सीवर की सफाई के दौरान अब नहीं जाएगी किसी की जान, स्मार्ट डिवाइस से मिलेगी ओवरफ्लो और जहरीली गैसों की जानकारी
सीवर सफाई के दौरान होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने के लिए कानपुर विकास प्राधिकरण (केडीए) स्मार्ट सिटी मिशन के तहत एक विशेष डिवाइस का उपयोग करेगा। यह डिवाइस सीवेज लाइन के ओवरफ्लो होने और सीवर के गहरे गड्ढों में खतरनाक गैसों के स्तर की जानकारी देगी। प्रणवीर सिंह इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलाजी के छात्रों ने इंफ्रासेंस नाम की एक डिवाइस तैयार की है।

अखिलेश तिवारी, कानपुर। आधुनिकता के दौर में आज भी सीवर सफाई के काम में प्रतिवर्ष कई सफाई कर्मियों की जान चली जाती है। इसे रोकने के लिए लगातार तकनीक का प्रयोग हो रहा है। इसी क्रम में कानपुर में अब स्मार्ट सिटी मिशन के तहत कानपुर विकास प्राधिकरण (केडीए) अब एक विशेष डिवाइस का उपयोग करेगा।
यह डिवाइस सीवेज लाइन के ओवरफ्लो होने और सीवर के गहरे गड्ढों, लाइनों में खतरनाक गैसों का स्तर कितना जानलेवा है,इसकी जानकारी पहले ही दे देगी। इससे सीवर सफाई के दौरान होने वाली दुर्घटनाओं को भी टाला जा सकेगा।
सीवर टैंक की सफाई के दौरान घातक व जहरीली गैस के संपर्क में आने से भविष्य में दुर्घटनाएं न हों, इसके लिए प्रणवीर सिंह इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलाजी (पीएसआइटी) से बीटेक करने वाले गौरव तिवारी और अंशिका सिंह ने इंफ्रासेंस नाम की डिवाइस तैयार की है।
इंटरनेट आफ थिंग्स (आइओटी) और अन्य तकनीकों का प्रयोग कर बनाई गई इस डिवाइस आकार सिर्फ दो सेमी है। इससे सीवेज ओवर फ्लो को ट्रैक करने के साथ ही खतरनाक गैसों के उत्सर्जन, तापमान और लोकेशन की सटीक जानकारी मिलेगी।
यह सिस्टम सीवेज प्लांट के अलावा केमिकल इंडस्ट्री, लेदर फैक्ट्रियों, बायोगैस प्लांट, आरओ ट्रीटमेंट प्लांट और हाउसिंग सोसाइटी के ड्रेनेज सिस्टम में उपयोगी साबित हो सकता है।
डिवाइस की लागत पांच हजार रुपये है। इसे सीवेज लाइन के पाइप के साथ लगाया जा सकेगा। जैसे ही सीवर लाइन में ओवर फ्लो की स्थिति बनेगी, यह डिवाइस तत्काल संबंधित विभाग तक सूचना पहुंचा देगी।
सफाई प्रबंधन में होगी मददगार
इस डिवाइस के जरिये यह भी पता लगाया जा सकेगा कि शहर के किस हिस्से में ओवरफ्लो की स्थिति बन रही है। कहां से सर्वाधिक सीवेज आ रहा है, जिसे नियंत्रित और नियमित करने की जरूरत है। इससे जलभराव की समस्या से भी निजात मिल सकेगी।
साथ ही सफाई प्रबंधन भी ज्यादा बेहतर तरीके से किया जा सकेगा। गौरव तिवारी ने बताया कि यह डिवाइस संस्थान के शिक्षक कुमार सौरभ के निर्देशन में तैयार की गई है।
उन्होंने अपने स्टार्टअप रेसिंक इनोवेशन को पीएसआइटी के इनोवेशन एवं इंक्यूबेशन सेंटर के साथ इंक्यूबेट किया है। संस्थान ने केडीए के साथ शहरी विकास चुनौतियों के समाधान में तकनीकी सहयोग का एमओयू कर रखा है।
डिवाइस के दो प्रारूप
इस डिवाइस का सबसे बड़ा लाभ मानव जीवन रक्षा के तौर पर मिलने वाला है। डिवाइस के दो प्रारूप होंगे। एक को सीवर लाइन के साथ फिक्स किया जा सकेगा जो निरंतर निगरानी करेगा।
दूसरा प्रारूप ऐसा है, जिसे सीवर लाइन में सफाई के लिए उतरने वाले कर्मचारी अपने साथ ले जा सकेंगे। यह मोबाइल एप या कंप्यूटर से जुड़ सकेगी और उसी के जरिये अलर्ट भेजेगी।
डिवाइस को विभिन्न सेंसरों और माइक्रोप्रोसेसरों का उपयोग करके विकसित किया गया है और इसे एंड्रायड और वेब डैशबोर्ड यानी लैपटाप व कंप्यूटर से वायरलेस माध्यम से संचालित किया जा सकता है।
- डॉ मनमोहन शुक्ला, ग्रुप डायरेक्टर पीएसआइटी
केडीए और पीएसआइटी के बीच तकनीकी नवाचार को बढ़ावा देने के लिए एमओयू किया गया है। सीवेज सिस्टम की निगरानी और हानिकारक गैसों की पहचान करने वाली डिवाइस को स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में शामिल किया जाएगा।
- अभय कुमार पांडेय , सचिव केडीए।
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