मतांतरण का अड्डा था यूपी का ये शहर, पादरी की कागजों में पहचान पुरानी
उत्तर प्रदेश का एक शहर मतांतरण गतिविधियों के केंद्र के रूप में सामने आया है। यहां एक पादरी की पहचान दस्तावेजों में पहले से दर्ज है, जो इन गतिविधियों म ...और पढ़ें

संवाद सहयोगी, जागरण, घाटमपुर। नगर क्षेत्र भी कुछ समय पहले मतांतरण का अड्डा रहा है। यहां बड़ी संख्या में लोग चर्च, ईसाई पुजा स्थल में जुटते थे। लोगों को आर्थिक प्रलोभन व झांसे में लाकर पादरी ईसाई धर्म से जोड़ रहे थे। लेकिन, पादरी खुद ही कागजों में पुरानी पहचान लेकर घूम रहे थे और उसका लाभ उठा रहे थे। बजरंग दल की शिकायत पर रिपोर्ट दर्ज हुई, गिरफ्तारी हुई तब जाकर इस पर लगाम कसी जा सकी।
घाटमपुर क्षेत्र मुख्य रूप से हिंदू क्षेत्र है। मुस्लिम आबादी भी ठीक है। लेकिन, बीते कुछ सालों से यहां पर ईसाई धर्म का तेजी से प्रचार-प्रसार हुआ। गांव-गांव चर्च बनने लगीं और लोगों की भीड़ जुटने लगी। पता चला कि ईसाई धर्म से जुड़े पादरी लोगों को आर्थिक प्रलोभन, विवाह कराने का झांसा, प्रेत बाधा से ग्रसित बताकर उसे दूर करने का वादा करके लोगों को ईसाई धर्म से जोड़ना शुरू किया।
उन्होंने सबसे ज्यादा एससी-एसटी वर्ग के लोगों को ही निशाना बनाया। उनसे कहा गया कि ईसाई धर्म में उन्हें पर्याप्त सम्मान मिलेगा। गावों में प्रोजक्टर चलाकर मसीह के प्रवचन दिखाए गए। इसके साथ ही पादरी हिंदू ईष्ट को छोड़कर यीशू को अपनाने का दबाव बनाते। स्थिति यह हो गई कि बड़ी संख्या में चर्च में भीड़ उमड़ने लगी। घाटमपुर के साथ ही पतारा, चिल्ली, सजेती, मोहनपुर, बावन आदि गावों में भी चर्चों में भीड़ जुटने लगी थी।
मामले में दर्ज हुई थी रिपोर्ट
31 अक्टूबर 2022 को घाटमपुर के आछी मोहाल पश्चिमी मोहल्ला निवासी ईशू अवस्थी ने ईसाई मिशनरी के पादरियों पर रिपोर्ट दर्ज कराई थी। आरोप था कि शादी और हर माह वेतन का लालच देकर उनको मतांतरण करने के लिए कहा गया था। पुलिस ने कोटद्वार मोहल्ला स्थित चर्च के पास्टर प्रकाश सोनारे, गीता सोनारे, जगराम सिंह और राजेश संखवार पर रिपोर्ट दर्ज कराई थी। पुलिस ने आगे जांच करते हुए पास्टर अनिल मसीह को गिरफ्तार किया था। साथ ही संदिग्ध दस्तावेज बरामद हुए थे।
ज्यादातर ने कागजों में नहीं छोड़ा था हिंदू धर्म
पुलिस की जांच में सामने आया था कि चर्च जाने वाले ग्रामीणों ने कागजों में अपना धर्म नहीं बदला था। उन्होंने खुद के नाम भी इसाई धर्म से संबंधित रख लिए, लेकिन सरकारी योजनाओं का लाभ वह पुरानी पहचान के आधार पर ही उठा रहे थे। कई पादरी भी सामने आए थे, जिन्होंने धर्म नहीं बदला था। हालांकि, पुलिस की शुरुआती सख्ती के बाद इस खेल में विराम लग गया था। वर्तमान में चर्चों पर ताला पड़ा है और भीड़ नहीं जुटती है। फिलहाल पुलिस ने भी इसे ठंडे बस्ते में डाल रखा है। एसीपी कृष्णकांत यादव ने बताया कि फिलहाल कोई नया घटनाक्रम नहीं हुआ है।

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