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    Navratri 2025: कानपुर में नवरत्र में चमकेगा बाजार, 35 करोड़ का चुनरी और वस्त्रों का कारोबार

    Updated: Sun, 21 Sep 2025 06:00 AM (IST)

    कानपुर शहर में बनने वाली चुनरी आसपास के 25 जिलों के मंदिरों में जाती है। नवरात्रि के समय यहां 30 से 35 करोड़ का कारोबार होता है। यह शहर भगवान के वस्त्रों का बड़ा केंद्र बन गया है जहां पारंपरिक और आधुनिक तरीके से वस्त्र तैयार किए जाते हैं। यह कारोबार हजारों लोगों को रोजगार भी देता है और ऑनलाइन बिक्री से इसका विस्तार हो रहा है।

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    नवरात्र शुरू होते ही कानपुर के बाजार को अच्छे कारोबार की उम्मीद।

    जागरण संवाददाता, कानपुर।  Navratri 2025: नवरात्र का पर्व आते ही शहर के बाजारों में रौनक बढ़ने लगती है। जनरलगंज की गलियों में रंग-बिरंगे चुनरी और भगवान के वस्त्रों से सजी दुकानों को देखकर मन आनंदित हो उठता है। जनरलगंज से माता की चुनरी और भगवान के वस्त्रों की सप्लाई आस-पास के 25 जनपदों में होती है। नवरात्र जैसे विशेष अवसर पर शहर में तैयार चुनरी और श्रृंगार सामग्री की मांग कई गुना बढ़ जाती है। यही कारण है कि अब शहर को भगवान के वस्त्रों का बड़ा हब कहा जाने लगा है। साल में चार माह और 18 दिनों यह कारोबार लगभग 30 से 35 करोड़ तक पहुंच गया है।

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    यह कारोबार परंपरा और आधुनिकता का बेहतरीन संगम है। यहां पारंपरिक गोटा-पट्टी और हाथ की कढ़ाई के साथ-साथ अब आधुनिक मशीनों पर बनी चुनरियां भी तैयार हो रही हैं। बाजार की मांग के अनुसार डिजाइन लगातार बदली जाती है। इससे शहर की चुनरी और भगवान के वस्त्र हमेशा ग्राहकों को नएपन के साथ आकर्षित करते हैं।

    शहर में मौजूदा समय में 250 से अधिक छोटे-बड़े कारोबारी माता के वस्त्र और चुनरी के कारोबार से जुड़े हुए हैं। इनमें जनरलगंज, नौघड़ा, नयागंज बाजार में खास तौर पर थोक व्यापारी सक्रिय हैं। वहीं आसपास के क्षेत्रों में छोटे-छोटे कारखानों में सैकड़ों मजदूर दिन-रात सिलाई-कढ़ाई का काम कर रहे हैं। व्यापारी बताते हैं कि शहर की चुनरी का कारोबार गुजरात के सूरत, दिल्ली से जुड़ा हैं। यहां से पूरे बुंदेलखंड, मध्य प्रदेश के साथ ही आस-पास के 25 से अधिक जनपदों में चुनरी और भगवान के वस्त्रों की थोक बिक्री होती है।

    हर साल 35 करोड़ से ज्यादा का कारोबार

    स्थानीय व्यापारियों का अनुमान है कि माता के वस्त्रों और चुनरी का कारोबार में सालभर में 35 करोड़ रुपये से अधिक का हो चुका है। सिर्फ नवरात्र के दिनों में ही लगभग 15 से 20 करोड़ रुपये का व्यापार हो जाता है। त्योहार से पहले यहां के थोक बाजारों से बड़े पैमाने पर सप्लाई निकलती है। कारोबारी सीजन में दो महीनों पहले से तैयारी में जुट जाते हैं। शहर में बनी चुनरियों और वस्त्रों की सबसे बड़ी खूबी यह है कि यह किफायती और टिकाऊ होते हैं। यहां सूती और सिंथेटिक कपड़ों पर आकर्षक कढ़ाई, गोटा, चमकी और लेस का काम किया जाता है। डिजाइनिंग का काम हाथ और मशीन दोनों से होता है। सोने-चांदी जैसे रंगों की झालर और बारीक धागों की कारीगरी इन चुनरियों और वस्त्रों को और आकर्षक बनाती है।

    15 रुपये से पांच सौ रुपये तक की चुनरी

    शहर में बनी चुनरी किफायती दाम और गुणवत्ता के कारण ग्राहक इसे हमेशा तरजीह देते हैं। त्योहारों में मांग इतनी बढ़ जाती है कि हमें आर्डर पूरे करने में खासी मशक्कत करनी पड़ती है। जनरलगंज बाजार में 15 रुपये से लेकर पांच सौ रुपये और इससे अधिक दाम की चुनरी बिकती हैं। वहीं भगवान के वस्त्रों की कीमत ढाई सौ रुपये से सात सौ रुपये के बीच होती है। जिसमें बाल गोपाल के वस्त्र सबसे ज्यादा बिकते हैं। हालांकि बाल गोपाल के वस्त्र मथुरा-वृंदावन में तैयार होकर आते हैं, लेकिन बिक्री का केंद्र सबसे बड़ा जनरलगंज ही है।

    महिलाओं के रोजगार का बड़ा आधार

    यह कारोबार न केवल व्यापारियों के लिए मुनाफे का जरिया है बल्कि हजारों परिवारों की रोज़ी-रोटी का आधार भी है। सिलाई, कढ़ाई और डिज़ाइनिंग का काम करने वाली बड़ी संख्या में महिलाएं घर बैठे इस कारोबार से जुड़ी हुई हैं। वहीं छोटे कारखानों में कारीगरों की पूरी टीम सालभर वस्त्र बनाने का काम करते हैं। त्योहार से पहले मजदूरों को अतिरिक्त शिफ्ट में भी काम करना पड़ता है।

    लगातार बढ़ रहा विस्तार

    धार्मिक आयोजनों की बढ़ती संख्या और आनलाइन खरीदारी के चलन ने इस कारोबार को और बढ़ावा दिया है। अब शहर के व्यापारी ई-कामर्स प्लेटफार्म और सोशल मीडिया के जरिए भी अपने उत्पाद बेच रहे हैं। इससे कारोबारियों का दायरा और ग्राहकों की संख्या दोनों तेजी से बढ़ रही हैं। व्यापारियों का मानना है कि आने वाले वर्षों में यह कारोबार और तेजी से बढ़ेगा और शहर की अर्थव्यवस्था को नई मजबूती देगा।

    बोले व्यापारी

    यह कारोबार न सिर्फ धार्मिक आस्था से जुड़ा है बल्कि हजारों लोगों के लिए रोजगार का जरिया और करोड़ों रुपये की अर्थव्यवस्था का हिस्सा भी है। नवरात्र जैसे अवसरों पर बाजारों की रौनक देखते ही बनती है। आज अपने देवी-देवताओं को सजाने के लिए शहर की बनी चुनरी और भगवान के वस्त्र को पहली पसंद हैं। कारोबार में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है।

    शेष नारायण त्रिवेदी, अध्यक्ष, नौघड़ा कपड़ा कमेटी

    धार्मिक आस्था से जुड़ा यह कारोबार शहर की अर्थव्यवस्था का मजबूत आधार है। नवरात्रि के बाजार को लेकर दो माह पहले से तैयारी शुरू हाे जाती है। आस-पास के जनपदों से बड़ी संख्या में खरीददारी करने के लिए दुकानदार आ रहे हैं। इस बार कारोबार होने की अच्छी उम्मीद है।

    राजू गुप्ता, वस्त्र विक्रेता