SIR Updates: एसआइआर से सामने आया बड़ा फर्जीवाड़ा, इस जिले में 3.27 लाख मतदाता लापता, एक लाख से ज्यादा मृत
कानपुर में एसआइआर सर्वे के दौरान एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। सर्वे में पाया गया है कि जिले में 3.27 लाख मतदाता लापता हैं, जबकि एक लाख से ज्यादा मतद ...और पढ़ें
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जागरण संवाददाता,कानपुर। मतदाता विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) अभियान का गुरुवार को समापन होगा। देर रात तक तारीख में बदलाव को लेकर अधिकारियों ने कोई आदेश नहीं मिलने की बात कही। वहीं अभी तक चले एसआइआर अभियान ने जिले में चुनावी व्यवस्था की दशकों पुरानी परतें उधेड़ दी हैं।
पहली बार इतने बड़े पैमाने पर मतदाताओं के सत्यापन की प्रक्रिया सामने आने से यह स्पष्ट हुआ है कि वर्षों से मतदाता सूची में मृत, अनुपस्थित, शिफ्टेड और दोहरे पंजीकरण वाले नाम जमा होते रहे और किसी ने इसकी गंभीरता से पड़ताल नहीं की। जिले की 10 विधानसभा सीटों में कुल 35.38 लाख मतदाताओं में से 26.22 लाख के फार्म सत्यापन के साथ अपलोड तो कर दिए गए, लेकिन जो तस्वीर सामने आई उसने प्रशासन को भी चौंका दिया।
इतने नाम काटने योग्य
एसआइआर की मौजूदा रिपोर्ट के अनुसार 9,09,984 मतदाताओं को नाम काटने योग्य पाया गया है। इनमें सबसे बड़ी संख्या उन 3,27,271 लोगों की है, जिनके बारे में कोई जानकारी ही नहीं मिल सकी। न वे अपने पते पर मिले, न किसी पड़ोसी ने उनकी उपलब्धता की पुष्टि की। प्रशासन ने इन्हें अनट्रेसेबल श्रेणी में रखा है। इसके अलावा 3,87,096 मतदाताओं के स्थायी रूप से दूसरी जगह शिफ्ट हो जाने की पुष्टि हुई है। वर्षों पुरानी सूचियों में चले आ रहे ऐसे नाम अब तय रूप से हटाए जाएंगे।
दोहरी मतदाता सूची में नाम दर्ज
सबसे संवेदनशील और चिंताजनक श्रेणी मृत मतदाताओं की रही। अभियान में 1,02,391 लोगों के मृत होने की पुष्टि की गई है, जबकि 58,003 ऐसे लोग मिले, जो पहले से ही किसी अन्य विधानसभा क्षेत्र या जिले की सूची में नाम जुड़वा चुके हैं। इस तरह दोहरी मतदाता सूची में नाम दर्ज होने का बड़ा जाल सामने आया है। अधिकारियों का मानना है कि यदि यह अभियान न चलता तो आगामी चुनावों में लाखों मृत या निष्क्रिय मतदाता रिकार्ड में बने रहते और वास्तविक मतदान प्रतिशत का आंकलन भी भ्रमित होता।
दूसरी जगह बस गए मतदाता
शहरी विधानसभा क्षेत्रों में सबसे बड़ी गड़बड़ी नजर आई है। किदवई नगर में मृत मतदाताओं की संख्या 1.06 लाख तक पहुंच गई, जो अब तक का सबसे बड़ी संख्या है। कल्याणपुर में 57 हजार से अधिक लोग अपने घरों पर अनुपस्थित मिले। गोविंदनगर में 50 हजार से ज्यादा मतदाता दूसरी जगह बस चुके हैं, जबकि महाराजपुर में पलायन सबसे अधिक सामने आया और यहां 1.60 लाख से अधिक लोग शिफ्ट पाए गए। प्रशासन का कहना है कि इन इलाकों में जनसंख्या घनी होने और तेजी से हो रहे आवासीय बदलावों की वजह से असंगतियां लगातार बढ़ती गईं।
ग्रामीण क्षेत्र में भी गड़बड़ी
ग्रामीण क्षेत्र भी इस स्थिति से अछूते नहीं हैं। बिल्हौर में 42,961 और घाटमपुर में 36 हजार से ज्यादा नाम काटने योग्य पाए गए हैं। यह आंकड़ा साफ करता है कि गांवों में भी मतदाता सूची वर्षों से अपरिवर्तित पड़ी रही और नियमित सत्यापन पर ध्यान नहीं दिया गया। रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि नाम चिन्हित हो जाने के बावजूद सत्यापन की रफ्तार अभी भी मनचाहे स्तर पर नहीं है। कई विधानसभा क्षेत्रों में 25 से 35 प्रतिशत मामलों में अभी अंतिम निर्णय होना शेष है।
वितरित किए गए सभी गणना पत्र वापस लिए गए हैं, उनकाे अपलोड करने का कार्य लगभग पूरा हो चुका है। आयोग की ओर से तारीख आगे बढ़ाने के फिलहाल कोई नए निर्देश नहीं प्राप्त हुए हैं, जो समय मिला था, उसमें सभी कार्य पूर्ण कर लिए गए हैं।
डा.विवेक चतुर्वेदी, एडीएम वित्त एवं राजस्व

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