यूपी में फर्जी डिग्री वाले 22 शिक्षकों को किया गया बर्खास्त, वेतन की होगी वसूली; FIR दर्ज करने का आदेश
माध्यमिक शिक्षा में सहायक अध्यापक पदों पर हुई नियुक्तियों की जांच में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। सत्यापन में 22 शिक्षकों के प्रमाणपत्र फर्जी पाए गए। माध्यमिक शिक्षा विभाग ने इनकी सेवाएं समाप्त करते हुए वेतन की रिकवरी और एफआईआर दर्ज कराने का आदेश दिया है। ये सभी नियुक्तियां वर्ष आजमगढ़ मंडल में 21 अप्रैल 2014 में हुई थी।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। माध्यमिक शिक्षा में सहायक अध्यापक पदों पर हुई नियुक्तियों की जांच में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। सत्यापन में 22 शिक्षकों के प्रमाणपत्र फर्जी पाए गए। माध्यमिक शिक्षा विभाग ने इनकी सेवाएं समाप्त करते हुए वेतन की रिकवरी और एफआईआर दर्ज कराने का आदेश दिया है। ये सभी नियुक्तियां वर्ष आजमगढ़ मंडल में 21 अप्रैल 2014 में हुई थी। वर्तमान में ये सभी शिक्षक स्थानांतरण के बाद अलग-अलग कॉलेजों में कार्यरत हैं।
शिक्षा निदेशक माध्यमिक की ओर से एलटी (स्नातक) के रिक्त पदों को भरने के लिए समाचार पत्रों के विज्ञापन के माध्यम से आवेदन पत्र आमंत्रित किए थे। यह नियुक्ति वर्ष 2014 में हुई थी। इन नियुक्तियों में हाईस्कूल, इंटरमीडिएट, स्नातक व प्रशिक्षण अर्हता के आधार पर मेरिट बनाकर काउंसिलिंग के जरिये चयन किया गया था। लेकिन दस्तावेजों की गहन जांच में कई अभ्यर्थियों के प्रमाणपत्र कूटरचित मिले।
करीब 11 वर्ष के बाद फर्जी अभिलेखों के आधार पर नियुक्त 22 शिक्षकों की सेवाएं तत्काल समाप्त कर दी गई हैं। साथ ही, उनके द्वारा अब तक प्राप्त वेतन की वसूली (रिकवरी) की जाएगी। इसके अतिरिक्त संबंधित शिक्षकों के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराने के आदेश भी जारी किए गए हैं। माध्यमिक शिक्षा विभाग ने यह कार्रवाई माध्यमिक शिक्षा निदेशक के निर्देश पर की है और संबंधित जिलों के जिला विद्यालय निरीक्षकों को सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं।
लाखों रुपये की आएगी रिकवरी
एलटी ग्रेड में शिक्षकों की शुरुआती वेतन करीब 55 हजार रुपये महीने होती है। जो वरिष्ठता के हिसाब से इस समय 75 हजार रुपये महीने हो गई है। ऐसे में अगर औसत 60 हजार रुपये महीने के हिसाब से एक वर्ष के वेतन की गणना करें तो 7,20,000 रुपये हुए। इस तरह से 11 वर्ष में प्राप्त वेतन का आकलन करें तो यह 79,20,000 रुपये हुए। ऐसे में एक शिक्षक से करीब 79 से 80 लाख रुपये बैठता है। सवाल यह है कि 11 वर्ष से ये शिक्षक फर्जी प्रमाणपत्रों से नौकरी करते रहे और सत्यापन में इतना समय लग गया। अब इन शिक्षकों से लाखों रुपये की रिकवरी कैसे होगी?
ये हैं वे 22 शिक्षक जिनकी नौकरी गई
1. विनय कुमार यादव - गणित/विज्ञान - राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय देवदह, मऊ
2. पवन कुमार - जीव विज्ञान - राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय कबूलपुर, बाराबंकी
3. अतुल प्रकाश वर्मा - अंग्रेजी -राजकीय हाईस्कूल काजीबेहटा, बाराबंकी
4. अंकित धर्मा - हिंदी - राजकीय हाईस्कूल काजीबेहटा, बाराबंकी
5. लक्ष्मी देवी - गणित/विज्ञान - राजकीय हाईस्कूल रसूलपुर, बाराबंकी
6. विवेक सिंह - जीव विज्ञान - राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय चककुचाई, मऊ
7. राज रजत वर्मा - अंग्रेजी - राजकीय इंटर कालेज सैरपुर, लखनऊ
8. रोहिणी शर्मा - गणित/विज्ञान - राजकीय बालिका इंटर कालेज बेहटा, लखनऊ
9. अमित गिरी - सामान्य विषय - राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय महोना, बुलंदशहर
10. रूचि सिंघल - अंग्रेजी - राजकीय हाईस्कूल सोना, सहारनपुर
11. प्रियंका - गृह विज्ञान - राजकीय हाईस्कूल दानापुर कयामपुर, बाराबंकी
12. नूतन सिंह - अंग्रेजी - राजकीय बालिका हाईस्कूल पुलन्दर, कानपुर देहात
13. दीपा सिंह - हिंदी - राजकीय बालिका हाईस्कूल गोतवां मझवां, मीरजापुर
14.अनीता रानी - हिंदी - पं. दीनदयाल उपाध्याय राजकीय इंटर कालेज, कटिहारी बड़राय, मऊ
15. प्रीति सिंह - अंग्रेजी - राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय देवगांव, आजमगढ़
16. नन्दिनी - गृह विज्ञान - राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सई जलालपुर, जौनपुर
17. आनंद सोनी - अंग्रेजी- राजकीय इंटर कालेज जैदपुर, बाराबंकी
18.गीता - हिंदी - राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय इटैली, आजमगढ़
19. सलोनी अरोरा- अंग्रेजी - राजकीय हाईस्कूल मित्तई देवा, बाराबंकी
20. किरन मौर्या - सामान्य विषय - राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय एकइल, बलिया
21. रूमन विश्वकर्मा - सामान्य विषय - राजकीय बालिका इंटर कालेज बगवार, आजमगढ़
22. सरिता मौर्या - सामान्य विषय - राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय रजौली, बलिया
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