अब स्वीडिश कंपनी बोफोर्स ने माना भारत का लोहा, पसंद आई तोप धनुष की तकनीक Kanpur News
ब्रीच मैकेनिज्म के एक्सपोर्ट का फील्डगन फैक्ट्री को दिया ऑर्डर गन फैक्ट्री का सैंपल तैयार कंपनी के प्रतिनिधि आकर करेंगे परीक्षण।
कानपुर, [श्रीनारायण मिश्र]। आयुध निर्माण में भी विश्व अब भारत का लोहा मानने लगा है। 1986 में जिस स्वीडिश बोफोर्स कंपनी ने भारत को 155 एमएम की होवित्जर तोपें बेची थीं। अब वही भारत में बनी 'धनुष' तोप के ब्रीच मैकेनिज्म पर रीझ गई है। कंपनी ने इस मैकेनिज्म को आयात करने का ऑर्डर फील्डगन फैक्ट्री को दिया है। जल्द ही कंपनी के प्रतिनिधि भारत आकर सैंपल का परीक्षण करके इस सौदे को अंतिम रूप दे देंगे।
24 मार्च 1986 को भारत सरकार और स्वीडन की कंपनी एबी बोफोर्स के बीच 1437 करोड़ में 155 एमएम की 400 होवित्जर तोपों (बोफोर्स तोप नाम से विख्यात) का सौदा हुआ था। यह तोप मिलने के बाद भारतीय आयुध निर्माणियों ने इसका अपग्रेड वर्जन तैयार किया। स्वदेशी तकनीक पर बनी इस तोप को धनुष नाम दिया गया। धनुष निर्माता फील्डगन फैक्ट्री कानपुर के वरिष्ठ महाप्रबंधक अनिल कुमार ने बताया कि अत्याधुनिक धनुष का ब्रीच मैकेनिज्म (बैरल में गोले लोड करने की तकनीक) बोफोर्स कंपनी को बहुत पसंद आया है। ऑर्डर मिला है, सैंपल भी तैयार हैं। बोफोर्स टीम के परीक्षण के बाद सौदे को अंतिम रूप दिया जाएगा।
दो धनुष तोप सेना को सौंपी
बुधवार को फील्डगन फैक्ट्री के वरिष्ठ महाप्रबंधक अनिल कुमार ने पूजा-अर्चना करने के बाद सेना के कर्नल भरवे को धनुष की पहली खेप सौंपी। पहली खेप में दो तोपें दी गईं जो गन कैरिज फैक्ट्री जबलपुर से होकर सेना तक पहुंचेंगी। वरिष्ठ महाप्रबंधक ने बताया कि इससे पहले छह तोपें सैंपल के तौर पर दी गई थीं। डीजीक्यूए (डायरेक्ट्रेट जनरल क्वालिटी एश्योरेंस) से एप्रूव्ड यह पहली खेप है। सेना से 114 तोपों की सप्लाई की मंजूरी मिल चुकी है। अभी सेना को 300 धनुष तोपों की जरूरत है। इस मौके पर एजीएम पीएस बंदोपाध्याय, राजीव जैन, राहुल यादव आदि मौजूद थे।
विश्व बाजार में तहलका मचाएगी धनुष
155 एमएम की रेंज में धनुष तोप विश्व के आयुध बाजार में तहलका मचाएगी। बोफोर्स से दस किमी ज्यादा लंबी मार करने वाली यह तोप एक्यूरेसी (सटीक) और कंसिस्टेंसी (स्थिरता के साथ) में भी उससे 25 फीसद बेहतर है। इसका मुकाबला कोरिया की के-नाइन और फ्रांस की नेक्सटर तोप से है। 15 करोड़ की कीमत वाली धनुष अपनी कीमत और खूबियों के कारण इनसे बेहतर है।
बैरल ही नहीं पूरी तोप बनाएगी फील्ड गन फैक्ट्री
कानपुर की फील्ड गन फैक्ट्री अभी तक एक प्रोडक्शन एजेंसी के तौर पर काम कर रही है, लेकिन अब वह खुद को आयुध निर्माता के रूप में ढाल रही है। पांच साल के भीतर यहीं स्क्रैप मोल्डिंग से कैरिज बनाने तक के काम होंगे। उत्पादन क्षमता भी बढ़ाई जाएगी। इससे मेटल एंड स्टील फैक्ट्री इच्छापुर और गन कैरिज फैक्ट्री जबलपुर पर निर्भरता खत्म होगी। इस विस्तारीकरण में जरूरी संसाधनों और बजट के लिए डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनाने के लिए कमेटी बना दी गई है। वरिष्ठ महाप्रबंधक अनिल कुमार ने कहा कि अगस्त अंत तक पहली रिपोर्ट आ जाएगी। ऐसा होने पर आयुध सीधे सेना के हवाले किए जा सकेंगे।