कानपुर शहर से सटी रमईपुर ग्राम पंचायत ने लिख रही नई इबारत, साफ-सफाई और कूड़े से कमाई
कानपुर के रमईपुर ग्राम पंचायत ने स्वच्छता और आत्मनिर्भरता का अनूठा उदाहरण पेश किया है। यहां कूड़े-कचरे से कमाई करके उसे गांव के विकास में लगाया जा रहा है। प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट यूनिट और रिसोर्स रिकवरी सेंटर स्थापित किए गए हैं जिनसे कचरा प्रबंधन बेहतर हुआ है और गांव में साफ-सफाई बढ़ी है। ग्रामीणों की सक्रिय भागीदारी से यह पहल सफल हो रही है।

संवाद सहयोगी, जागरण, बिधनू (कानपुर)। कूड़े-कचरे और कबाड़ प्लास्टिक से कमाई और उसी कमाई से गांवों की भलाई। कुछ इसी सोच के साथ रिसोर्स रिकवरी सेंटर (आरआरसी) और प्लास्टिक वेस्ट प्रबंधन केंद्र लाए गए थे। इसके लिए पहली जरूरत और शर्त लगन थी। बिधनू विकासखंड की रमईपुर ग्राम पंचायत ने इसके बूते स्वच्छता के साथ आत्मनिर्भरता की नई इबारत लिखी। सोमवार को जिलाधिकारी जितेन्द्र प्रताप सिंह रमईपुर पहुंचे और निरीक्षण कर व्यवस्था को सराहा और सचिव अनिल शर्मा व ग्राम प्रधान अनीता संग्राम सिंह का उत्साहवर्धन किया।
रमईपुर में स्वच्छ भारत मिशन फेज टू योजना के अंतर्गत प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट यूनिट और रिसोर्स रिकवरी सेंटर स्थापित किए गए हैं। 16 लाख रुपये से यूनिट का निर्माण किया गया है। पिछले कुछ माह में ही यूनिट में 9.5 टन प्लास्टिक अपशिष्ट एकत्र कर उनका निस्तारण किया गया। बचे प्लास्टिक उत्पाद की बिक्री के लिए ग्राम पंचायत ने नेचर नेक्स्ट फाउंडेशन और स्थानीय कबाड़ियों से समझौता किया है ताकि आय हो सके।
अब तक प्लास्टिक बिक्री से 6000 रुपये की आय ग्राम पंचायत को हुई है जबकि कचरे से तैयार वर्मी कंपोस्ट बेचकर पंचायत ने करीब 25 हजार रुपये से अधिक कमाए हैं। इसका बड़ा फायदा ये है कि गांव में करीब 425 घरों से नियमित कूड़ा उठान होती है। ग्रामीण गाड़ियों में कचरा डालते हैं, जिसे सीधे सेंटर ले जाया जाता है। लगभग 350 परिवार कचरा उठाने के बदले स्वेच्छा से 30 रुपये का मासिक शुल्क ग्राम पंचायत में जमा कर रहे हैं।
प्लास्टिक की समस्या खत्म
पंचायत के खाते में करीब डेढ़ लाख रुपये से अधिक धनराशि जमा हो चुकी है। इसे गांवों के विकास में लगाया जाएगा। जिलाधिकारी को ग्रामीणों ने बताया कि पहले नालियों में प्लास्टिक फंसने से पानी का बहाव रुक जाता था। जिससे गंदगी फैलती थी। अब इस समस्या से काफी हद तक निजात मिल गई है।
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