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    यूपी की 16 लोकसभा सीटों पर मैदान में 171 प्रत्याशी, हेमा मालिनी-चंद्रशेखर समेत ये चर्चित नाम हैं शाम‍िल

    Updated: Tue, 09 Apr 2024 11:50 AM (IST)

    Lok Sabha Election 2024 लोकसभा चुनाव को लेकर सियासी सरगर्मियां तेज हैं। पहले व दूसरे चरण के लिए नामांकन व नाम वापस लेने की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। इस बार पहले दो चरणों में अलग-अलग कारणों से चर्चित कई चेहरे भी मैदान में डटे हुए हैं। मथुरा हेमा मालिनी पीलीभीत से जितिन प्रसाद तो कैराना इकरा हसन मैदान में हैं।

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    यूपी की 16 लोकसभा सीटों पर मैदान में 171 प्रत्याशी, हेमा मालिनी-चंद्रशेखर समेत ये चर्चित नाम हैं शाम‍िल

    प्रदेश में अठारहवीं लोकसभा के चुनाव के पहले दो चरणों में अलग-अलग कारणों से चर्चित कई चेहरे भी मैदान में डटे हैं। कोई अभिनय के क्षेत्र में सफल पारी खेलने के बाद राजनीति में मजबूती से पैर जमा चुका है तो कोई चुनाव के जरिये इस क्षेत्र में पदार्पण कर रहा है।

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    कुछ ऐसे भी हैं जो परिवार की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने के लिए चुनावी जंग में कूदे हैं तो कुछ अन्य कारणों से चर्चा में रहे। प्रस्तुत है विशेष संवाददाता राजीव दीक्षित की रिपोर्ट...

    हेमा मालिनी

    रुपहले पर्दे पर अपनी अदाकारी और मनमोहक अदाओं से ‘ड्रीम गर्ल’ का रुतबा हासिल करने वाली हेमा मालिनी किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं। मथुरा से लगातार दो बार भाजपा सांसद हेमा अब इसी सीट से चुनाव के लिए फिर मैदान में हैं।

    जनप्रतिनिधि के रूप में पार्टी को उन पर इतना भरोसा है कि उन्हें लगातार तीसरी बार लोकसभा में मथुरा का प्रतिनिधित्व करने का अवसर देने के लिए भाजपा ने 75 वर्ष की आयुसीमा की बंदिश को भी दरकिनार कर दिया। हालांकि इसके संकेत पिछले वर्ष नवंबर में संत मीराबाई की 525वीं जयंती पर मथुरा में आयोजित ब्रजरज समारोह में ही मिल गए थे।

    समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हेमा मालिनी की प्रशंसा करते हुए कहा था कि वह ब्रज में रम गई हैं।

    अरुण गोविल

    फिल्मों में अभिनय के साथ मशहूर टेलीविजन धारावाहिक ‘रामायण’ में भगवान राम का किरदार निभाकर घर-घर में पहचान बनाने वाले अरुण गोविल की लोकसभा चुनाव में एंट्री ने मेरठ को चर्चित सीट बना दिया है।

    मार्च 2021 में भाजपा की सदस्यता ग्रहण करने के बाद जब बीती 22 जनवरी को वह अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर आयोजित प्राण प्रतिष्ठा समारोह में अतिथि के रूप में पहुंचे थे, तभी से उन्हें लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी बनाए जाने की अटकलें लगाई जा रही थीं।

    वैसे रामायण धारावाहिक में प्रभु राम का किरदार निभाते हुए अरुण गोविल ने वर्ष 1988 में इलाहाबाद में हुए लोकसभा उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी सुनील शास्त्री के लिए प्रचार भी किया था। शास्त्री वह उपचुनाव जनमोर्चा के प्रत्याशी विश्वनाथ प्रताप सिंह से हार गए थे।

    संजीव बालियान

    केंद्रीय राज्यमंत्री संजीव बालियान लोकसभा चुनाव में मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट से फिर मैदान में उतरे हैं। वह दो बार लोकसभा का चुनाव जीत चुके हैं। इस बार उनका इरादा तो हैट्रिक लगाने का है, लेकिन इसमें वह कितना सफल होंगे, यह परिणाम बताएंगे।

    लोकसभा चुनाव के पहले दो चरणों में प्रदेश की जिन सीटों पर मतदान होगा, उन पर ताल ठोंकने वाले वह केंद्र सरकार के इकलौते मंत्री हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में उन्होंने कड़े मुकाबले में रालोद के मुखिया चौधरी अजित सिंह को शिकस्त दी थी।

    जितिन प्रसाद

    शाहजहांपुर के बड़े राजनीतिक घराने के वारिस जितिन प्रसाद योगी सरकार के एकमात्र कैबिनेट मंत्री हैं, जिन्हें भाजपा ने लोकसभा चुनाव में टिकट थमाया है। वह भी उस पीलीभीत सीट से जो अरसे से गांधी परिवार की छोटी बहू मेनका गांधी और उनके पुत्र वरुण गांधी को आशीर्वाद देती आई है।

    वरुण का टिकट काटकर भाजपा ने इस बार जितिन पर भरोसा जताया है। वह जून 2021 में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे। भाजपा ने उन्हें एमएलसी बनाने के साथ योगी सरकार के पहले कार्यकाल में प्राविधिक शिक्षा मंत्री बनाया था।

