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मझरा पूरब में बाघ ने ग्रामीण को बनाया निवाला

लखीमपुर उत्तर निघासन रेंज में बाघ ने फिर दहशत फैलाना शुरू कर दिया है। बुधवार सुबह ख

By JagranEdited By: Published: Thu, 17 Jun 2021 10:44 PM (IST)Updated: Thu, 17 Jun 2021 10:44 PM (IST)
मझरा पूरब में बाघ ने ग्रामीण को बनाया निवाला

लखीमपुर : उत्तर निघासन रेंज में बाघ ने फिर दहशत फैलाना शुरू कर दिया है। बुधवार सुबह खेत में जानवरों के लिए चारा लेने गए ग्रामीण को बाघ ने निवाला बना लिया। गुरुवार सुबह ग्रामीणों की तलाश के बाद क्षत-विक्षत शव जंगल के किनारे बरामद हुआ है। वन विभाग की टीमें मौके पर पहुंचीं, हालांकि अभी बाघ की लोकेशन नहीं मिल पाई है।

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मझरा पूरब इलाके के गांव दुमेड़ा निवासी शिवकुमार निषाद (40) बुधवार सुबह खेत में गया था। वन कर्मचारियों का कहना है कि शिवकुमार जंगल के अंदर चला गया जहां पर बाघ, बाघिन अपने दो शावकों के साथ डेरा जमाए हैं। बुधवार देर शाम तक जब शिवकुमार घर नहीं लौटा तो घरवालों व ग्रामीणों को चिता सताने लगी। गुरुवार सुबह ग्रामीण शिव कुमार की तलाश में जंगल की ओर गए। काफी तलाश के बाद नानकपुर के पास जंगल किनारे पर शिवकुमार का शव बरामद हुआ। ग्रामीणों की सूचना पर वन कर्मी भी मौके पर पहुंच गए। बाघ द्वारा शिव कुमार को निवाला बनाए जाने की घटना के बाद से परिवारजन का रो-रो कर बुरा हाल है। इस घटना से ग्रामीण भी दहशत में हैं। इधर डीडी बफरजोन डॉ. अनिल पटेल का कहना है कि मजरा पूरब में सुरक्षा खाई पहले से ही खोदवाई गई है। वहां पर एसटीपीएफ भी तैनात है, लेकिन ग्रामीण जंगल में चले जा रहे हैं। जहां पर घटना हुई है, वहां बाघ बाघिन और दो शावक भी है। ग्रामीणों को जागरूक होने की जरूरत है। फिलहाल मौके पर उत्तर निघासन के रेंजर व कतर्नियाघाट के रेंजर को भेजा गया है। राज्य आपदा कोष से शिवकुमार के आश्रितों को नियमानुसार मुआवजा दिलाने की प्रक्रिया शुरू की जा रही है। डीडी ने ग्रामीणों से सतर्क रहने व जंगल की ओर न जाने की अपील भी की है। वनकर्मियों को कांबिग के दौरान बाघ बाघिन की लोकेशन जंगल पर अंदर ही मिली है। खेत में मिले बाघ के पगचिह्न, बढ़ी ग्रामीणों की मुसीबत छुपने लायक गन्ने की फसल होते ही फिर बाघ आदि वन्यजीवों का भटकाव खेतों एवं आबादी की तरफ होने की शुरुआत हो गई है। इससे ग्रामीणों की मुसीबतें बढ़ गई हैं। मढि़या और अजान के मध्य दिनेश वर्मा के खेत में ग्रामीणों ने गुरुवार को बाघ के पगचिह्न देखे तो उनके होश उड़ गए। दरअसल महेशपुर रेंज की आंवला बीट जंगल से यह इलाका मात्र करीब चार किलोमीटर दूर है। ऐसे में अनुमान है कि उक्त वन्यजीव वहीं से भटककर गन्ने के रास्ते यहां आ पहुंचा है। इस रेंज में दो साल पहले 20 से अधिक बाघ व तेंदुआ कैमरा ट्रैप में रिकॉर्ड हुए थे। गन्ना बड़ा होने से कटने तक इनकी मौजूदगी खेतों में बनी रहती है। बाघ के हमलों में आधा दर्जन से अधिक लोगों की मौतें हो चुकी हैं। वहीं एक दर्जन अधिक लोग घायल हुए हैं। वन रक्षक श्याम किशोर शुक्ला ने बताया कि मिले पगचिह्न तेंदुआ के हो सकते हैं। इसलिए ग्रामीणों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है। ग्रामीण खेतों में कृषि कार्य के लिए समूह में जाएं एवं हाका लगाएं।


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