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    UP के इस जिले में एक दिन में सर्वाधिक वर्षा का टूटा रिकॉर्ड, 35 सालों में नहीं हुआ था ऐसा

    Updated: Tue, 07 Oct 2025 03:28 PM (IST)

    कुशीनगर में अक्टूबर में एक दिन की बारिश ने पिछले 35 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है जहाँ 4 अक्टूबर को 382.5 मिलीमीटर बारिश हुई। सामान्य से नौ गुना अधिक बारिश होने और अनियमित मानसून के कारण फसल उत्पादन प्रभावित हुआ है। कृषि विज्ञानियों ने किसानों को फसल विविधीकरण और मौसम आधारित कृषि योजनाओं को अपनाने की सलाह दी है ताकि वे नुकसान से बच सकें।

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    दक्षिण-पश्चिम मानसून का अनियमित होना खेती किसानी पर संकट का संकेत

    जागरण संवाददाता, पडरौना। कुशीनगर में अक्टूबर में एक दिन में सर्वाधिक वर्षा का 35 वर्षों का रिकार्ड टूट गया है। कृषि विज्ञान केंद्र सरगटिया के अनुसार चार अक्टूबर को अब तक की एक दिन में सर्वाधिक 382.5 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई। कृषि विज्ञान केंद्र, सरगटिया में स्थापित स्वचालित मौसम स्टेशन के अनुसार, चार अक्टूबर 2025 को 17 से 18 घंटों में 382.5 मिलीमीटर. वर्षा दर्ज की गई, जो पिछले 35 वर्षों में एक ही दिन में सर्वाधिक वर्षा का रिकार्ड है।

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    इससे पूर्व, 2021 में एक अक्टूबर को 197 मिलीमीटर तथा 2024 में 27 सितंबर को 148 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई थी। अक्टूबर की सामान्य वर्षा लगभग 42 मिलीमीटर होती है, जबकि इस वर्ष अक्टूबर के चार दिनों में ही यह सामान्य से नौ गुना अधिक रही।

    वहीं जनपद की वार्षिक सामान्य वर्षा 1038 मिलीमीटर की तुलना में अक्टूबर तक 1055 मिलीमीटर दर्ज की जा चुकी है, जो औसत से लगभग दो तीन प्रतिशत अधिक है। यह आंकड़े दर्शाते हैं कि वर्षा का वितरण अत्यधिक असमान है। कभी सूखा तो कभी अतिवृष्टि। इस प्रकार की अनियमित वर्षा से फसल उत्पादन, मिट्टी की उर्वरता एवं किसानों की आय पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।

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    क्या कहते हैं मौसम विज्ञानी

    कृषि विज्ञान केंद्र सरगटिया की मौसम विज्ञानी श्रुति वी सिंह ने बताया कि दक्षिण पश्चिम मानसून के अस्थिर एवं अनियमित प्रकृति खेती किसानी के लिए खतरा खड़ा कर सकती है। इस वर्ष स्पष्ट रूप से यह देखने को मिला है। कभी लंबा सूखे का दौर तो कभी अत्यधिक वर्षा। किसानों के लिए गंभीर चुनौती बनती जा रही है।

    खरीफ सीजन के दौरान, जब फसलों को सिंचाई की सर्वाधिक आवश्यकता थी, उस समय वर्षा का अभाव रहा। जब किसी तरह फसलें पक कर तैयार हुईं, हुई भारी वर्षा ने खेतों में जलभराव की स्थिति उत्पन्न कर दी। फसलों को नुकसान पहुंचा।

    किसानों को फसल विविधीकरण, जल संरक्षण के उपायों एवं मौसम पूर्वानुमान आधारित कृषि योजनाओं को अपनाना होगा।