Lunar Eclipse: चंद्रग्रहण से पहले कानपुर में मंदिरों के पट बंद, जानें सूतककाल और ग्रहण में जाप का महत्व
कानपुर में चंद्रग्रहण से पहले मंदिरों के कपाट बंद कर दिए गए हैं। दोपहर दो बजे से सूतक लगने के कारण भक्त जाप कर रहे हैं। महंतों के अनुसार ग्रहण के दौरान राहु का प्रभाव बढ़ने से शुभ काम नहीं किए जाते। इस दौरान भगवान शिव के मंत्र और चंद्रमा के मंत्र का जाप करना चाहिए। ग्रहण के बाद स्नान और गंगाजल का छिड़काव करना चाहिए।

जागरण संवाददाता, कानपुर। अंतिम और सबसे लंबा चंद्रग्रहण कुछ ही देर में शुरू हो जाएगा। सूतक दोपहर दो बजे से लग चुका है। ऐसे में हर मंदिर के कपाट बंद कर दिए गए हैं। भक्तों को जाप करने की सलाह दी है। देवी देवताओं के नाम और मंत्रों के जाप से लाभ होता है।
चंद्र ग्रहण पर सूतक लगने के कारण रविवार दोपहर से सोमवार भोर पहर तक बंद रहेंगे। महंत अरुण भारती ने बताया कि परमट स्थित आनंदेश्वर मंदिर में रविवार सुबह मंगला आरती हुई। इसके बाद सुबह 11 बजे पट बंद कर दिए गए हैं। सोमवार को सुबह पांच बजे मंगला आरती के बाद श्रद्धालुओं के लिए बाबा के दर्शन के लिए पट खोले जाएंगे। इसी तरह पनकी स्थित पंचमुखी हनुमान मंदिर के पट रविवार को दोपहर 12 बजे बंद कर दिए गए हैं। महंत कृष्णदास ने बताया कि सोमवार को सुबह 5:30 बजे मंगला आरती के बाद पट खोले जाएंगे।
महंत कृष्णदास ने बताया कि ज्योतिष गणना में ग्रहण को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। ग्रहण का प्रभाव देश दुनिया में दिखाई देता है। आज चंद्रग्रहण शहर में दिखाई देगा। यहां इसका सूतक काल सुबह दो बजे से लग गया है।
उन्होंने बताया कि ग्रहण के दौरान राहु का प्रभाव पृथ्वी पर बढ़ जाता है। ऐसे में शुभ काम नहीं किए जाते हैं। मन अशांत रहता है, राशियों से लेकर सुख समृद्धि पर इसका असर पड़ता है। लेकिन इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है।
ये करें उपाय
ग्रहण के समय भगवान शिव के दिव्य मंत्र का जाप करना चाहिए। इससे ग्रहण का दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है। अशुभ ग्रहों का प्रभाव कम होता है। धन-धान्य में वृद्धि होती है।
इसका करें जाप
चंद्रग्रहण के दौरान महामृत्युंजय मंत्र और चंद्रमा का मंत्र ''ऊं श्रां श्रीं श्रौं सः चंद्रमसे नमः'' का बार-बार जप करना चाहिए। अपने इष्ट देव के मंत्रों का जाप कर सकते हैं।
ये जरूर करें
- चावल, दूध, घी, सफेद वस्त्र, चांदी आदि का दान करना शुभ होता है। इससे चंद्रदोष दूर होता है।
- ग्रहण के समाप्त होने के बाद स्नान करना चाहिए।
- ग्रहण के बाद पूजा स्थल के साथ पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव करना चाहिए।
ये न करें
- गर्भवती महिलाओं को बाहर निकलने से बचना चाहिए। नुकीली चीजों को भी गर्भवती महिलाएं न पकड़ें।
- देवी-देवताओं को स्पर्श नहीं करना चाहिए।
- मंदिरों को बंद रखना चाहिए।
- पूजा स्थल को लाल या पीले रंग के कपड़े से ढक देना चाहिए।
- तुलसी के पौधे, पीपल, बरगद के पेड़ को स्पर्श नहीं करना चाहिए।
- ग्रहण के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करें।
- ग्रहण के दौरान नुकीली वस्तुओं जैसे चाकू, सुई, कैची आदि का प्रयोग न करें।
क्यों जरूरी है
महंत कृष्णदास ने बताया कि ग्रहण में नकारात्मक ऊर्जा बढ़ जाती है। राहु-केतु जैसे ग्रह प्रबल हो जाते हैं। इससे सकारात्मक ऊर्जा प्रभावित होती है। सूतक को शुभ समय नहीं माना जाता, इसलिए पूजा-पाठ इस दौरान नहीं करना चाहिए। मंत्रों का जप और ध्यान करने से इस दौरान शुभ फल मिल सकते हैं।
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