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    Bulandshahr Accident Story: औलाद की चाहत लेकर जा रहे थे जाहरवीर, भांजे ने बुलाया था; मामा की मौत-मामी घायल

    कासगंज के भैसोरा बुजुर्ग गांव में एक दुखद घटना घटी लेखराज नामक एक व्यक्ति की सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई और उनकी पत्नी घायल हो गई। वे अपने भांजे के बुलावे पर जाहरवीर की जात में शामिल होने जा रहे थे। लेखराज ई-रिक्शा चलाकर परिवार का भरण-पोषण करते थे। वे औलाद की चाहत में गोगामेड़ी जा रहे थे ताकि बाबा की कृपा से उनकी गोद भर जाए।

    By suman kumar Edited By: Abhishek Saxena Updated: Mon, 25 Aug 2025 04:08 PM (IST)
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    ट्रैक्टर ट्रॉली हादसे में मृत लेखराज की फाइल फोटो इंसेट में।

    संस, जागरण. कासगंज। गांव भैसोरा बुजुर्ग निवासी युवक की बुलंदशहर में ट्रैक्टर ट्रॉली हादसे में मृत्यु हो गई। उसकी पत्नी घायल है। अलीगढ़ मेडिकल कॉलेज में उसका उपचार जारी है। पति व पत्नी रफायतपुर निवासी अपने भांजे के बुलावे पर श्रद्धालुओं के जत्थे में शामिल हुए थे और जाहरवीर की जात को जा रहे थे। युवक ई-रिक्शा चलाकर परिवार का भरण पोषण करता था।

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    गांव भैसोरा निवासी नेमसिंह का पुत्र लेखराज की बहन सोरों क्षेत्र के गांव रफायतपुर में विद्याराम के लिए ब्याही हैं। गांव के लोगाें ने गोगा जाहरवीर की जाति के लिए तैयारी की तभी विद्याराम के पुत्र रामचरन ने अपने मामा नेमसिंह और मामी लक्ष्मी देवी को जात पर जाने के लिए राजी कर लिया। इनके बुलावे पर ही मामा, मामी तैयार हो गए।

    बिलराम गेट पर मिले थे दोनों

    वादा हुआ कि गांव रफायतपुर से ट्रैक्टर के निकलते ही फोन करेंगे। बिलराम गेट पर मिलना। यहीं हुआ, मामा मामी को फोन किया गया। दोनों पति पत्नी बिलराम गेट पर रविवार की रात करीब आठ बजे ट्रैक्टर में सवार होकर जातीयों के जत्थे में शामिल हो गए। हादसे में बुलंदशहर पहुंचने से पहले ही दुर्घटना का शिकार हुए मामा लेखराज की मृत्यु हो गई। जबकि मामी लक्ष्मी घायल हैं। जिनका उपचार अलीगढ़ मेडिकल कॉलेज में जारी है।

    गांव भैसोरा में घर पर मातमी माहौल बना हुआ है। पिता नेमसिंह का कहना है कि उनका बेटा लेखराज ई-रिक्शा चलाकर अपने परिवार की गुजर बसर कर रहा था। हालांकि उसके और भी भाई हैं, लेकिन माता पिता का ख्याल वहीं रखता था।

    औलाद की चाहत लेकर जा रहे थे गोगामेड़ी

    बुलंदशहर में सड़क हादसे का शिकार हुए लोगों में शामिल लेखराज के कोई औलाद नहीं थी। उसके विवाह को कई वर्ष हो गए। पत्नी लक्ष्मी देवी भी इस बात को लेकर तनाव में रहती थी। चिकित्सकों, वैद्य, हकीमों से कई परामर्श लिया। मंदिरों में मत्था टेका, भगतों से भी मुलाकात की, लेकिन नतीजा शिफर रहा।

    औलाद की चाहत मन में लेकर पति पत्नी अपने भांजे के बुलावे पर गोगामेड़ी जाहरवीर की जात को जा रहे थे। उनके मन में भाव था कि बाबा से गुहार लगाएंगे। हो सकता है बाबा की कृपा हो आए और लक्ष्मी की सूनी गोद औलाद से भर जाए।

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