UP Fog: कोहरे में जानलेवा साबित होंगी धूमिल हाईवे की सफेद पट्टियां, अधिकारियों ने दिए सख्त निर्देश
उत्तर प्रदेश में कोहरे के कारण हाईवे पर बनी सफेद पट्टियां धुंधली हो गई हैं, जिससे वे जानलेवा साबित हो सकती हैं। संबंधित ठेकेदार को इन पट्टियों को तुरंत ठीक करने के निर्देश दिए गए हैं और जल्द ही इस पर काम शुरू हो जाएगा।

रवींद्र नगर धूस स्थित बेलवा मिश्र के सामने एनएच 28 बी पर नहीं बनाई गयी सफेद पट्टी। जागरण
जागरण संवाददाता, पडरौना। स्टेट हाईवे, एनएच 28 बी समेत अन्य प्रमुख मार्गों के किनारे बनाई गईं सफेद पट्टियाें के धूमिल होने से कोहरे में खतरनाक साबित होगी। अधिकारियों की सुरक्षा की अनदेखी से कुशीनगर में हाईवे पर एक गंभीर समस्या बनी हुई है। सड़कों पर खींची गई सफेद पट्टियां (लेन मार्किंग) जो ड्राइवरों को लेन अनुशासन, सड़क की चौड़ाई और सुरक्षित दिशा का स्पष्ट संकेत देती हैं, अब कई प्रमुख हिस्सों में पूरी तरह से धूमिल हो चुकी हैं।
स्थिति यह है कि कसया से कटी हाईवे पर कसाडा चौक से लेकर पडरौना तक 18 किमी की दूरी के बीच कहीं भी सफेद पट्टी नहीं है। इससे वाहन चालकों में हादसे का डर सताने लगा है। कुशीनगर से बिहार के छपिया तक के 180 किमी दूरी में लगभग 60 किमी सड़क कुशीनगर से होकर गुजरी है।
इस सड़क पर पांच वर्ष पूर्व सफेद पट्टियां लगाई गईं थी, जो दोनों किनारे व बीच में मिट गई हैं। कोहरा में पट्टियों के दिखाई न देने से सड़क के किनारों का अंदाजा नहीं मिल पाएगा। इससे वाहन चालकों व बाइक सवारों को लेन दिखाई नहीं पड़ेगी।
विपरीत दिशा से आ रहे वाहनों के भ्रमित होने पर भिड़ंत होने का अंदेशा रहता है। सफेद पट्टी के सहारे आगे बढ़ने वाले बाइक सवार अनियंत्रित होकर सड़क के किनारे गड्ढे में चले जाते हैं।हालांकि अभी कोहरा शुरू नहीं हुआ है।
जिला सड़क सुरक्षा समिति की बैठक में उठ चुका है मुद्दा
पिछले महीने जिला सड़क सुरक्षा समिति की बैठक में राजमार्गों के लगभग 60 हिस्से पर लेन मार्किंग या तो पूरी तरह से गायब हैं या इतनी फीकी पड़ गई हैं कि उन्हें पहचानना लगभग असंभव है, को लेकर डीएम महेंद्र सिंह तंवर के समक्ष मुद्दा उठा था, जिस पर उन्होंने तत्काल कार्रवाई के निर्देश दिए थे। बावजूद इसके संबंधित विभाग ने द्वारा पेंटिंग नहीं कराया गया।
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विशेष रूप से मोड़, ढलानों और डिवाइडर-रहित हिस्सों के पास, जहां सबसे ज्यादा सतर्कता की जरूरत होती है, वहां भी ये सुरक्षा निशान मौजूद नहीं हैं। तकनीशियन के मानकों के अनुसार, रिफ्लेक्टिव (चमकीली) पट्टियां अनिवार्य होती हैं ताकि वे रात में हेडलाइट की रोशनी में चमक सकें। लेकिन जहां पट्टियां हैं भी, वे खराब गुणवत्ता के कारण जल्दी मिट गई हैं।
कहते हैं अधिकारी
धूमिल पट्टियों का अभाव सबसे बड़ा जोखिम रात के समय या खराब मौसम (जैसे घना कोहरा ) में पैदा करता है। खुद एआरटीओ मो.अजीम स्वीकार करते हैं कि कि सफेद पट्टियां ड्राइवर को लेन में रहने और विपरीत दिशा से आ रहे वाहनों से सुरक्षित दूरी बनाए रखने में मदद करती हैं। जब ये निशान नहीं दिखते, तो ड्राइवर अनुमान के आधार पर गाड़ी चलाते हैं, जिससे ओवरटेकिंग में गलती, आमने-सामने की टक्कर या गड्ढे में पलटने का खतरा बना रहता है।
पिछले वर्ष यहां दुघर्टना पर गई जान
पिछले वर्ष कोहरे में बाड़ीपुल के समीप आठ, जानकीनगर में पांच, एफसीआइ गोदाम के समीप चार, रविंद्रनगर में दो, कसाडा चौक पर नौ लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा। इसका मुख्य कारण पीछे या आगे से भिड़ंत रही, क्योंकि यहां सफेट पट्टी धूमिल हो चुकी है।
हाईवे की धूमिल पट्टियाें को शीघ्र ही दुरुस्त कराया जाएगा। इसके लिए ठीकेदार को आवश्यक दिशा निर्देश दिए गए हैं। शीघ्र ही कार्य शुरू करा दिया जाएगा।
-अवधेश गुप्ता, अवर अभियंता, एनएच पीडब्ल्यूडी गोरखुपर

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