साइबेरियन पक्षियों से गुलजार हुआ कुशीनगर का खजुआ ताल, करीब 5 हजार पक्षियाें ने डाला डेरा
कुशीनगर का खजुआ ताल साइबेरियाई पक्षियों से गुलजार हो गया है, जहाँ लगभग 5 हजार पक्षियों ने डेरा डाला है। सर्दियों की शुरुआत के साथ ही हर साल विदेशी पक् ...और पढ़ें
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सुखसवलिया के समीप खजुआ ताल के ऊपर मंडराते साइबेरिन पक्षी।
जागरण संवाददाता, कुशीनगर। मौसम अनुकूल होते ही पडरौना नगर के समीप सुसवलिया गांव के प्राचीन खजुआ ताल में साइबेरियन मेहमानों के आने का सिलसिला शुरू हो गया है। ऑस्ट्रेलियन सारस के अलावा लालसर, डिघौच, गैरी, करमा, करछा, गिर्रा, सारस, जांघिल, बगवद समेत देसी-विदेशी प्रजाति की लगभग पांच हजार पक्षियाें ने डेरा डाल दिया है।
बड़हरागंज रेलवे स्टेशन और पडरौना-कप्तानगंज मार्ग के दोआब में करीब डेढ़ सौ एकड़ में फैला खजुआ ताल पक्षियों को संरक्षण देता है। चारों ओर से गन्ने की फसल व जंगली घास से घिरा यह ताल पक्षियों के लिए सुरक्षित ठिकाना साबित होता है। ताल के ऊपर मंडरा रहे साइबेरियन पक्षी लोगों के आकर्षण का केंद्र रहते हैं।
बड़हरागंज रेलवे स्टेशन और पडरौना-कप्तानगंज मार्ग के दोआब में स्थित खजुआ ताल को देसी-विदेशी पक्षी अपना ठिकाना बनाए हुए हैं। लगभग तीन दशक पहले चार बड़े पोखरों की खोदाई करा कर सुसवलिया गांव के राजेश्वर पाठक ने मछली पालन शुरू किया तो ताल की सुरक्षा और बढ़ गई।
वैसे तो बहुत पहले से इस ताल में साइबेरियन पक्षियों का बसेरा रहता है, लेकिन शिकारियों की वजह से इनका ठहराव नहीं होता था। गर्मी के दिनों में ताल सूख भी जाता था। राजेश्वर ने मत्स्य पालन शुरू किया तो निजी साधन से ताल में पानी की व्यवस्था करते हैं।
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पोखरों पर तैनात चौकीदार ताल की सुरक्षा करते हैं, इससे कोई शिकारी पक्षियों को पकड़ने की कोशिश नहीं करता है। धीरे-धीरे सुरक्षा बढ़ती गई तो काफी संख्या में साइबेरियन पक्षियां यहां आने लगे। उनका ठहराव भी काफी समय तक रहता है। ऑस्ट्रेलियन सारस तो यहां अप्रैल-मई तक रहते हैं।

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