जागरण संवाददाता, कानपुर देहात। करीब 40 वर्ष पूर्व झींझक में उर्वरक बिक्री केंद्र में गबन के मामले की सुनवाई करते हुए दो साल पहले निचली अदालत ने आरोपित को दोष सिद्ध करते हुए उसे तीन साल के कारावास व अर्थदंड से दंडित किया था।
आरोपित ने आदेश के खिलाफ फास्ट ट्रैक कोर्ट में अपील की थी। नियत तिथि पर मंगलवार को मामले की सुनवाई के दौरान न्यायालय ने निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा है।
एडीजीसी अजय कुमार त्रिपाठी ने बताया कि वर्ष 1984 में मंगलपुर के झींझक में यूपी स्टेट एग्रो इंडस्ट्रीज ट्रियाल कार्पोरेशन लिमिटेड की ओर से उर्वरक बिक्री केंद्र का संचालन किया जा रहा था।
मार्च 1985 को जिला विक्रय अधिकारी डीडी शर्मा ने वार्षिक भौतिक सत्यापन करने पर केंद्र के रिकार्डों में अनियमितताएं पाई और करीब डेढ़ लाख रुपये की हेराफेरी सामने आई थी।
इसपर जिला विक्रय अधिकारी केके मालवीय की ओर से जौनपुर के ऊंचे गांव निवासी केंद्र विक्रय सहायक इंद्रसेन सिंह के खिलाफ धोखाधड़ी कर गबन का मुकदमा दर्ज कराया गया था।
मामले की सुनवाई करते हुए एसीजेएम प्रथम की कोर्ट ने 21 अप्रैल 2023 को आरोपित इंद्रसेन सिंह को दोष सिद्ध करते हुए तीन साल कारावास की सजा सुनाई थी। इसके साथ ही अर्थदंड भी लगाया था। मामले में निचली अदालत के दंडादेश के खिलाफ सेशन कोर्ट में अपील दाखिल की गई थी।
नियत तिथि पर मंगलवार को मामले की सुनवाई के दौरान फास्ट ट्रैक सुरेंद्र सिंह की कोर्ट ने अपील को खारिज करते हुए निचली अदालत के आदेश को बरकरार रखा है। इसके साथ ही संबंधित कोर्ट में आत्मसमर्पण के आदेश दिए हैं।
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