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सफेद चुकंदर बेहद गुणकारी, धान-गेहूं के फसल चक्र में फंसे पंजाब के किसानों की आर्थिक दशा संवारी

सफेद चुकंदर की फसल छह से आठ माह में अप्रैल-मई तक तैयार हो जाती है। पंजाब में अब कई किसान गेहूं की जगह चुकंदर उगाने पर जोर दे रहे हैं। पंजाब की जलवायु भी इस फसल के अनुकूल है।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Sat, 18 Jun 2022 05:37 PM (IST)Updated: Sat, 18 Jun 2022 05:37 PM (IST)
सफेद चुकंदर बेहद गुणकारी, धान-गेहूं के फसल चक्र में फंसे पंजाब के किसानों की आर्थिक दशा संवारी
पंजाब में सफेद चुकंदर की फसल 25 से 27 हजार एकड़ में की जा रही है। जागरण

हरनेक सिंह जैनपुरी, कपूरथला। पंजाब के किसान धान-गेहूं के फसल चक्र से बाहर निकलने के लिए लगातार प्रयासरत हैं। किसान ऐसी फसलें उगाने में रुचि दिखा रहे रहे हैं, जिनमें कम लागत से ज्यादा कमाई हो सके। इसी कड़ी में सफेद चुकंदर का नाम भी जुड़ गया है। हालांकि, पंजाब में इसकी खेती बीते दो-तीन वर्षों से हो रही है, लेकिन पहले इक्का-दुक्का किसान ही इसे कर रहे थे। अब वह गन्ने के विकल्प के तौर पर सफेद चुकंदर भी उगाने लगे हैं।

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पंजाब के दोआबा क्षेत्र में बड़े पैमाने पर सफेद चुकंदर की खेती की जा रही है। इसके अलावा माझा क्षेत्र में भी कुछ किसानों से इसे अपनाया है। कांट्रैक्ट फार्मिंग के तहत करीब 25 से 27 हजार एकड़ में करीब 1100 किसान इसे उगा रहे हैं। इससे चीनी तैयार की जा रही है। गुणकारी चुकंदर किसानों के लिए आर्थिक दशा संवारने में भी सहायक हो रहा है।

गन्ने के मुकाबले इसलिए ज्यादा फायदेमंद

गन्ने की फसल तैयार होने में 10 से 12 माह का समय लेती है, जबकि सफेद चुकंदर की फसल छह से आठ माह में अप्रैल-मई तक तैयार हो जाती है। गन्ना उगाने वाले किसान साल में एक ही फसल ले पाते हैं, जबकि चुकंदर उगाने वाले किसान धान की फसल भी उगा सकते हैं। वे गेहूं की जगह चुकंदर उगाने पर जोर दे रहे हैं। इस तरह से उनका मुनाफा बढ़ जाता है।

चुकंदर की खेती में गन्ने की तुलना में 15 से 20 प्रतिशत तक कम पानी खर्च होता है। आमदनी गन्ने के बराबर या इससे ज्यादा भी हो जाती है। दोआबा क्षेत्र में राणा शुगर्स लिमिटेड नाम की कंपनी किसानों के साथ कांट्रैक्ट कर उन्हें अमेरिका के कैलिफोर्निया से लाई गई तकनीक व बेल्जियम से लाया गया बीज उपलब्ध करवाती है। क्षेत्र में अभी सिर्फ एक ही कंपनी यह काम कर रही है।

कैसे आया विचार

राणा शुगर मिल के एमडी राणा इंद्रप्रताप सिंह कहते हैं कि हमारे देश में गन्ने के सीजन में ही कुछ माह तक मिलें चलती हैं, बाकी सारा समय ये बंद रहती है। इसके समाधान के लिए वह छह साल पहले इजरायल व अमेरिका गए। अमेरिका के कैलिफोर्निया में सफेद चुकंदर की खेती होती है। पंजाब की जलवायु इस फसल के अनुकूल है, इसलिए हमने इसे पंजाब में उगाने की योजना बनाई।

अमेरिका की तकनीक एवं बेल्जियम से बीज लाकर दोआबा व माझा क्षेत्र के कुछ भाग में किसानों को खुद बीज देकर सफेद चुकंदर की खेती शुरू करवाई। यह फसल कम समय में पैदा हो जाती है, इसलिए मिल भी दो माह अतरिक्त चल जाती है। किसानों को भी दूसरी फसल के लिए अतिरिक्त समय मिल जाता है। इसमें किसानों और मिल मालिक दोनों का फायदा है।

