशंकित होने की जरूरत नहीं है।

    महामारियों से बचाव : महामारियों से निपटने के लिए नेशनल सेंटर फार डिजीज कंट्रोल (एनसीडीसी), नई दिल्ली की शाखा प्रदेश में जल्द खोली जाएगी। लखनऊ के एक गांव में इसके लिए ढाई एकड़ जमीन चिन्हित कर ली गई है। अगले महीने इसके शिलान्यास की तैयारी है। एनसीडीसी, नई दिल्ली की शाखा खुलने से एक छत के नीचे विभिन्न तरह की बीमारियों की जांच हो सकेगी और बेहतर शोध की मदद से उस पर नियंत्रण करने का तरीका खोजा जाएगा। विज्ञानियों व विशेषज्ञों को प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। निरंतर महामारियों के फैलाव से बचाव के लिए प्रदेश में ही उच्च स्तरीय शोध बहुत जरूरी है। एनसीडीसी की मदद से महामारियों से बचाव के लिए जांच, एकीकृत रोग निगरानी प्रणाली और आंकड़ों का विश्लेषण कर बचाव के उपाय खोजे जाएंगे। विशेषज्ञ तैयार करने के लिए ट्रेनिंग दी जाएगी व प्रोटोकाल तय करने में मदद मिलेगी।

    दागियों की बात : विधान परिषद में 81 में से 26 सदस्यों पर आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। तीन सदस्यों पर हत्या से संबंधित, चार पर हत्या का प्रयास से संबंधित मामले दर्ज हैं। इनमें भाजपा के 22, सपा के तीन और एक निर्दल सदस्य शामिल हैं। कुल सदस्यों में 66 सदस्य करोड़पति हैं। इलेक्शन वाच और एसोसिएशन फार डेमोक्रेटिक रिफार्म (एडीआर) ने यूपी के विधान परिषद सदस्यों को लेकर जारी रिपोर्ट में सदस्यों की औसत संपत्ति 11.72 करोड़ रुपये बताई गई है। सबसे अमीर सदस्य 177 करोड़ की संपत्ति के साथ दिनेश कुमार गोयल हैं, जबकि सबसे कम संपत्ति भाजपा के सदस्य अनूप गुप्ता की मात्र 6.69 लाख रुपये है।