कुशीनगर में सवारी गाड़ी न चलाए जाने से बढ़ी परेशानी
कुशीनगर जिले के रेलवे स्टेशनों पर और आसपास दुकान चलाने वाले लोग रोजगार का संकट झेल रहे हैं।
कुशीनगर: कोरोना काल में लाकडाउन के बाद सरकार ने ट्रेनों का संचलन पूरी तरह बंद कर दिया। इससे लोगों को आवागमन में परेशानी हो रही है। ट्रेन न चलाए जाने से रेलवे स्टेशन वीरान हो गए हैं। ठेला-खोमचा वालों के सामने रोजगार का संकट खड़ा हो गया है। सबसे अधिक व्यवसायी व छात्र परेशान हैं। ट्रेन का किराया कम होने से माल मंगाने में आसानी रहती थी और दूसरे शहरों में पढ़ने वाले विद्यार्थी भी आसानी जाते-आते थे।
गोरखपुर-नरकटियागंज रेल खंड पर अनलाक के बाद एक साप्ताहिक व एक एक्सप्रेस गाड़ी चलाई जा रही है। पैसेंजर गाड़ियों के न चलने से दिक्कत खड़ी हुई है। ट्रेन चलती है तो खड्डा व पनियहवा स्टेशन से सैकड़ों लोगों का प्रतिदिन आवागमन होता है। इससे स्टेशन के प्लेटफार्म पर व बाहर दुकानें भी चलती हैं। ठेला-खोमचा वालों को रोजगार मिल जाता है। क्षेत्र के अधिकांश व्यवसायी गोरखपुर, दिल्ली, लखनऊ जाकर सामान लाते थे। प्राइवेट बसों का किराया काफी अधिक है। इस वजह से बाहर से लाए जाने वाले सामान की कीमत बढ़ानी पड़ रही है।
स्थानीय निवासी अमर जायसवाल ने कहा कि व्यवसायी दूसरे जिलों से सामान लाते हैं। बस का भाड़ा अधिक होने की वजह से सामान की कीमत बढ़ाना मजबूरी है। ट्रेनों का संचलन शुरू हो जाए तो ग्राहकों पर अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ेगा। विनोद कुशवाहा ने कहा कि दूसरे राज्यों के लिए सप्ताह में एक दिन ही ट्रेन चलती है। प्रतिदिन एक्सप्रेस व सवारी गाड़ी चलने लगेगी तो राहत मिलेगी। कृष्णप्रताप लाल श्रीवास्तव कहते हैं कि गोरखपुर, मेडिकल कालेज व एम्स में दवा कराने जाने वाले मरीजों को निजी वाहनों से यात्रा करनी पड़ती है या किराए का वाहन लेना पड़ता है। ट्रेन चलने लगेगी तो मरीजों को सुविधा हो जाएगी। दिनेश जायसवाल ने कहा कि ट्रेन चलती थी तो टेंपो, ई-रिक्शा वालों की भी आय होती थी। स्टेशन के आसपास की दुकानें भी वीरान रहती हैं।