दीपावली के बाद प्रदूषण से गले व चेस्ट का बढ़ रहा संक्रमण, भूलकर भी ये गलती न करें
दीपावली के बाद प्रदूषण का स्तर बढ़ने से लोगों में गले और सीने के संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। डाक्टरों के अनुसार, पटाखों से निकलने वाला धुआं और हवा में घुला सूक्ष्म धूलकण सांस की नलियों को प्रभावित कर रहा है। इससे खांसी, गले में खराश, सांस लेने में दिक्कत और सीने में जकड़न जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं।

जागरण संवाददाता, कानपुर। बदलता हुआ मौसम बीपी, डायबिटिक और अस्थमा के मरीजों के लिए खतरनाक होता है। सर्दी की शुरुआत व दीपावली के बाद प्रदूषण युक्त वातावरण से सांस के रोगियों की संख्या बढ़ गई है। ठंडी, शुष्क हवा वायुमार्ग में पैदा कर रही और गले व चेस्ट के संक्रमण के साथ अस्थमा, सीओपीडी तथा पेट से जुड़ी बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। ओपीडी में पहुंच रहे हर दूसरे मरीज में पेट और सांस से जुड़ी समस्याएं मिल रही है। इससे बचाव के लिए प्रतिरोधक क्षमता को बेहतर करना जरूरी है। संतुलित खान-पान के साथ योग और प्राणायाम के जरिये योग से बचा जा सकता है। खाने में फाइबर और मोटा अनाज पेट से जुड़ी बीमारियों का खतरा कम करता है और बीपी के साथ डायबिटिक के स्तर को नियंत्रित करता है। यह बातें दैनिक जागरण के हेलो डाक्टर में जीएसवीएम मेडिकल कालेज के मेडिसिन विभाग के प्रो. डा. एसके गौतम ने पाठकों के सवालों का उत्तर देते हुए कही।

डा. एसके गौतम।
- अस्थमा और सीओपीडी तथा पेट की बीमारी से कैसे बचाव करें? - जय प्रकाश तिवारी, बर्रा एक। पुष्कर यादव, उत्तरीपुरा।
- अस्थमा और सीओपीडी धूल, धुआं और संक्रमण से होती है। इससे बचाव के लिए प्रदूषित वातावरण में जाने से बचें। खान-पान अच्छा करें और प्रतिरोधक क्षमता को बेहतर करें। अस्थमा और सीओपीडी में दवाएं लंबी चलती है। समय-समय पर डाक्टर को दिखाकर दवाओं का संशोधन कराएं। वहीं, पेट से जुड़ी बीमारियों से बचाव के लिए खान-पान संतुलित करें।
- खांसी और शरीर में कमजोरी की समस्या है। इससे कैसे बचाव करें? - दिनेश तिवारी, पनकी।
- खांसी के साथ कमजोरी आना टीबी बीमारी के लक्षण हैं। ऐसे में आप एक बार चेस्ट एक्सरे कराकर जीएसवीएम मेडिकल कालेज के मेडिसिन विभाग में दिखा लें। जांच के बाद ही विशेषज्ञ की देखरेख में इलाज सही दिशा में किया सकेगा।
- बदलते मौसम में बीमारियों से कैसे बचें? - कुशाल जैन, नौघड़ा। प्रशांत, जूही लाल कालोनी।
- संतुलित आहार लें। यानी फैट, प्रोटीन की मात्रा लें। फाइबर वाले खाद्य पदार्थ का सेवन करें। नियमित 30 से 40 मिनट का योग और प्राणायाम करें। आठ से 10 घंटे की नींद लेकर प्रतिरोधक क्षमता बेहतर करें। सर्दियों में वायरल बढ़ने लगाता है। खासतौर पर अस्थमा और सीओपीडी वाले मरीजों में यह खतरनाक होता है।
- सांस फूलने की समस्या है, इसमें क्या सावधानी बरतें? - जय नारायण, उत्तरीपुरा। राकेश चौबे, किदवई नगर। शिवशंकर तिवारी, घाटमपुर। राघवेंद्र श्रीवास्तव, आवास विकास।
- दीपावली के बाद वातावरण में प्रदूषण की मात्रा बढ़ जाती है। इसके साथ ही सर्दियों की शुरुआत में वातावरण में प्रदूषण के कण बढ़ जाते हैं। जो सांस फूलने की समस्या पैदा करता है। सांस फूलना हृदय की बीमारी का लक्षण है। इसलिए हृदय रोग संस्थान में दिखाकर हृदय की दवाएं सुचारू करें। बीपी और मधुमेह के मरीजों को सर्दी की शुरुआत में विशेषज्ञ की सलाह पर ही दवाएं लेनी चाहिए। सर्दी में बीपी बढ़ने लगता है। इसलिए सांस फूलने की समस्या होने पर बिना देरी किए विशेषज्ञ को जरूर दिखाएं। इसकी जांच के बाद ही हृदय रोग की गंभीरता का पता चल सकता है।
