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    कुशीनगर में यूपी की पहली ‘स्पेस लैब’ तैयार, ISRO के मार्गदर्शन में बच्चों की वैज्ञानिक सोच भरेगी उड़ान 

    Updated: Sun, 28 Dec 2025 07:12 PM (IST)

    कुशीनगर की पडरौना नगरपालिका ₹15 लाख की लागत से प्रदेश की पहली 'स्पेस लैब' स्थापित कर रही है। यह लैब व्योमिका स्पेस और इसरो के सहयोग से संचालित होगी, ज ...और पढ़ें

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    अजय कुमार शुक्ल, कुशीनगर। नारायणी नदी के जीरो बंधा तट पर कैनसेट राकेट लांचिंग प्रतियोगिता ने छात्रों में अंतरिक्ष विज्ञान की जिस सोच को उड़ान दी थी निकाय स्तरीय ‘स्पेस लैब’ अब उसे बुनियादी ठौर देगी।

    पडरौना नगरपालिका प्रदेश की ऐसी पहली निकाय बनने जा रही है, जिसने स्पेस लैब बनाने की कल्पना को मूर्त रूप दिया है। नगरीय निकाय द्वारा वित्तपोषित जूनियर हाईस्कूल में निर्माणाधीन स्पेस लैब में 15 लाख का खर्च आ रहा है, जिसकी व्यवस्था पालिका कर रही है।  

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    देवरिया सांसद शशांक मणि त्रिपाठी की पहल पर बीते अक्टूबर में इन-स्पेस की ओर कुशीनगर में नारायणी नदी के तट पर माडल राकेट्री और कैनसेट इंडिया स्टूडेंट प्रतियोगिता आयोजित की गई थी। देशभर के 600 से ज़्यादा युवा विज्ञानियों ने अपने खुद के बनाए मिनी राकेट और सैटेलाइट (कैनसेट) लांच किए।

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    ग्रामीण अंचल के छात्रों में अंतरिक्ष विज्ञान के प्रति जिज्ञासा को शांत किया लेकिन सोच को नई उड़ान दे दी। यह प्रयोगशाला व्योमिका स्पेस, लखनऊ व इसरो एसएसी, अहमदाबाद के सहयोग से संचालित होगी जो ज्ञान-आधारित व्यावहारिक शिक्षा का केंद्र बनेगी।

    व्योमिका तकनीकी एवं शैक्षिक भागीदार होगा तो इसरो उसका मार्गदर्शन करेगा। लैब का उद्देश्य ग्रामीण छात्रों को अंतरिक्ष और वैज्ञानिक शिक्षा उपलब्ध कराना है। इसमें खगोलशास्त्र, रोबोटिक्स, ड्रोन, इसरो, राकेट एवं सैटेलाइट माडल जैसे 100 बड़े एवं छोटे प्रोजेक्ट्स शामिल होंगे।

    खगोल विज्ञान, राकेट, उपग्रह एवं रोबोटिक्स के माध्यम से वैज्ञानिक जिज्ञासा और क्षमताओं को विकसित किया जाएगा। इसरो के सहयोग से प्रशिक्षक आएंगे जो स्थानीय शिक्षकों को दो माह तक प्रशिक्षण देंगे।

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    टेलिस्कोप, स्टार गेजिंग नाइटस आदि उपकरण बच्चों में कौतुहल पैदा कर आगे बढ़ने को प्रेरित करेंगे। बुनियादी रोबोट किट, सेंसर-आधारित गतिविधियां और प्रोग्रामेबल कंट्रोल यूनिट रोमांच के साथ विज्ञानी सोच पैदा करेगी।

    प्रयोगशाला में खगोल अवलोकन इकाई बच्चों को उपकरणों के जरिये अंतरिक्ष की सैर करा कौतूहल को शांत करेगी। इसरो के प्रमुख राकेट/सैटेलाइट के माडल, मिशन-समझ अभियान भी शामिल होगा।

    बुनियादी रोबोट किट, सेंसर-आधारित गतिविधियां और प्रोग्रामेबल कंट्रोल यूनिट भी होगी। बच्चों को ड्रोन का भी प्रशिक्षण दिया जाएगा। इससे छात्रों में वैज्ञानिक सोच, अध्यन-रुचि और करियर की संभावना भी बढ़ेगी। उच्च शिक्षा एवं तकनीकी सेवा की ओर जाने वाला मार्ग भी तैयार होगा।

    नगर  के बच्चों की बेहतर शिक्षा के लिए लैब की स्थापना हो रही है। इसमें बच्चे राकेट, छोटे सैटेलाइट-टेलिमेट्री सिमुलेशन, प्रकाश ऊर्जा प्रयोग, खगोलीय मानचित्रण आदि के बारे में अच्छे से जान सकेंगे। इस पहल से बच्चों की भारतीय अंतरिक्ष प्रोग्राम के बारे में जानकारी बढ़ेगी, एक नए भविष्य की ओर वे देख सकेंगे।
    -विनय जायसवाल, नगरपालिका अध्यक्ष पडरौना