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    UGC-NEET Paper Leak: सीबीआई ने कुशीनगर के छात्र निखिल को हिरासत में लिया, पेपर को लेकर टेलीग्राम पर की थी जालसाजी

    UGC-NEET Paper Leak मामले से शुरुआती जांच से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक पेपर लीक होने की जानकारी 17 जून को पता चल गई थी। इसके बाद गृह मंत्रालय और शिक्षा मंत्रालय को इसकी जानकारी दी गई। हालांकि परीक्षा से पहले ऐसी झूठी घटनाओं को प्रसारित किए जाने के चलते इसे गंभीरता से नहीं लिया गया। ऐसे परीक्षा अपने तय समय से दो शिफ्टों में देश भर में आयोजित हुई थी।

    By pradumn Shukla Edited By: Vivek Shukla Updated: Sun, 23 Jun 2024 08:41 AM (IST)
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    कुशीनगर में पकड़े गए युवक का मकान। जागरण

    जागरण संवाददाता, कुशीनगर। राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (यूजीसी नेट) में गड़बड़ी की जांच कर रही केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई ) की छह सदस्यीय टीम ने शुक्रवार की रात कुशीनगर में छापेमारी की। टीम ने पडरौना, सिधुआ बाजार के रहने वाले छात्र निखिल सोनी को हिरासत में लेकर सात घंटे पूछताछ की।

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    सीबीआई को संदेह है कि निखिल नेट का पर्चा लीक करने वाले गिरोह से जुड़ा है। टीम की जांच जारी है। निखिल तीन साल पहले राजस्थान के कोटा में रहकर तैयारी करता था। इसके बाद वह लखनऊ आ गया और अब वहीं रहकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहा है। बीते एक माह से वह घर पर था।

    सीबीआई दिल्ली की टीम रात करीब 11 बजे कुशीनगर स्थित निखिल के घर पहुंची और उसे हिरासत में ले लिया। घर पर कुछ देर तक पूछताछ करने के बाद टीम उसे लेकर कोतवाली आ गई। शनिवार सुबह 10 से शाम पांच बजे तक सीबीआई अधिकारियों ने उससे पूछताछ की।

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    टीम ने पेपर लीक से जुड़े कई सवाल निखिल से किए। कुछ का जवाब वह नहीं दे सका। सीबीआई अधिकारियों ने पूछताछ के संबंध में कुछ भी बताने से इनकार किया। निखिल के पिता सिधुआ बाजार में दुकान चलाते हैं।

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    पहले शिफ्ट का पेपर एडिट कर ग्रुप में किया था प्रसारित

    निखिल ने 18 जून को नेट की पहली पाली की परीक्षा संपन्न होने के बाद एक ग्रुप में लिखा कि क्या किसी के पास पेपर है। इसके बाद किसी ने ग्रुप में पेपर शेयर कर दिया। एडिट कर इसने उसे टेलीग्राम पर डाल दिया कि यूजीसी-नेट का पेपर लीक हो चुका है। अगर दूसरी पाली का पेपर चाहिए तो पैसे भेजें।

    तत्काल उसके पास 50 हजार रुपये आ गए, दूसरी पाली के पेपर के लिए। सूत्रों के अनुसार उसके पास पेपर होने के साक्ष्य नहीं मिले हैं। दरअसल, पेपर पहले ही लीक हो चुका था, ऐसे में उसने जालसाजी कर पैसे उगाहने का कार्य किया।