Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Kushinagar Flood Alert: कम हुआ नारायणी का दबाव, मरम्मत कार्य में तेजी

    Updated: Thu, 25 Sep 2025 03:09 PM (IST)

    नेपाल में भारी बारिश के कारण नारायणी नदी में आई बाढ़ से छितौनी बांध पर खतरा मंडरा रहा था। जलस्तर बढ़ने से बांध और ठोकरों पर दबाव बढ़ गया था। हालांकि बारिश थमने और बैराज से डिस्चार्ज कम होने पर जलस्तर घट गया है जिससे बाढ़ खंड विभाग ने मरम्मत कार्य तेज कर दिया है। ग्रामीणों ने राहत की सांस ली है।

    Hero Image
    भैंसहा गांव के सामने 8.800 किमी के समीप बचाव कार्य करते मजदूर। जागरण

    संवाद सूत्र, पनियहवा। नेपाल में पिछले सप्ताह हुई भारी वर्षा और वाल्मीकिनगर बैराज से डिस्चार्ज बढ़ाए जाने के कारण नारायणी नदी उफान पर आ गई थी। अचानक जलस्तर में हुई वृद्धि से छितौनी बांध और ठोकरों पर दबाव बढ़ गया था। भैंसहा गांव के समीप स्थित ठोकर का लांचिंग पैड पानी में बह गया था और कटान करती नदी बांध की तरफ बढ़ रही थी।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    नदी में पानी कम होने से बांध व ठोकर पर दबाव घटा है तो बाढ़ खंड विभाग की ओर से कराए जा रहे बचाव कार्य में तेजी आ गई है। बांध के समीपवर्ती गांवों के लोग राहत महसूस कर रहे हैं।

    भैंसहा गांव के सामने स्थित ठोकर से कुछ दूर 20 मीटर चौड़ाई और 25 मीटर लंबाई में मिट्टी को काटकर नदी धीरे-धीरे बांध की ओर बढ़ रही थी। बांध व नदी के बीच का फासला घटता जा रहा था। इस स्थिति से बांध के समीपवर्ती गांवों के लोग चिंतित थे तो विभाग भी अलर्ट मोड में आ गया था।

    राहत की बात यह है कि नेपाल में वर्षा थम जाने और बैराज से डिस्चार्ज में कमी से नारायणी का जलस्तर काफी कम हो गया है। अब जलस्तर चेतावनी बिंदु से 10 सेंटीमीटर नीचे 94.90 मीटर पर आ गया है। इससे बांध और ठोकरों पर बना दबाव भी कम हो गया है। बाढ़ खंड विभाग ने स्थिति को गंभीरता से लेते हुए मरम्मत कार्य में तेजी ला दी है।

    यह भी पढ़ें- सर्वाधिक दुर्घटना वाले 100 जिलों में गोरखपुर, कुशीनगर और बस्ती भी शामिल

    कटान रोकने के लिए मिट्टी भरी बोरियां डालने का काम कराया जा रहा है। विभागीय अधिकारी बांध को मजबूती देने व कमजोर स्थलों पर सुरक्षा सुनिश्चित करने पर ध्यान दे रहे हैं, ग्रामीण भी सहयोग कर रहे हैं। लोगों ने बताया कि जब पानी का दबाव बढ़ा था तो तटबंध के टूटने का डर सताने लगा था।

    विभाग सक्रिय नहीं हुआ होता तो स्थिति भयावह हो सकती थी। विशेषज्ञों का मानना है कि छितौनी बांध संवेदनशील जोन में आता है, इसलिए यहां खतरा बना रहता है। इस बार समय रहते हालात काबू में आ गए हैं। स्थायी समाधान के लिए ठोकरों को मजबूत करने और पक्का पिचिंग की आवश्यकता है।