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    रक्षाबंधन के दूसरे दिन यहां होता है महिला कुश्ती का आयोजन, अंग्रेजों के जमाने से चली आ रही परंपरा

    By Shaswat GuptaEdited By:
    Updated: Mon, 23 Aug 2021 09:04 PM (IST)

    Unique Traditions in India यह भारत की सांस्कृतिक जीत ही है कि आधुनिकता के जिस दाैर में लोग हर क्षेत्र में पाश्चात्य संस्कृति को अपना रहे हैं तो वहीं संस्कृति और पंरपरा के मामले में सनातन संस्कृति और भारतीय परंपरा को ही सर्वोपरि मानते हैं।

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    गांव लोदीपुर निवादा के पुराने बाजार में आयोजित कुश्ती में दमखम दिखातीं ग्रामीण महिलाएं।

    हमीरपुर, जेएनएन। Unique Traditions in India भारत विविधताओं में एकता का देश है। यहां हर प्रांत के हर शहर और गांव में तीज-त्योहार मनाने की अपनी कोई न कोई अनूठी परंपरा है। जिसके चर्चे देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी होते हैं। इसे भारत की सांस्कृतिक जीत ही कहेंगे कि आधुनिकता के जिस दाैर में लोग हर क्षेत्र में पाश्चात्य संस्कृति को अपना रहे हैं तो वहीं संस्कृति और पंरपरा के मामले में सनातन संस्कृति और भारतीय परंपरा को ही सर्वोपरि मानते हैं। Woman Wrestling को भले ही अब ओलिंपिक और अंतरराष्ट्रीय खेलों में स्थान मिला हो, लेकिन भारत में इसका सृजन वर्षों पहले ही हो चुका था। साथ ही परंपरागत तरीके आज भी इसे खेला जाता है। 

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    भारतीय परंपराओं का जिक्र हाे और बुंदेलखंड का नाम जहन में न आए ऐसा तो हो ही नहीं सकता। यहां की अनूठी परंपराएं इसके इतिहास को और समृद्ध बनाती हैं। वैसे तो दंगल और कुश्तियों का आयोजन नागपंचमी के दिन पर आप देखते या सुनते होंगे, लेकिन बुंदेलखंड के हमीरपुर में रक्षाबंधन के दूसरे दिन भी हर्षोल्लास के साथ महिला कुश्ती खेली जाती है। रविवार को रक्षाबंधन मनाने के बाद साेमवार को मुस्करा व आसपास के गावों में कजली का त्योहार मनाया गया। वहीं लोदीपुर निवादा गांव मे अंग्रेजों के समय से लगातार लगने वाले महिला दंगल में युवा व बुजुर्ग महिलाओं ने अपना दमखम दिखाया। दंगल का शुभारंभ ग्राम प्रधान निवादा गिरजा देवी ने किया।

    ...इसलिए होता है महिला कुश्ती का आयोजन: ग्रामीण रामधनी कुशवाह से जब इस महिलाओं के दंगल के बारे में जानकारी जुटाई तो उन्होंने कहा कि हमारे पिता बताया करते थे कि अंग्रेजी हुकूमत में उनकी फौज ने यहां के लोगो पर बड़ा अत्याचार किया था। लोग अंग्रेजी फौज के जुल्म से गांव के लोग परेशान थे। पुरुष अपने घरों में नहीं रह पाते थे तभी महिलाओं ने अपनी हिफाजत के लिए कुश्ती के दावपेंच सीखे। ग्राम प्रधान प्रतिनिधि व रिटायर्ड बैंक मैनेजर नाथूराम ने बताया कि इस प्रथा की शुरुआत गांव के पुराने बाजार मैदान से की गई थी। 

    परंपरागत तरीके से होता है आयोजन: मुस्करा विकासखंड क्षेत्र के अधिकांश गांवों में सोमवार को सुंदर परिधान व सिर में कजली खप्पर लिए महिलाओं ने गांव की परिक्रमा करते हुए कजली का विसर्जन किया। जगह-जगह पर बुंदेली लोक संस्कृति के कार्यक्रमों का आयोजन भी हुआ। कहीं झूलों में झूलती महिलाएं, कहीं आल्हा गायन तो कहीं दंगल के आयोजनों ने लोगों का भरपूर मनोरंजन किया। 

    केशर ने विमल को दी पटखनी: दंगल की शुरुआत निवादा की ग्राम प्रधान गिरजा देवी ने गणेश पूजन कर कराई। इसके बाद शुरू हुए दंगल में बन्दो देवी ने सुशील को हरा दिया। केशर व विमल की कुश्ती में केशर जीतीं। मीरा ने गौरी को, अनुसुइया ने मुलिया को, रामबाई ने रामकली को पटखनी दी तो वहीं,  कल्ली व रानी साहू के बीच हुई कुश्ती में कल्ली ने जीत दर्ज की। इसके अलावा चार दर्जन से अधिक कुश्तियां खेली गईं। ग्राम प्रधान गिरजा देवी ने दंगल में भाग लेने वाली महिलाओं को पुरस्कार देकर सम्मानित किया।