- मेरे बेटे को बार-बार एलर्जी होती है। सांस फूलती है। कैसे बचाव करें? - शशि यादव, कल्याणपुर।
- अगर आपके बेटे को जन्म से यह समस्या है। तो इसमें लापरवाही नहीं बरतें। यह अस्थमा का लक्षण हो सकता है। एक बार मुरारी लाल चेस्ट चिकित्सालय और मेडिसिन विभाग में दिखा लें। शरीर में एलर्जी होने के कई कारण होते हैं। इसकी जांच के बाद ही सही दिशा में इलाज सुचारू होगा। तब तक बच्चे को एलर्जी से बचाएं। मास्क लगाएं।
- अस्थमा रोग के शुरुआती लक्षण क्या होते हैं। ताकि समय पर बचाव किया जा सके? - अफसार अहमद, विजय नगर। दुर्गा शंकर वर्मा, गांधीनगर।
- अस्थमा बदलते मौसम की बीमारी है। इसमें सांस फूलने के बाद छींक आना, जुकाम होना मुख्य लक्षण है। अस्थमा बचपन से होने वाली बीमारी है। बचाव के लिए धूल, धुआं, प्रदूषण युक्त वातावरण में जाने से बचें। सीओपीडी की समस्या संक्रमण से होती है। इससे बचाव के लिए खान-पान और योग से प्रतिरोधक क्षमता को बेहतर करें।
- दीपावली के बाद से लगातार खांसी और बलगम आने की समस्या है। सीने में भारीपन भी है? - आशीष अरोड़ा, पांडुनगर।
- आपको चेस्ट संक्रमण का लक्षण दिख रहा है। एक बार चेस्ट चिकित्सालय या मेडिसिन विभाग में दिखा लें। एक्सरे और ब्लड की कुछ जांच कराकर विशेषज्ञ को जरूर दिखाएं। डाक्टर की सलाह पर एंटीबायोटिक के जरिये आपके संक्रमण को ठीक किया जा सकता है।
- सात वर्ष के बच्चे को अस्थमा है। क्या यह ठीक हो सकता है? - अविनाश सिंह, हटिया।
- अस्थमा लंबे समय तक चलने वाली बीमारी है। इसमें इन्हेलर का प्रयोग डाक्टर की सलाह पर ही करना चाहिए। इन्हेलर अस्थमा की सबसे कारगर दवा है। बच्चे को लंबे समय से अगर यह समस्या है तो एक बार चेस्ट रोग विशेषज्ञ को जरूर दिखा लें।
- सुबह के समय सांस फूलती है। बचाव के लिए क्या करें? - राम किशोर यादव, विजय नगर। एसके चतुर्वेदी, बिरहाना रोड।
- सुबह के समय सांस फूलने की समस्या सीओपीडी के कारण होती है। इस समय वातावरण में प्रदूषण अधिक है। इससे बचाव के लिए मास्क का प्रयोग करें। गुनगुने पानी का सेवन करें। इस सीजन में वायरल संक्रमण का खतरा अधिक होने लगता है।
- मेरी मां को 75 वर्ष से अस्थमा है। सांस अधिक फूल रही है? - लक्ष्मी, लालबंगला। उत्तम शुक्ला, चौबेपुर।
- अगर इतने लंबे समय से अस्थमा की समस्या है तो एक बार एलएलआर के मेडिसिन विभाग में दिखा लें। अस्थमा की बीमारी में दवा का संशोधन समय-समय पर होने लगता है। इसलिए अस्थमा के मरीजों को विशेषज्ञ की सलाह पर ही दवाएं लेनी चाहिए।
- गाल ब्लैडर का आपरेशन हो गया है। मोशन में हमेशा दिक्कत होती है? - सुरेंद्रर कौर, 11 ब्लाक, गोविंद नगर।
- डायबिटिक रोगियों की आंतों में मोशन क्लियर होने की दिक्कत नहीं होती है। आंतों का सकुंचन बढ़ जाने से मोशन में समस्या होती है। एक बार गैस्ट्रो विशेषज्ञ को जरूर दिखा लें। ताकि अल्ट्रासाउंड के बाद आंतों की स्थिति को देखने के बाद सही दिशा में इलाज शुरू किया जा सके।
इन्होंने किए प्रश्न
वेद प्रकाश गुप्ता, बारासिरोही। राम किशोर कश्यप, कैंट। रामदयाल लालबंगला। रागिनी कुशवाहा गोविंद नगर। पूजा अग्रवाल साकेत नगर। श्याम चरण सिंह, दीनदयाल नगर।
इन बातों का रखें ध्यान
- सर्दी की शुरुआत होने पर डायबिटिक, बीपी, अस्थमा और सीओपीडी के मरीज दवाओं में डाक्टर की सलाह पर संशोधन जरूर कराएं।
- संतुलित खान-पान करें और फाइबर की मात्रा अधिक रखें।
- गुनगुने पानी में नमक डालकर गरारे करें। यह गले और चेस्ट के संक्रमण से बचाएगा।
- भीड़भाड़ वाले स्थान पर जाने से पहले मास्क का प्रयोग करें।
- बच्चे और बुजुर्ग की प्रतिरोधक क्षमता को बेहतर करने के लिए मोटा अनाज का प्रयोग अवश्य करें।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।