अक्टूबर में बिजाई, अप्रैल में फसल तैयार

सफेद चुकंदर की बिजाई 15 अक्टूबर से 10 नवंबर के बीच होती है। अप्रैल में इसकी फसल तैयार हो जाती है। मई में किसान इसे उखाड़ लेते हैं। सर्दियों में इसे पानी देने की ज्यादा जरूरत नहीं पड़ती। मार्च-अप्रैल में ही पानी चाहिए होता है। पंजाब में इसकी संभावना को देखते हुए पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) भी इस पर काफी शोध कर रहा है। पीएयू के विशेषज्ञ डा. केएस थिंद का कहना है कि इंडियन काउंसिल फार एग्रीकल्चर रिसर्च, दिल्ली 18 साल से सफेद चुकंदर पर शोध करता आ रहा है। राजस्थान के श्रीगंगानगर में चुकंदर से चीनी बनाने का प्रोसेसिंग यूनिट भी लगा था, लेकिन पैदावार कम होने की वजह से यह धीरे-धीरे बंद हो गया। डा. थिंद ने बताया कि चुकंदर को जमीन से निकालने के 24 से 48 घंटे अंदर ही इसकी पिराई हो जानी चाहिए, अगर रस सूख जाए, तो चीनी कम निकलेगी।

गेहूं व गन्ने के मुकाबले अधिक कमाई

किसान अब गेहूं की जगह सफेद चुकंदर की बिजाई कर रहे हैं। गांव डडविंडी के किसान परमजीत सिंह का कहना है कि एक एकड़ में गेहूं ज्यादा से ज्यादा 20 क्विंटल तक निकलती है, जबकि चुकंदर 350 से लेकर 600 क्विंटल तक पैदा हो जाता है। उन्हें 227 रुपये प्रति क्विंटल का भाव मिल रहा है। इस लिहाज से एक एकड़ में गेहूं से जहां 40 हजार रुपये की कमाई होती है, वहीं, चुकंदर से किसान 70 हजार से 1.35 लाख तक कमा लेते हैं। एक अन्य किसान मनजीत ने बताया कि एक एकड़ में 300 से 600 क्विंटल तक गन्ने की पैदावार होती है। 290 रुपये के भाव के अनुसार 85 हजार से 1.70 लाख रुपये प्रति एकड़ की कमाई होती है, जबकि चुकंदर के बाद हम धान भी उगा लेते हैं, जिससे 50 हजार से 65 हजार रुपये प्रति एकड़ की अतिरिक्त कमाई हो जाती है।

25 हजार एकड़ से ज्यादा क्षेत्र में हो रही पैदावार

कपूरथला जिले के सुल्तानपुर लोधी क्षेत्र में ही 2500 एकड़ क्षेत्र में सफेद चुकंदर की खेती हो रही है। इसके अलावा कपूरथला, लोहिया, तरनतारन और अमृतसर आदि जिलों में भी करीब 25 से 27 हजार एकड़ में किसान इसे उगा रहे हैं। मिल की तरफ से चुकंदर की बिजाई, पालन पोषण, बीमारियों से बचाव व खाद आदि के बारे में पूरी तकनीक किसानों को उपलब्ध करवाई जाती है।

सफेद चुकंदर के गुण

पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के फूड प्रोसेसिंग विभाग के प्रमुख हेड डा. महेश का कहना है कि यह हीमोग्लोबिन की मात्रा बढ़ाने के लिए बहुत फायदेमंद है। विटामिन ए, विटामिन सी, फाइबर, सोडियम, पोटेशियम, फास्फोरस, क्लोरीन, आयोडीन, आयरन और नेचुरल शुगर जैसे तत्वों से भरपूर सेहत को बहुत लाभ पहुंचाता है। यह रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में भी सहायक है।

दवा कंपनियां भी करती हैं मांग

पीएयू के डा. केएस थिंद का कहना है कि इसके बचते गुद्दे से पशु आहार (फीड) तैयार होता है। इसमें विटामिन-बी भी होता है, इसलिए विभिन्न दवा कंपनियां भी इसकी खरीद कर लेती हैं।


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