किसानों के लिए अच्छी खबर! चुकंदर से बनेगा एथेनॉल और कंप्रेस्ड बायोगैस, इन पेट्रोल पंपो पर होगा इस्तेमाल; रोडमैप तैयार
किसानों के लिए खुशखबरी! अब चुकंदर से बनेगा एथेनॉल और कंप्रेस्ड बायोगैस (CBG)। राष्ट्रीय शर्करा संस्थान (NSI) ने इसकी तैयारी भी शुरू कर दी है। पहले चरण में यूपी के 300 किसानों का एक समूह बनाया गया है। खेतों में उगाए चुकंदर से एथेनाल के साथ ही सीबीजी भी बनाई जाएगी। इससे किसानों की आय में कई गुणा वृद्धि होगी।

अखिलेश तिवारी, कानपुर। राष्ट्रीय शर्करा संस्थान यानि NSI अब चुकंदर से भी एथेनाल और कंप्रेस्ड बायोगैस (CBG) के कमर्शियल प्रोडक्शन की तैयारी कर रहा है। इससे पहले मीठी चरी से एथेनाल उत्पादन की कार्ययोजना पर काम शुरू हो चुका है।
चुकंदर की खेती के लिए यूपी के 300 किसानों का पहला समूह बनाया गया है। खेतों में उगाए चुकंदर से एथेनाल के साथ ही सीबीजी भी बनाई जाएगी।
NSI ने इसी साल मीठी चरी से एथेनाल के व्यावसायिक उत्पादन की तैयारी कर रखी है। महाराष्ट्र और कर्नाटक में इसी साल 1000 एकड़ खेत में मीठी चरी का उत्पादन किया जाएगा।
पेट्रोलियम कारपोरेशन लिमिटेड (BPCL) भी सहयोगी की भूमिका में है। तैयार एथेनाल का प्रयोग बीपीसीएल के पेट्रोल पंपों पर किया जाएगा।
अब एनएसआइ चुकंदर से एथेनाल के व्यावसायिक उत्पादन की तैयारी में जुट गया है। प्रमुख सचिव बीना कुमारी मीणा के नेतृत्व में 300 किसानों की एक संगोष्ठी करा कर किसानों को चुकंदर उत्पादन के बारे में बताया गया है। किसानों को बताया गया कि खेत से निकलने वाले एक चुकंदर का वजन भी पांच किग्रा से अधिक है।
पांच किलो वजनी चुकंदर को प्रयोगशाला में ले जाने से पहले दिखाते हुए शोधार्थी। संस्थान
इससे प्रति हेक्टेयर अधिकतम उत्पादन लिया जा सकता है जो किसानों को पारंपरिक खेती के मुकाबले ज्यादा लाभ देने वाला है। चुकंदर की खेती को दूसरी फसलों के साथ भी किया जा सकता है। इससे उनकी आय भी कई गुणा बढ़ जाएगी।
किसानों को मिलेगा न्यूनतम लागत सहयोग एनएसआइ और प्रदेश सरकार ने चुकंदर से एथेनाल और सीबीजी के व्यावसायिक उत्पादन के पायलट प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया है। इसके तहत चुकंदर की खेती करने पर किसानों को गेहूं, धान की पारंपरिक खेती से होने वाले न्यूनतम लाभ की भरपाई की जाएगी।
चुकंदर से एथेनाल बनने पर होने वाले लाभ में हिस्सा मिलेगा लेकिन नुकसान नहीं होने दिया जाएगा। एथेनाल निर्माण करने वाली शुगर मिल भी पायलट प्रोजेक्ट के दौरान अपनी लागत व मुनाफे का गणित तैयार करेगी। एक टन चुकंदर से 120 लीटर एथेनाल प्राप्त होने की संभावना है।
प्रयोगशाला की तकनीकों को व्यावहारिक बनाने के लिए काम किया जा रहा है। मीठी चरी के प्रोजेक्ट के बाद अब यूपी के किसानों के साथ चुकंदर की खेती और एथेनाल उत्पादन का रोड मैप प्रदेश सरकार के साथ तैयार किया जा रहा है। किसानों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से प्रमुख सचिव भी इस योजना में विशेष दिलचस्पी ले रही हैं।
प्रो. सीमा परोहा, निदेशक NSI
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