100 हेक्टेयर में लगे हैं 1.5 लाख पेड़, यूपी का सबसे बड़ा मानव निर्मित गंगावन बाढ़ के पानी से खतरे में
कासगंज के सोरों में गंगा किनारे बना मानव निर्मित गंगावन बाढ़ के पानी से खतरे में है। डेढ़ महीने से पानी भरने से आठ हजार पौधे और पेड़ खराब हो रहे हैं। 68 हेक्टेयर से शुरू होकर 100 हेक्टेयर तक फैले इस वन में सहजन आंवला शीशम जैसे पेड़ हैं। हरियाली के कारण यह पिकनिक स्पॉट बन गया था। वन विभाग पानी कम होने का इंतजार कर रहा है।

जागरण संवाददाता, कासगंज। मानव निर्मित गंगावन की हरियाली जलभराव के कारण खतरे में हैं। डेढ़ माह से बाढ़ का पानी दो से तीन फुट तक भरा हुआ है। इससे यहां रोप गए आठ हजार पौधों के साथ पहले से लगे पेड़ भी खराब हो रहे हैं। वन विभाग पानी के निकलने का इंतजार कर रहा है।
कासगंज के सोराें स्थित उकररी गांव के पास गंगा किनारे वर्ष 2020 में मानव निर्मित गंगावन बनाया। वन शुरूआत में यह 68 हेक्टेयर में फैला था। यहां सहजन, आंवला, शीशम समेत तरह के पौधों को रोपा गया था। इसका उद्घाटन राज्यपाल आनंदी बेन ने किया था।
डेढ़ माह से दो से तीन फुट बाढ़ का पानी भरे रहने से पेड़ों पर मंडरा रहा संकट
वन में लगे अधिकतर पौधे पेड़ का रूप लेने लगे। इससे वन में हरियाली छाने लगी। इसको देखते हुए वर्ष 2022 तक इस वन के क्षेत्र को बढ़ा कर सौ हेक्टेयर कर दिया गया। दो वर्षों में गंगावन की सूरत ही बदल गई। हरियाली होने के कारण यह सोरों का पिकनिक क्षेत्र भी बन गया। यहां कासगंज के अलावा आसपास के जिलों से भी लोग पिकनिक मनाने के लिए आते है। वन विभाग ने इसमें हरियाली और बढ़ाने के लिए पौधा रोपण का कार्य बंद नहीं किया। नतीजा वन में पेड़ और घने होते चले गए।
सौ हेक्टेयर वन में लगे हैं डेढ़ लाख पेड़, इस वर्ष भी रोपे गए थे आठ हजार पौधे
गंगा के किनारे होने के कारण यहां रोपे गए पौधों में से अधिकतर ने पेड़ का रूप लिया। इस वर्ष भी विभाग ने गंगावन में आठ हजार पौधे रोपे थे। वन विभाग की मानें तो गंगावन में करीब डेढ़ लाख पेड़ पौधे लगे हैं। गंगा नदी में आई बाढ़ ने मानव निर्मित गंगावन को भी चपेट में ले लिया। पिछले एक माह से वन में तीन ये चार फुट तक पानी भरा हुआ है। इसकी वजह से वन विभाग परेशान हैं। मेहनत से बसाए गंगावन में जलभराव लगातार रहने से पेड़ों पर असर पड़ रहा है।
पेड़ हो रहे हैं खराब
वन विभाग मान रहा है कि इसी वर्ष रोपे गए आठ हजार पौधों में से शायद ही कोई पनप पाए। इसके साथ वन में लगे सहजल, आंवला और शीशम के पेड़ों पर भी इसका बुरा असर पड़ रहा है। इससे पेड़ खराब हो रहे हैं।
वन विभाग के क्षेत्राधिकारी विवेक कुमार ने बताया कि बाढ़ की वजह से गंगावन में पानी भरा हुआ है। इससे पेड़ों को नुकसान हो रहा है। इसके साथ ही इस बार आठ हजार पौधे भी रोपे गए थे। उनको भी लगातार पानी भरे होने से पनपने में दिक्कत होगी। बाढ़ का पानी कम होने पर यथास्थिति पता चलेगी।
प्रदेश का सबसे बड़ामानव निर्मित वन
प्रदेश में मानव निर्मित वन तो अधिकतर जिलों में हैं लेकिन इनता बड़े क्षेत्रफल में मानव निर्मित वन कहीं नहीं है। यही वजह है कि वन विभाग का इसपर विशेष नजर रहती है।
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