कंधे की चोट का अब ऑपरेशन नहीं इंजेक्शन से ठीक करेंगे डॉक्टर, ये होंगे फायदे
जीएसवीएम के आर्थोपेडिक सर्जन के छह माह के अध्ययन में सकारात्मक परिणाम मिले हैं।
कानपुर, [ऋषि दीक्षित]। अब कंधे की इंजरी के लिए ऑपरेशन की जरूरत नहीं पड़ेगी। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के आर्थोपेडिक सर्जन ने इसका कारगर इलाज ढूंढ़ निकाला है। प्लेटलेट्स रिच प्लाज्मा (पीआरपी) इंजेक्शन लगाकर इलाज कर रहे हैं। छह माह में 15 मरीजों पर परीक्षण कर चुके हैं, जिसके सकारात्मक परिणाम मिले हैं।
कंधे के जोड़ में आगे की तरफ ह्यूमरस बोन एवं पीछे की तरफ स्कैप्ला बोन होती है। दोनों के बीच लैम्ब्रम झिल्ली होती है, ताकि हड्डियां आपस में टकराएं नहीं। कई बार खेलकूद के दौरान झटका लगने, चोट लगने अथवा बाइक से गिरने पर यह झिल्ली क्षतिग्रस्त हो जाती है। इससे दोनों हड्डियां आपस में टकराने से भीषण दर्द होता है। हाथ हिलाने-डुलाने में दिक्कत होती है। ऐसे में आर्थोस्कोपी की मदद से ऑपरेशन कर मरीजों को राहत प्रदान की जाती है। इसमें कई दिन तक मरीज को अस्पताल में रुकना पड़ता है।
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के आर्थोपेडिक विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. फहीम अंसारी ऑपरेशन के विकल्प पर छह माह से अध्ययन कर रहे हैं। इसके तहत पीआरपी थेरेपी से मरीजों का इलाज शुरू किया। मरीज का रक्त लेकर ब्लड बैंक प्रभारी प्रो. लूबना खान की मदद से विशेष तकनीक से पीआरपी तैयार कराते हैं। फिर पीआरपी का इंजेक्शन मरीज के कंधे पर लगाते हैं। अब तक 15 मरीजों को इससे पूरी तरह आराम मिला है।
यह हो रहा फायदा
- मरीजों को दर्द से मिला छुटकारा।
- कंधा एवं हाथ चलाने में आराम।
- कंधे में भी मजबूती का अहसास।
- सामान उठाने में भी दिक्कत नहीं।
- ऑपरेशन की भी नहीं पड़ी जरूरत।
-मरीज के रक्त से तैयार पीआरपी को 5 से 10 एमएल तक इंजेक्शन के जरिये कंधे में लगाते हैं। तीन महीने तक एक-एक इंजेक्शन लगाने से मरीजों को आराम मिलता है। - डॉ. फहीम अंसारी, असिस्टेंट प्रोफेसर, आर्थोपेडिक्स विभाग