हमीरपुर की ये कैसी स्वास्थ्य सेवा, इलाज के लिए तीन घंटे स्ट्रेचर पर लेटा रहा दिव्यांग बुजुर्ग
उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही एक बार फिर उजागर हुई है। जिला अस्पताल में इलाज के लिए पहुंचे एक दिव्यांग बुजुर्ग को तीन घंटे तक स्ट्रेचर पर ही लेटे रहना पड़ा। परिजन मदद के लिए भटकते रहे, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।

स्ट्रेचर पर बैठाकर अपने पिता को भोजन कराता उसका बेटा जोगेंद्र सिंह। जागरण
जागरण संवाददाता, हमीरपुर। सरकार भले ही स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने का दावा कर रही हो लेकिन हकीकत कुछ और ही है। इसकी बानगी सोमवार की रात जिला अस्पताल में देखने को मिली। जहां पर श्वांस की बीमारी से ग्रसित एक दिव्यांग बुजुर्ग को पीएचसी सुमेरपुर से लेकर जिला अस्पताल तक एक बेड नसीब नही हुआ। इस तस्वीर ने सरकारी व्यवस्था की पोल खोलकर रख दी। करीब तीन घंटे बाद बेड मिलने पर दिव्यांग ने राहत की सांस ली।
विकासखंड सुमेरपुर के पचखुरा बुजुर्ग गांव निवासी जोगेंद्र सिंह ने बताया कि सोमवार की शाम करीब सात बजे अचानक उसके 73 वर्षीय दिव्यांग पिता शिवपूजन को श्वांस की समस्या हो गई। पिता की हालत खराब देख वह उन्हें लेकर सुमेरपुर पीएचसी पहुंचा। जहां पर मौजूद कर्मियों ने बेड न होने का हवाला देते हुए उसे जिला अस्पताल रेफर कर दिया। किसी तरह से वह अपने पिता को लेकर जिला अस्पताल आया। यहां पर उसे भाप दी गई और एक इंजेक्शन लगाया गया। लेकिन यहां भी उसे न तो भर्ती किया गया और न ही कुछ देर के लिए बेड नसीब हुई।
करीब तीन घंटे तक दिव्यांग बुजुर्ग स्ट्रेचर पर ही लेटा सांसें भरता रहा। वहीं अस्पताल में मौजूद डाक्टर व अन्य स्टाफ के लोगों ने उसे भर्ती करना उचित नही समझा। जब मीडिया कर्मियों ने इमरजेंसी में तैनात स्टाफ से बात की। उसके बाद दिव्यांग बुजुर्ग को भर्ती कर बेड उपलब्ध कराया गया।
इमरजेंसी में तैनात चिकित्सक डा.सचिन से इस संबंध में वार्ता की तो उन्होंने बताया कि एक दिन पहले बुजुर्ग को भर्ती किया गया था। जो बिना बताए चला गया था। आज फिर से आ गया है। जिसे इंजेक्शन और भाप दे दी गई है। यदि आराम नही मिलता है तो भर्ती किया जाएगा। वहीं सुमेरपुर सीएचसी प्रभारी डा.संजय ने बताया कि बुजुर्ग को श्वांस की समस्या थी। पीएचसी में निबोलाइज करने की कोई व्यवस्था नही थी। जिसके कारण उसे जिला अस्पताल रेफर किया गया था।
स्ट्रेचर में ही बेटे ने दिव्यांग पिता को खिलाया खाना
मानवता उस समय शर्मसार हो गई जब दिव्यांग बुजुर्ग को बेड न मिलने के कारण उसका बेबस बेटा स्ट्रेचर में ही अपने पिता को खाना खिलाता नजर आया। इस तस्वीर ने अस्पताल की व्यवस्था की पोल खोल दी और हर कोई अस्पताल की व्यवस्थाओं को कोसता नजर आया। इस तरह से मरीजों के साथ हो रहा दुर्व्यवहार उनके लिए आफत बना हुआ है। इतना ही नही बुजुर्ग को अस्पताल से एक कंबल भी नही नसीब हुआ। घर से लाए कंबल के सहारे वह बैठा रहा।
दो दिन पहले शर्मसार करने वाला मामला आया था सामने
बता दें कि अभी दो दिन पहले ही हमीरपुर की बदहाल स्वास्थ्य सेवा और विकास का उदाहरण देखने को मिला था। मौदहा के छानी गऊघाट गांव के 600 आबादी वाले परसदवा डेरा में आजादी के 78 साल बाद भी पक्की सड़क न बनने से गर्भवती के घर तक एंबुलेंस नहीं आ सकी। उसे दलदल युक्त सड़क से बैलगाड़ी से एंबुलेंस तक ले जाया गया। दोनों तरफ झाडियां और दलदल के चलते यह दूरी तय करने में 40 से 50 मिनट का समय लगा। गनीमत रही कि अनहोनी नहीं हुई।

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