Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    अष्ट चक्र से शरीर रहेगा दुरुस्त

    By Edited By:
    Updated: Mon, 20 Jun 2016 08:35 PM (IST)

    जागरण संवाददाता, लखनऊ : योग न सिर्फ बीमारियों के सिस्टम को दूर करता है, बल्कि शरीर के पूरे सिस्टम

    जागरण संवाददाता, लखनऊ :

    योग न सिर्फ बीमारियों के सिस्टम को दूर करता है, बल्कि शरीर के पूरे सिस्टम को भी ठीक करता है। यह एक संपूर्ण वैज्ञानिक चिकित्सा पद्धति है। योग सिर्फ आसन या प्राणायाम तक ही सीमित नहीं है, इसका मतलब अष्टाग योग से है। यह कहना है बलरामपुर अस्पताल के योग एवं प्राकृतिक चिकित्सक डॉ. नंदलाल यादव का।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    - चिकित्सा विज्ञान से जुड़ा चक्र

    योग की पौराणिक मान्यता में अष्ट चक्र का जिक्र है। ये मूलाधार, स्वाधिष्ठान, मणिपुर, ह्रदय, अनाहत, आज्ञा व सहस्त्रार को जागृत करते हैं। वहीं, चिकित्सा विज्ञान में इन आठों चक्रों को रिप्रोडक्टरी, एक्स्क्रेटरी, डाइजेस्टिव स्केलेटन, सर्कुलेटरी, रेस्पिरेटरी, नर्वस व एंडोक्राइन सिस्टम कहा जाता है। यदि ये आठों सिस्टम दुरुस्त हों तो शरीर में बीमारी नहीं फटक सकती है।

    - ऐसे रखें दुरुस्त

    शरीर के इन आठों चक्रों को ठीक रखने के लिए आठ प्राणायाम हैं। भस्त्रिका, कपालभाती व उसकी सहायक क्रियाएं अग्निसार, उज्जायी, अनुलोम-विलोम, भ्रामरी, उदगीथ व प्रणव का ध्यान है। इसमें भस्त्रिका, कपालभाती व बाह्य प्राणायाम की प्रक्रिया रिप्रोडक्टरी एक्स्क्रेटरी, डाइजेस्टिव व स्केलेटन सिस्टम को समग्र रूप से संतुलित व स्वस्थ बनाती हैं। वहीं, अनुलोम-विलोम, भ्रामरी, उदगीथ व प्रणव प्राणायाम सर्कुलेटरी, रेस्पिरेटरी, नर्वस व एंडोक्राइन सिस्टम को पूर्णत: संतुलित कर निरोग बनाती हैं।

    -----------

    -जानें योग के गुण

    -थायरॉयड की समस्या में कपालभाती करें, ये नाड़ी शोधन में सहायक साबित होगा। इसके अलावा सूर्यभेदी प्रणायाम व भस्त्रिका काफी फायदेमंद रहेगा।

    - बैकपेन में यदि फ्रैक्चर न हो तो शलभासन व मकरासन नियमित करने से लाभ होता है।

    -डायबिटीज व हाथ-पैर की समस्या में मत्स्येंद्र आसन करें।

    - सिर दर्द में कपालभाती और भ्रामरी प्राणायाम करें। इसके साथ-साथ सूर्य नमस्कार भी करें।

    -बेचैनी और घबराहट की समस्या होने पर सूक्ष्म योगासन करें।

    -पेट अधिक निकलने व वजन बढ़ने पर उत्तानपादासन करें। इसके अलावा सप्ताह में दो-तीन बार कुंजल क्रिया करें।

    -सफर करने में चक्कर और उल्टी आने पर नाड़ी शोधन का अभ्यास करें। इसके आलावा प्राणायाम व सूर्य नमस्कार से भी लाभ मिलेगा।

    -स्किन संबंधी समस्या दूर करने के लिए शरीर शुद्धीकरण का प्रयास करें। सूर्य नमस्कार से भी लाभ मिलेगा।