अब दूर बैठकर भी डाॅक्टर कर सकेंगे आंखों की गंभीर बीमारी का इलाज; प्रोफेसर परवेज खान ने इजाद की नई तकनीक
ग्रामीण अंचल के मरीजों की आंखों में संक्रमण मोतियाबिंद ग्लूकोमा और मधुमेह की वजह से रेटिना की खराबी समेत अन्य समस्याएं होती हैं। समय से इलाज नहीं होने से उनकी रोशनी चली जाती है। इसकी मुख्य वजह ग्रामीण अंचल के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में नेत्र रोग विशेषज्ञों का न होना है। डाक्टर भी वहां नहीं जाना चाहते हैं।

ऋषि दीक्षित, कानपुर : डाॅक्टर के पास जाए बिना भी अब आंखों की गंभीर बीमारियों ग्लूकोमा, डायबिटिक रेटिनोपैथी समेत सभी जांच और इलाज संभव है। जीएसवीएम मेडिकल कालेज के नेत्र रोग विभाग के वरिष्ठ प्रोफेसर परवेज खान ने इन्फार्मेशन टेक्नोलाजी (आइटी) इंजीनियरों की मदद से आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआइ) पर आधारित साफ्टवेयर तैयार करके उसे पोर्टेबल उपकरणों से जोड़ा है।
छोटे से बैग में आ जाने वाले उपकरण लेकर आप्टीशियन आसानी से कहीं भी जा सकते हैं। बैग में नेत्र रोग विशेषज्ञ का पूरा क्लीनिक होगा। दूर बैठे डाॅक्टर इंटरनेट के जरिए कंप्यूटर स्क्रीन पर देखकर इलाज और दवाएं दे सकेंगे। ट्रायल के तहत मलिन बस्तियों और औद्योगिक क्षेत्रों में 10 शिविर लगाकर आठ सौ मरीजों का इलाज किया गया। इसकी रिपोर्ट शासन को भेजी गई है जिससे कि डाक्टर के जाए बिना भी ग्रामीण अंचल में आंखों की आसानी से जांच व इलाज हो सके।
ग्रामीण अंचल के मरीजों की आंखों में संक्रमण, मोतियाबिंद, ग्लूकोमा और मधुमेह की वजह से रेटिना की खराबी समेत अन्य समस्याएं होती हैं। समय से इलाज नहीं होने से उनकी रोशनी चली जाती है। इसकी मुख्य वजह ग्रामीण अंचल के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में नेत्र रोग विशेषज्ञों का न होना है। डाक्टर भी वहां नहीं जाना चाहते हैं।
पिछड़े क्षेत्रों में प्राइवेट प्रैक्टिसनर्स भी नहीं होते हैं। प्रोफेसर परवेज खान ने इसे देखते हुए सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान हैदराबाद के आइटी इंजीनियरों से अपने हिसाब से एआइ आधारित साफ्टवेयर तैयाार कराया, जिसे पोर्टेबल स्लिट लैंप, आटो रिफ्रेक्टोमीटर, टोनोमीटर और फंडस कैमरे से जोड़ा है। ये उपकरण आसानी से बैग में आ जाते हैं और आप्टीशियन उसको कही भी ले जा सकते हैं।
मरीज दूर बैठे डाक्टर से कर सकेंगे बात
उपकरणों के इंटरनेट से जुड़े होने के कारण डाक्टर, मरीज और आप्टीशियन के संपर्क में आएंगे। दूर बैठ कर भी डाक्टर जांच करते हुए मरीज से बात भी करेंगे। उनकी समस्या की डिजिटल रिपोर्ट तैयार करेंगे और दवाएं भी देंगे। चलने-फिरने में लाचार बुजुर्गों को शहर आने की जरूरत भी नहीं होगी। दवाएं भी उन्हें मिल जाएंगी।
यह सभी जांचे हैं संभव
चश्मे का नंबर, रेटिना की सभी प्रकार की जांच, मधुमेह से खराब रेटिना यानी डायबिटिक रेटिनोपैथी की जांच, टोनोमीटर से आंखों के प्रेशर का पता लगाना, स्लिट लैंप से आंखों के फंक्शन की जांच और आटो रेफ्रेक्टोमीटर से मोतियाबिंद का पता लगाएंगे।
आंखों का इलाज बिना डाक्टर और उपकरणों के संभव नहीं है। सुदूर क्षेत्रों में डाक्टरों की उपलब्धता भी कम है। एआइ आधारित साफ्टवेयर पोर्टेबल उपकरणों से जोड़ा है, जिसे आसानी से कहीं भी ले जाकर आंख की हर प्रकार की जांच कर सकते हैं। छह माह के ट्रायल की रिपोर्ट शासन को भेजी गई है।
प्रो. परवेज खान, वरिष्ठ प्रोफेसर नेत्र रोग विभाग, जीएसवीएम मेडिकल काॅलेज।
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