यूपी में पान मसाला फैक्ट्रियों पर सख्ती, हर फैक्ट्री के बाहर अस्थायी चौकी; दूसरे राज्यों में शिफ्ट करने की तैयारी
कानपुर में पान मसाला फैक्ट्रियों पर राज्य कर विभाग की निगरानी एक और हफ्ते के लिए बढ़ा दी गई है। अब तक उम्मीद थी कि 30 नवंबर को निगरानी खत्म हो जाएगी लेकिन अब यह 7 दिसंबर तक जारी रहेगी। इस निगरानी से बिना टैक्स चुकाए निकलने वाला माल तो रुका है लेकिन ई-वे बिल के साथ फैक्ट्री से निकलने वाले माल में भी 75 प्रतिशत की कमी आई है।
जागरण संवाददाता, कानपुर। एक सप्ताह से पान मसाला फैक्ट्रियों के बाहर राज्य कर विभाग के अधिकारियों की चल रही निगरानी को फिर एक सप्ताह के लिए बढ़ा दिया गया है। अब तक पान मसाला कारोबारियों को उम्मीद थी कि 30 नवंबर को ही यह निगरानी खत्म कर दी जाएगी लेकिन निगरानी को सात दिसंबर तक के लिए आगे बढ़ाए जाने के बाद अब सबको लग रहा है कि इस तरह से एक-एक सप्ताह निगरानी लगातार बढ़ाई जा सकती है।
इस निगरानी से बिना टैक्स चुकाए निकल रहा माल तो रुका है लेकिन नंबर एक पर ई-वे बिल के साथ फैक्ट्री से निकल रहा माल भी 75 प्रतिशत कम हो चुका है। आसपास के प्रदेशों की पान मसाला फैक्ट्रियां उत्तर प्रदेश में माल बेच रही हैं। ऐसे में स्थानीय पान मसाला उद्यमियों की सोच भी दूसरे राज्य की ओर कदम बढ़ाने की बन रही है।
मुख्यालय स्तर से जारी किए गए आदेश
पान मसाला कारोबार में बड़े स्तर पर कर चोरी की सच्ची-झूठी शिकायतें और उसके साथ ही स्थानीय अधिकारियों पर अविश्वास के चलते मुख्यालय स्तर से निगरानी के आदेश दिए गए थे। इसके चलते शहर में भी 24 नवंबर से 24 घंटे की निगरानी शुरू कर दी गई थी।
सहायक आयुक्त और राज्य कर अधिकारियों का ड्यूटी रोस्टर बनाकर उन्हें फैक्ट्री के दरवाजे पर ही कार के साथ खड़ा कर दिया गया था। व्यापारी इसे राज्य कर विभाग की अघोषित चौकी बता रहे हैं। जब इसे 30 नवंबर तक के लिए लागू किया गया था शुरुआती दौर में तेजी से ई-वे बिलों की संख्या गिरी लेकिन इसके बाद धीरे-धीरे यह संख्या ठीक होती गई। कारोबारियों को उम्मीद नहीं थी कि निगरानी आगे भी जारी होगी। हालांकि अब ऐसा हो गया है।
दूसरे राज्यों से व्यापारी भी कर रहे सप्लाई
एक हजार करोड़ रुपये वार्षिक टैक्स देने वाले इस उद्योग की हालत का इससे आकलन हो सकता है कि जो राज्य दूसरे राज्यों को पान मसाला देता हो, वहां दूसरे राज्य के कारोबारी घुसने लगे हैं।
स्थानीय पान मसाला कारोबारियों को भी लग रहा है कि जब दूसरे राज्य से माल यहां बेचा जा रहा है तो वे भी दूसरे राज्य में जाकर अपनी इकाई स्थापित कर यहां माल यहां भेज सकते हैं।
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