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    फतेहपुर सदर विधानसभा : जो दिल को भाया यहां मतदाताओं ने उसे जिताया, जानिए चुनावी गणित और सीट का पूरा इतिहास

    By Abhishek VermaEdited By:
    Updated: Wed, 09 Feb 2022 07:10 AM (IST)

    UP Vidhan Sabha Chunav 2022 उत्तर प्रदेश की एक-एक विधानसभा क्षेत्र के अपने मायने हैं। इसी में एक है फतेहपुर सदर विधानसभा जहां के मतदाताओं ने सभी पार्टियों के प्रत्याशियों को लखनऊ पहुंचाया है। जानिए सीट के दिलचस्प आंकड़े।

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    फतेहपुर विधानसभा सीट का चुनावी आंकड़े दिलचस्प हैं।

    कानपुर, चुनाव डेस्क। जिला मुख्यालय क्षेत्र को खुद में समेटे फतेहपुर सदर विधानसभा सीट के मतदाता किसके सिर में जीत का सेहरा बांधेंगे, ये जान पाना आसान नहीं रहता। आजादी के बाद से अब तक हुए चुनाव में मतदाताओं ने किसी को निराश नहीं किया। दल, जाति व धर्म से गुरेज किए बिना जिस पर भी दिल आया, उसे जिताकर विधानसभा भेजा। वर्ष 2014 के उपचुनाव व 2017 के विधानसभा चुनाव में मोदी लहर में भाजपा के परचम के सामने विरोधी कहीं टिक नहीं पाए। विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने के लिए इस चुनाव में भाजपा से बतौर उम्मीदवार मौजूदा विधायक विक्रम सिंह, सपा से चंद्र प्रकाश  लोधी फिर आमने-सामने हैं। बसपा ने नए चेहरे मो. अयूब और कांग्रेस ने मो. मोहसिन पर दांव लगाया है। गोविंद दुबे की रिपोर्ट।

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    परिसीमन के बाद से भाजपा हुई मजबूत, सपा की ताकत भी बढ़ी

    वर्ष 2012 के परिसीमन में सदर विधानसभा क्षेत्र की तस्वीर में बड़ा बदलाव आया। जिला मुख्यालय समेत विधानसभा क्षेत्र में पूर्व में हसवा के बड़े क्षेत्रफल को शामिल किया गया। बहुआ नगर पंचायत समेत हसवा ब्लाक के गांव सदर विधानसभा क्षेत्र में ले लिए गए। इसके बाद से इस क्षेत्र में भाजपा के समीकरण मजबूत हुए व जातीय समीकरणों में सपा की भी ताकत बढ़ी। वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में यह सीट कासिम हसन ने भाजपा से तीन बार विधायक रह चुके पूर्व मंत्री राधेश्याम गुप्त को हराकर सपा की झोली मेें डाली थी। बीमारी के कारण सपा विधायक की मृत्यु हो जाने पर लोकसभा के साथ वर्ष 2014 में उपचुनाव हुए। मोदी लहर के सामने  सपा को सहानुभूति का लाभ भी नहीं  मिला और भाजपा से विक्रम सिंह जीते। वर्ष 2017 में उपचुनाव के समीकरण भारी पड़े और भाजपा के सामने कोई नहीं टिका। इस चुनाव में सभी दल पूरी ताकत के साथ फिर अपना वोट बैंक समेटने में लगे है।

    कुछ चेहरे खूब चमके

    आजादी के बाद से उपचुनाव को मिलाकर अब तक इस सीट पर 18 बार चुनाव हुए। इसमें कुछ चेहरे मतदाताओं को खूूब भाए। खान गुफरान जाहिदी कांग्रेस से दो बार व जनता पार्टी से एक बार चुनाव जीते। इसी तरह राधेश्याम गुप्त ने भाजपा से तीन बार जीत दर्ज कराकर रिकार्ड बनाया। कासिम हसन ने जनता दल व सपा से दो बार जीत पाई।

    फ्लैश बैंक-खाना भी खिलाते और वादा निभाते थे

    सत्तर के दशक में चुनाव प्रचार में जाने वाले शहर क्षेत्र के बुजुर्ग एसएल दुबे ने बताया कि पहले जिस गांव में जाते थे, वहां के लोग खाना खिलाते थे। इसके बाद पूरा गांव जिताने का वादा करता था। 1977 के चुनाव में कांग्रेस से खान गुफरान जाहिदी के साथ बेरागढ़ीवा गांव पहुंचे तो 20 लोगों के लिए गांव में खाना तैयार कर खिलाया गया था।

    वर्ष 2017 की तस्वीर

    जीते : विक्रम सिंह-भाजपा, मिले मत - 89,481

    हारे : चंद्रप्रकाश लोधी-सपा, मिले मत-57,983

    मतदाताओं का विवरण

    पुरुष मतदाता : 1,88,702

    महिला मतदाता : 1,66,454

    अन्य मतदाता : 21

    कुल मतदाता  : 355177

    कब-कौन जीता

    1951 - अब्दुल रऊफ - कांग्रेस

    1957 - शिवराज बली सिंह - कांग्रेस

    1962 - बद्री प्रसाद       -  कांग्रेस

    1967  - सैयद हसन      - कांग्रेस

    1969  - उमाकांत बाजपेयी - जनसंघ

    1974 - सलाहउद्दीन - कांग्रेस

    1977 -खान गुफरान जाहिदी- जनता पार्टी

    1980 - खान गुफरान जाहिदी - कांग्रेस

    1985- खान  गुफरान जाहिदी- कांग्रेस

    1989 - लियाकत हुसेन- जनता दल

    1991 - कासिम हसन - जनता दल

    1993 - राधेश्याम गुप्त   -  भाजपा

    1996 - राधेश्याम गुप्त  -  भाजपा

    2002 - आनंद प्रकाश लोधी- बसपा

    2007 - राधेश्याम  गुप्त - भाजपा

    2012 - कासिम हसन     - सपा

    2017 - विक्रम ङ्क्षसह     - भाजपा

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