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    यूपी के इस जिले में तेजी से फैल रहा लंपी रोग, स्वास्थ्य विभाग गांव में जाकर लोगों को कर रहा जागरूक

    Updated: Mon, 22 Sep 2025 02:43 PM (IST)

    लखीमपुर खीरी जिले में लंपी स्किन डिजीज के मामले सामने आने के बाद पशुपालन विभाग ने अलर्ट जारी किया है। पशुपालकों को जागरूक किया जा रहा है और टीकाकरण अभियान तेज कर दिया गया है। डिप्टी सीबीओ डॉ. हनी सक्सेना ने बताया कि यह रोग गोवंशीय पशुओं को प्रभावित करता है जिससे शरीर पर गांठें निकल आती हैं।

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    पशुओं में लंपी रोग फैलने से सतर्क हुआ विभाग।

    राकेश मिश्र, लखीमपुर। जिले में मितौली और बेहजम सहित कुछ स्थानों पर लंपी स्किन डिजीज का मामला सामने आया है। पशुपालन विभाग ने अलर्ट जारी कर दिया है। विभागीय अफसर गांव-गांव जाकर पशुपालकों को जागरूक कर रहे हैं। गोशालाओं में साफ-सफाई और रोकथाम के उपाय समझाए जा रहे हैं।

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    पशु चिकित्सालयों व चिकित्सकों को भी मुस्तैद कर दिया गया है। मितौली क्षेत्र के दरी नगरा ग्राम पंचायत में कुछ पशुओं में संक्रमण जैसे लक्षण दिखने पर टीकाकरण अभियान और तेज कर दिया गया है।

    डिप्टी सीबीओ डॉ. हनी सक्सेना ने बताया कि यह वायरस जनित रोग है, जो खासकर गोवंशीय पशुओं को प्रभावित करता है। इसमें पशुओं के शरीर पर गांठें निकल आती हैं, जो बाद में घाव का रूप ले लेती हैं। पशुओं को तेज बुखार, नाक व मुंह से स्राव, भूख कम लगना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।

    सावधानी ये बरतें

    विशेषज्ञों ने पशुपालकों को सलाह दी है कि बीमार पशुओं को स्वस्थ पशुओं से अलग रखें और तुरंत पशु चिकित्सक से संपर्क करें। बाड़ों में नियमित रूप से मच्छर-मक्खी रोधी दवा का छिड़काव करें, नीम की पत्तियों और गूगल का धुआं करें। सोडियम हाइपो क्लोराइट (2 प्रतिशत) का छिड़काव भी कारगर है।

    मुख्य पशु चिकित्साधिकारी का वर्जन

    मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. दिनेश सचान ने बताया कि जिले में लंपी रोग से बचाव को लेकर बड़े पैमाने पर टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है। पहले चरण में गोवंशीय पशुओं को प्राथमिकता दी गई है।

    विभाग को अब तक 53 हजार वैक्सीन प्राप्त हुई हैं, जिनमें से दस हजार से अधिक खुराक पशुओं को दी जा चुकी हैं। उन्होंने पशुपालकों से अपील की कि वे सतर्क रहें और लक्षण दिखने पर तत्काल विभाग को सूचित करें।

    कंट्रोल रूम

    राजकीय पशु चिकित्सालय सदर

    मोबाइल नंबर – 8932017007

    जिले की स्थिति एक नजर में

    • कुल गोआश्रय स्थल- 144
    • अस्थायी- 127
    • बृहद गोसंरक्षण केंद्र- 7
    • जिला पंचायत संचालित- 2
    • नगर पालिका संचालित- 6
    • निर्माणाधीन बृहद आश्रय स्थल- 2
    • संरक्षित गोवंश- 34,890
    • पशु अस्पताल- 42
    • पशु सेवा केंद्र- 32
    • पशु चिकित्सक- 16
    • फार्मासिस्ट- 12
    • पशुधन प्रसार अधिकारी- 19