Supreme Court: ऑनर किलिंग पर दोषियों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए, सुप्रीम कोर्ट आठ साल पुराने मामले में कही ये बात
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में जुलाई 2003 में तमिलनाडु में एक युवा जोड़े की नृशंस हत्या के लिए 11 आरोपितों की दोषसिद्धि को बरकरार रखते हुए टिप्पणी की कि ऑनर किलिंग के लिए कड़ी सजा मिलनी चाहिए। वहीं पीठ ने मद्रास हाईकोर्ट के जून 2022 के उस फैसले में हस्तक्षेप करने से इन्कार कर दिया
पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में जुलाई, 2003 में तमिलनाडु में एक युवा जोड़े की ''नृशंस हत्या'' के लिए 11 आरोपितों की दोषसिद्धि को बरकरार रखते हुए टिप्पणी की कि ऑनर किलिंग के लिए कड़ी सजा मिलनी चाहिए।
इस मामले में आरोपियों की सजा बरकरार
जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने मद्रास हाईकोर्ट के जून, 2022 के उस फैसले में हस्तक्षेप करने से इन्कार कर दिया जिसमें दो पुलिस अधिकारियों सहित आरोपित व्यक्तियों की दोषसिद्धि और सजा को बरकरार रखा गया था।
पीड़ितों को पंचायत में जहर देकर मार दिया था
पीठ ने कहा कि पीड़ित - मुरुगेसन और कन्नगी - जो बीस साल के थे, उन दोनों को बड़ी संख्या में ग्रामीणों की मौजूदगी में जहर देकर मार दिया गया। पीठ ने कहा कि इस ''भयावह कृत्य'' के मास्टरमाइंड और मुख्य अपराधी कोई और नहीं, बल्कि महिला के पिता और भाई थे।
लड़की सवर्ण थी और लड़का दलित
सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि हत्या के पीछे का कारण यह था कि कन्नगी ''वन्नियार'' समुदाय से थी, जबकि मुरुगेसन कुड्डालोर जिले के उसी गांव का दलित था। इस जोड़े ने मई, 2003 में गुपचुप तरीके से शादी कर ली थी।
पीठ ने अपने 73 पृष्ठ के फैसले में कहा, ''इस अपराध के मूल में भारत में गहराई तक जड़ें जमाए बैठी जाति व्यवस्था है और विडंबना यह है कि इस सबसे अपमानजनक कृत्य को ऑनर किलिंग के नाम से जाना जाता है।''
मुरुगेसन के स्वजनों पांच लाख का मुआवजा देने का आदेश
पीठ ने मुरुगेसन के स्वजनों को पांच लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया और कहा कि इस राशि का भुगतान तमिलनाडु सरकार द्वारा किया जाएगा।
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