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    75 वर्षीय वृद्धा को 11 दिन तक जालसाजों ने किया डिजिटल अरेस्ट, 34 लाख रुपये ठगे

    Updated: Tue, 14 Oct 2025 12:37 PM (IST)

    एक 75 वर्षीय महिला साइबर धोखाधड़ी का शिकार हो गई। जालसाजों ने उसे 11 दिनों तक डिजिटल रूप से गिरफ्तार रखा और डरा-धमका कर 34 लाख रुपये ठग लिए। अपराधियों ने खुद को पुलिस और सरकारी अधिकारी बताकर महिला को गंभीर अपराध में शामिल होने का डर दिखाया और उससे पैसे ऐंठ लिए।

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    तस्वीर का इस्तेमाल प्रतीकात्मक प्रस्तुतीकरण के लिए किया गया है। जागरण

    जागरण संवाददाता, लखनऊ। साइबर जालसाजों ने महानगर निवासी वृद्धा आशा सिंह को ईडी का अधिकारी बनकर 11 दिन तक डिजिटल अरेस्ट रखा। इस दौरान जुर्माने के नाम पर उनसे तीन खातों में 34 लाख रुपये जमा कराये। इस दौरान किसी से बात करने से मना कर दिया। फर्जी वारंट और जब्ती का आदेश भी वाट्सएप पर भेजा।

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    पीड़िता ने साइबर क्राइम थाने में रिपोर्ट दर्ज कराया है। पुलिस मामले की जांच कर रही है। 75 वर्षीय पीड़िता आशा सिंह के मुताबिक महानगर के सेक्टर-सी में रहती है। पति की मौत काफी पहले हो चुकी है। वह मूलरुप से जहानाबाद की रहने वाली हैं। उनको 28 सितबंर को वाट्सएप पर कॉल आई।

    कॉल करने वाले ने खुद को एटीएस और ईडी का अधिकारी बताया। काफी देर तक बात करते रहे। इस दौरान कहा कि उनके खाते का प्रयोग आतंकी संगठन व देश विरोधी गतिविधियों में संलिप्त लोगों से लेनदेन में किया गया है। एटीएस व ईडी अधिकारी बने जालसाजों ने काफी देर तक उनको धमकी दी।

    इस दौरान उनके नाम का फर्जी वारंट और जब्ती का आदेश भी वाट्सएप पर भेजा। ईडी के अधिकारी ने जुर्माना भरने पर मामले से राहत देने का झांसा दिया। इसके नाम पर कई बार में 34 लाख रुपये जमा कराये। जिस नंबर से काल करते थे, उस पर एटीएस लिखा था। इंस्पेक्टर साइबर क्राइम थाना बृजेश कुमार यादव के मुताबिक सर्विलांस की मदद से जालसाजों का पता लगाया जा रहा है।

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    बैंक जाकर आरटीजीएस की रकम

    आशा ने बताया कि बैंक जाकर रकम आरटीजीएस की। उन्होंने पहली बार 29 सितंबर को अपने जहानाबाद फतेहपुर सेंट्रल बैंक खाते से अभिषेक शर्मा नाम के व्यक्ति के खाते में दस लाख रुपये जमा किए। इसके बाद 3 अक्टूबर को 14,50,000 प्रीति एम और आठ अक्टूबर को लखनऊ के खाते से गुगलावथ वूयेश कुमार के खाते में 10.10 लाख रुपये जमा कराए। पीड़िता ने इसके बाद जालसाजों से संपर्क किया तो उनका मोबाइल बंद आने लगा। इसकी जानकारी परिजन व परिचितों को दी। तब ठगी की जानकारी हुई।

    इस तरह से बच सकते हैं

    • रुको और सोचें: अगर आपको ऐसा कोई काल आता है, तो घबराएं नहीं और सोचें कि काल करने वाला वाकई पुलिसकर्मी है या कोई और।
    • सरकारी एजेंसी की जांच : कोई भी सरकारी एजेंसी आनलाइन या मोबाइल फोन कर पूछताछ नहीं करती है, इसलिए इस तरह के काल से सावधान रहें।
    • शिकायत दर्ज करें: अगर आप शिकार हो गए हैं, तो तुरंत पुलिस या साइबर अपराध विभाग में शिकायत दर्ज करें।