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    Kuldeep Singh Sengar: आठ साल पहले हुआ था माखी दुष्कर्म कांड, उम्र कैद की सजा काट रहे थे कुलदीप सेंगर

    By Ankit MishraEdited By: Anurag Shukla
    Updated: Tue, 23 Dec 2025 04:34 PM (IST)

    उन्नाव से चार बार विधायक रहे कुलदीप सिंह सेंगर की दिल्ली हाईकोर्ट से सजा निलंबित। आठ साल पहले माखी दुष्कर्म कांड में वह आजीवन कारावास की सजा काट रहे थ ...और पढ़ें

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    जागरण संवाददाता, उन्नाव। उन्नाव से चार बार विधायक रहे कुलदीप सिंह सेंगर की दिल्ली हाईकोर्ट से सजा निलंबित होने के बाद उनके स्वजन व समर्थकों में खुशी की लहर है। आठ साल पहले देश विदेश तक में चर्चा बटोरने वाले माखी दुष्कर्म कांड ने राजनीति में बड़ा भूचाल ला दिया था। जिसके बाद से वह आजीवन कारावास की सजा काट रहे थे।

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    मामले की शुरुआत चार जून 2017 से हुई। खुद को नाबालिग बताने वाले गांव की एक 17 वर्षीय किशोरी ने आरोप लगाया था कि कुलदीप सिंह सेंगर ने उसे नौकरी दिलाने का झांसा देकर अपने आवास पर बुलाया और उसके साथ दुष्कर्म किया। घटना के बाद वह स्वजन के साथ माखी थाना पहुंची पर विधायक के प्रभाव में पुलिस ने मुकदमा दर्ज नहीं किया।

     

    जून 2017 से मार्च 2018 तक लगातार शिकायतों के बावजूद कार्रवाई न होने पर आठ अप्रैल 2018 को किशोरी ने लखनऊ में मुख्यमंत्री आवास के सामने आत्मदाह का प्रयास किया था। नौ अप्रैल 2018 को आत्मदाह की कोशिश के बाद पुलिस ने विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के खिलाफ दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज किया। इसी बीच पीड़िता के पिता को पुलिस ने तमंचा रखने व विधायक के भाई अतुल सेंगर से मारपीट के आरोप में जेल भेज दिया।

     

    19 अप्रैल 2018 को पीड़िता के पिता की जेल में हालत बिगड़ गई थी, जिसके बाद जिला अस्पताल में उसने दम तोड़ दिया था। 16 अप्रैल 2018 को इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर पूरे मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) को सौंप दी गई थी। 13 जुलाई 2018 को सीबीआइ ने विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को गिरफ्तार किया। इसके बाद भाजपा ने उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया।

     

    28 जुलाई 2019 को रायबरेली के गुरुबक्शगंज में एक भीषण सड़क हादसा हुआ। पीड़िता, उसके वकील और स्वजन जिस कार से अदालत जा रहे थे, उसे एक तेज रफ्तार ट्रक ने टक्कर मार दी। इस दुर्घटना में पीड़िता की चाची और मौसी की मौके पर मौत हो गई, जबकि पीड़िता और उसके वकील गंभीर रूप से घायल हो गए। परिवार ने इसे सुनियोजित साजिश करार दिया।

     

    अगस्त 2019 सुप्रीम कोर्ट ने पूरा मामला यूपी से हटाकर दिल्ली अदालत में स्थानांतरित कर दिया। पीड़िता और उसके परिवार को सुरक्षा देने के निर्देश भी जारी किए गए।पांच दिसंबर 2019 को दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने सुनवाई पूरी होने के बाद कुलदीप सिंह सेंगर को नाबालिग से दुष्कर्म का दोषी करार दिया।

     

    20 दिसंबर 2019 को न्यायालय ने कुलदीप सिंह सेंगर को उम्रकैद की सजा सुनाई और 25 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया। इसमें से 10 लाख रुपये पीड़िता को मुआवजे के रूप में देने का आदेश दिया। मार्च 2020 को पीड़िता के पिता की मौत से जुड़े मामले में भी दिल्ली की अदालत ने सेंगर को दोषी ठहराया और 10 साल की अतिरिक्त सजा सुनाई।