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    Flood in Ganga: गंगा में बाढ़, लहरों में डूबी आबादी; गांववाले सूनी आंखों से देख रहे बर्बादी

    Updated: Wed, 13 Aug 2025 05:43 PM (IST)

    कासगंज में गंगा नदी में आई बाढ़ से गांवों में भारी तबाही हुई है। चारों तरफ पानी भरा हुआ है जिससे फसलें डूब गई हैं और लोग पलायन करने को मजबूर हैं। कई गांवों का संपर्क टूट गया है और प्रशासन की मदद भी नहीं पहुंच पा रही है। किसान अपनी बर्बाद हुई फसलों के मुआवजे का इंतजार कर रहे हैं।

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    गंगा में बाढ़ : लहरों में डूबी आबादी, सूनी आंखों से देख रहे बर्बादी

    अनिल गुप्ता, कासगंज। गांवों के गली-कूचे गंगा के पानी से लबालब हैं। फसलें फलक तक डूबी हैं। गंगा जल के सैलाब के बीच महिलाओं और बच्चों का छतों पर डेरा है। लोग पलायन कर रहे हैं। बच्चों को सुरक्षित स्थानों पर भेज रहे हैं।

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    सड़कें कट गई हैं। गांवों से संपर्क टूट चुका है। इस सबकी वजह गंगा में बाढ़ है, जिसने तबाही मचा दी है। लहरों में आबादी डूब रही है। गांव वाले सूनी आंखों से अपनी बर्बादी देख रहे हैं। ग्रामीणों का यह दर्द है कि क्या करें, कहां जाएं असहाय हैं।

    अधिकारी गांव के अंदर नहीं पहुंच रहे। ग्रामीणों से संपर्क टूट चुका है। बाढ़ के कारण बर्बादी का यह मंजर गंगा की कटरी का है। ग्रामीणों का दर्द आप देखेंगे और सुनेंगे तो हृदय में पीड़ा अवश्य महसूस होगी।

    जागरण टीम पानी में डूबे गांवों में जब पहुंची तो दर्दनाक मंजर नजर आया। प्रशासन के दावों की पोल खुलती नजर आई। कटरी की बड़ी ग्राम पंचायत सनौड़ी सिंहमन का टूटा पुल गंगा के पानी में डूब चुका है। गंगा की मुख्यधार से यह पुल पांच किलोमीटर दूर है।

    25 फुट पानी यहां भर चुका है। कल्पना करिए जब मुख्यधार से गंगा पांच किलोमीटर चौड़ाई में फैल गईं तो रास्ते में स्थित गांवों और खेतों का क्या हाल होगा। गांव का हाल जानने के लिए कमर तक पानी के अंदर दाखिल होकर जब टीम नगला दुर्जन, नगला दिपी होते हुए नगला जयकिशन में दाखिल हुई तो हर तरफ जल प्रलय जैसा नजारा देखने को मिला।

    प्रशासन ने एक स्टीमर यहां चलवाया है। इस स्टीमर के जरिए गांव तक पहुंच पाए। स्टीमर में बैठे अजंट सिंह कहने लगे कि साहब आपने बड़ी हिम्मत दिखाई, जो गांव के अंदर आ गए कोई भी अधिकारी आज तक नहीं आया।

    सब सूखी सड़क पर खड़े होकर मंजर देखकर चले जाते हैं। तब तक रामरहीश का दर्द छलक उठा बोले कि सब बर्बाद हो गया। धान की फसल में कुछ नहीं बचा, मक्का पूरी तरह खत्म हो गई। सब्जी की फसलें फलक तक डूबी हैं।

    प्रशासन तो हर बार मुआवजे की खानापूर्ति करता है। शीशराम ग्रामीणों के नाम गिनाने लगते हैं, जिनकी फसलें डूबी हैं। हाथ का इशारा करते हुए पानी से बचने के लिए टीले पर खड़े व्यक्ति के बारे में बोले कि यह महावीर हैं। इनकी 10 बीघा मक्का चली गई।

    अजंट सिंह की 10 बीघा, राय सिंह की आठ बीघा, रघुनंदन की 15 बीघा, ऋषिपाल की आठ बीघा, विनोद कुमार की आठ बीघा मक्का नष्ट हो चुकी है। नगला जयकिशन के प्रधान जन्मेश यादव कहते हैं कि वर्षों से बाढ़ का दंश झेल रहे हैं कोई आता ही नहीं। नेताओं, अफसरों ने अछूत समझ लिया है। अब क्या करें।

    पलायन करने वालों की कतार

    पलायन करने वालों की कतार लगी है। नगला नैनसुख के सर्वेश बताते हैं कि मकानों के अंदर पानी घुस आया है। गांव से 500 लोग पलायन कर गए हैं। बच्चों को रिश्तेदारियों में भेज रहे हैं। पशुओं को भी सुरक्षित स्थानों पर ले जा रहे हैं। हरा चारा तो मिल ही नहीं रहा। ऐसे में सूखा भूसा खिलाना पड़ रहा है।

    बाढ़ के कारण टाल दी नातिन की शादी

    बाढ़ के कारण राम सिंह ने अपनी नातिन की शादी टाल दी। तय किया था कि बेटी की शादी के लिए फसल बेचकर पैसा जुटा लेंगे, लेकिन अब तो फसल बची ही नहीं। ऐसे में शादी को आगे बढ़ाना पड़ा है। कोई जरूरी नहीं इस वर्ष कर पाएं। यह दर्द बाबा का है, जिसे गांव के लोग समझते हैं, लेकिन जिम्मेदार नहीं।

    छतों से दिख रहा तबाही का मंजर

    दर्जनों गांवों की छतों से तबाही का मंजर दिखाई दे रहा है। महिलाएं बच्चों को लेकर छत पर बैठी हैं। खेत नगला, नगला दिपी, नगला दुर्जन, नगला नकराया, नगला खना जैसे तमाम गांवों में जब टीम पहुंची तो महिलाएं अपने बच्चों को लेकर छतों पर बैठी दिखीं। हालांकि गांवों से तमाम लोग चले गए हैं, लेकिन जिनके मकान थोड़े ऊचे पर हैं उनमें लोग हैं। लेकिन उन मकानों की दीवारें पानी में डूबी हुई हैं।

    - 65 हजार आबादी प्रभावित

    - 82 गांवों में बाढ़ का संकट

    - 05 किलोमीटर गंगा चौड़ाई में आगे बढ़ी

    - 04 फीट पानी गांवों में भरा

    - 02 सेक्टर में विभाजित बाढ़ पीड़ित इलाका

    - 05 किलोमीटर तक सड़कें पानी में डूबीं

    - 05 किलोमीटर लंबे तटबंध की आवश्यकता

    - 09 हैं बाढ़ चौकियां