    योगी सरकार के दूसरे कार्यकाल में उन्हें लोक निर्माण विभाग का जिम्मा सौंपा गया। कांग्रेस में रहते हुए जितिन ने 2004 में शाहजहांपुर और 2009 में धौरहरा से लोकसभा चुनाव जीते थे और केंद्र की तत्कालीन मनमोहन सरकार में राज्य मंत्री बने थे।

    इमरान मसूद

    सहारनपुर के मशहूर काजी खानदान के वारिस इमरान मसूद अपने गृह जिले की लोकसभा सीट से बतौर कांग्रेस उम्मीदवार संसद पहुंचने की तैयारी में जुटे हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री काजी रशीद मसूद के भतीजे इमरान सहारनपुर नगर पालिका परिषद के चेयरमैन और यहां की मुजफ्फराबाद (अब बेहट) सीट से 2007 में निर्दल विधायक चुने गए थे लेकिन इसके बाद से अब तक उन्हें चुनावी सफलता का इंतजार है।

    वर्ष 2012 में उन्होंने नकुड़ सीट से कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा लेकिन हार गए। 2014 के लोकसभा चुनाव में वह बतौर कांग्रेस प्रत्याशी भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी को लेकर अपने आपत्तिजनक बयान के कारण विवादों में घिरे और चुनाव हार गए।

    2019 के लोकसभा चुनाव में भी उन्हें सफलता नहीं मिली तो 2022 के विधान सभा चुनाव से पहले वह सपा की साइकिल पर सवार हो गए। वहां कुछ हासिल न हुआ तो बसपा में चले गए। बसपा से निष्कासित होने पर वापस कांग्रेस में आए हैं। यह बात और है कि पहले दोनों प्रयासों में उन्हें सफलता नहीं मिल पाई।

    इकरा हसन

    कैराना के चर्चित हसन परिवार की बेटी इकरा हसन राजनीतिक विरासत को बढ़ाने के लिए इस सीट से बतौर सपा प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। इकरा भले ही अपना पहला चुनाव लड़ रही हों, लेकिन वर्ष 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में उन्होंने तब सलाखों के पीछे कैद अपने भाई नाहिद हसन के चुनाव प्रबंधन की कमान संभाली थी।

    नाहिद लगातार तीन बार से कैराना से सपा के विधायक हैं। लंदन विश्वविद्यालय से इंटरनेशनल ला एंड पालिटिक्स में परास्नातक इकरा के परिवार का राजनीति से पुराना नाता रहा है। उनके दादा अख्तर हसन 1984 में कैराना से सांसद चुने जा चुके हैं।

    उनके दिवंगत पिता मुनव्वर हसन को संसद और विधानमंडल के दोनों सदनों के प्रतिनिधित्व का गौरव प्राप्त है। पिता के न रहने पर राजनीति में कदम रखने वाली उनकी मां तबस्सुम हसन भी दो बार कैराना से सांसद निर्वाचित हो चुकी हैं।

    दानिश अली

    पिछले लोकसभा चुनाव में बसपा के टिकट पर अमरोहा से सांसद निर्वाचित हुए कुंवर दानिश अली अब इसी सीट से कांग्रेस उम्मीदवार हैं। वह पिछले वर्ष सितंबर में तब सुर्खियों में आए जब संसद में चंद्रयान-3 की सफलता पर चर्चा के दौरान भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी ने उन पर आपत्तिजनक टिप्पणियां की थीं, तब कांग्रेस नेता राहुल गांधी बसपा सांसद के प्रति सहानुभूति और एकजुटता दिखाने के लिए उनसे मिलने उनके घर गए थे।

    तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा के संसद से निष्कासन के विरोध में दानिश अली धरने पर बैठे तो कांग्रेस से बढ़ती नजदीकियों के दृष्टिगत बसपा सुप्रीमो मायावती को उनका यह आचरण रास नहीं आया और उन्होंने दानिश को पार्टी से निष्कासित कर दिया। इससे पूर्व जनता दल (सेक्यूलर) के महासचिव रह चुके दानिश पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा के करीबियों में थे। उनके दादा कुंवर महमूद अली भी सांसद और मध्य प्रदेश के राज्यपाल रह चुके हैं।

    चंद्रशेखर आजाद

    अंबेडकरवादी कार्यकर्ता और अधिवक्ता चंद्रशेखर आजाद भी प्रदेश में अठारहवीं लोकसभा के चुनाव रण में उतरे चर्चित चेहरों में से एक हैं। वह नगीना (अनुसूचित जाति) सीट से आजाद समाज पार्टी के प्रत्याशी हैं। पहले भीम आर्मी और बाद में आजाद समाज पार्टी के संस्थापक चंद्रशेखर आजाद वर्ष 2017 में सहारनपुर में दलितों और ठाकुरों के बीच हुए हिंसक संघर्षों के दौरान पुलिस द्वारा की गई गिरफ्तारी से चर्चा में आए थे।

    गिरीश चंद्र

    बसपा सांसद गिरीश चंद्र पार्टी के 10 लोकसभा सदस्यों में इकलौते सांसद हैं जिनका टिकट न काटते हुए बसपा अध्यक्ष मायावती ने उन्हें अठारहवीं लोकसभा के चुनाव में फिर प्रत्याशी बनाया है। सत्रहवीं लोकसभा में वह नगीना (अनुसूचित जाति) सीट से चुनाव जीते थे लेकिन इस बार पार्टी ने उन्हें बुलंदशहर सीट से मैदान में उतारा है।

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