ISRO Rocket Launching: रॉकेट लांच के साथ खड़ा हुआ रोमांच, दिखा अंतरिक्ष का ज्ञान
कुशीनगर में इसरो के वैज्ञानिकों ने 1000 मीटर रॉकेट लॉन्चिंग का सफल परीक्षण किया। इस दो दिवसीय कैनसैट प्रतियोगिता का उद्देश्य छात्रों में अंतरिक्ष विज्ञान के प्रति रुचि बढ़ाना है। वैज्ञानिकों ने बच्चों में इस क्षेत्र के प्रति रुझान देखकर खुशी जताई। प्रतियोगिता में छात्रों ने अपने द्वारा बनाए गए सैटेलाइट भी लॉन्च किए।

जागरण संवाददाता, कुशीनगर। इसरो विज्ञानियों की टीम और अंतरिक्ष ज्ञान को फलक पर बिखेरती राॅकेट की लांचिंग। मानो इसरो दूर आसमान तक अपनी तकनीक व खोज को बताने का परीक्षण कर रहा हो, जिसे दुनिया भी मानती है।
राॅकेट जैसे ही 1000 मीटर ऊपर तक पहुंचा बच्चों संग लोगों की आंखें कौतूहल से चमक उठीं। इसी के साथ ज्ञान और अनुसंधान की तस्वीर खड़ी हुई। बच्चों में इसको लेकर जागरूकता खड़ी हुई तो विज्ञानियों के चेहरे पर भी खुशी का भाव दिखा।
कारण, उनकी भी यही मंशा थी, जागरूकता पैदा करना और आने वाली पीढ़ी को इससे जोड़ना। अवसर था तमकुहीराज के रकबा जंगलपट्टी में अंतरिक्ष विज्ञान को प्रोत्साहन देने को आयोजित दो दिवसीय दो दिवसीय कैनसेट प्रतियोगिता का।
रविवार सुबह लगभग दस बजे जैसे ही इसरो के विज्ञानियों की टीम व मौजूद अन्य कर्मचारियों ने लांचिंग की तैयारी शुरू की तो भीड़ में शामिल युवा, बुजुर्ग और बच्चों की आंखें टिक गईं। इन-स्पेस मॉडल रॉकेट्री, कैनसैट इंडिया स्टूडेंट कम्पटीशन 2025 का यह आयोजन एस्ट्रोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया द्वारा इन-स्पेस, इसरो व अन्य संस्थाओं के सहयोग से किया गया।
देशभर के कालेज और विश्वविद्यालयों के छात्रों ने विज्ञानियों की मौजूदगी में 1000 मीटर ऊंचाई तक रॉकेट व कैन आकार के सैटेलाइट डिज़ाइन और लांच किया। ट्रस्ट टेक इंडिया लांचर के रूप में रही।
रकवा जंगली पट्टी में मिसाइल प्रक्षेपण करते विज्ञानी। जागरण
इसरो विज्ञानी अभिषेक सिंह ने बताया कि "इन-स्पेस मॉडल रॉकेट्री-कैनसैट इंडिया छात्र प्रतियोगिता 2024-25" का आयोजन एस्ट्रोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया (एएसआई) द्वारा भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र (इन-स्पेस), इसरो और अन्य संघों के सहयोग से छात्र समुदाय के बीच अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी के प्रति रुझान पैदा करने के लिए किया जा रहा है। इसी के तहत यहां भी आयोजन किया गया है।
पहले दिन शनिवार को भारतीय प्रक्षेपण एजेंसी की क्षमताओं का आकलन करने के लिए तमकुही जंगली पट्टी में शाम पांच बजकर 14 मिनट 33 सेकेंड बजे राॅकेट का सफल परीक्षण किया गया। जिसके बाद एक छोटा सेटेलाइट बाहर आया।
जैसे ही वह पांच मीटर नीचे तक गिरा उसका पैराशूट एक्टिव होकर सेट लाइट धरती पर 400 मीटर के अंदर धरती पर आ गया। राॅकेट भी पैराशूट के सहारे धरती पर धीरे-धीरे आ गया जिसका वजन 15 किलो था. जिसमे 2 .26 का इंजन लगाया गया था ।इस दौरान 5 बजकर 14 मिनट 33 सेकेंड पर 2.6 सेकेंड के लिए ईंधन जला और राॅकेट सेट लाइट को ऊपर लेकर गया ।
बताया जा रहा है कि, इस तरह का लांचिंग कार्यक्रम अहमदाबाद यहां यानी कि कुशीनगर में किया गया है। रविवार को भी 1000 मीटर तक पुनः सफल लांचिंग हुई और वही ज्ञान संग रोमांच खड़ा हुआ है।
इस दौरान इसरो इंस्पेस के निदेशन विनोद कुमार, केके त्रिपाठी, विजया श्री, अनंत मधुकर, बृजेश सोनी, युधिष्ठिर आदि वरिष्ठ विज्ञानी व थ्रस्ट टेक इंडिया लिमिटेड के अमन अग्रवाल,अद्वैत सिधाना,सुभद्र गुप्ता, जिलाधिकारी महेंद्र सिंह, तवर, सीडीओ गुंजन द्विवेदी, एडीएम वैभव मिश्र, एसडीएम ऋषभ पुंडीर आदि उपस्थित रहे।
देवरिया सांसद शशांक मणि त्रिपाठी ने बताया कि रकबा जंगलीपट्टी में दो दिवसीय कैनसैट प्रतियोगिता संपन्न हुई । इसमें विद्यार्थी अपने द्वारा बनाए गए कैन साइज के सैटेलाइट भी लांच किए हैं। प्रतियोगिता का उद्देश्य छात्रों में स्पेस टेक्नोलॉजी के प्रति रुचि को बढ़ाना और उन्हें इस क्षेत्र में प्रोत्साहित करना है।
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