अखिलेश दुबे मामले में हाई कोर्ट सख्त, केडीए के कई अफसरों पर हो सकती है कार्रवाई
अखिलेश दुबे मामले में हाई कोर्ट के आदेश के बाद केडीए के कई अफसर मुश्किल में आ सकते हैं। पार्क की जमीन पर अवैध निर्माण के मामले में कोर्ट ने केडीए से जवाब मांगा है कि पार्क की जमीन निजी कॉलेज को कैसे आवंटित कर दी गई। केडीए सचिव अभय सिंह ने कहा कि कोर्ट के आदेश के तहत कार्रवाई की जाएगी।

जागरण संवाददाता, कानपुर। कानपुर का अधिवक्ता और भूमाफिया अखिलेश दुबे मामले में हाई कोर्ट ने कड़ा रुख दिखाया है। हाई कोर्ट के आदेश के बाद केडीए के अफसर नपेंगे। भूखंड संख्या 559 ब्लाक डब्ल्यू-एक योजना संख्या दो भू-प्रयोग पार्क क्षेत्रफल 1.11 एकड़ यानी 4492.011 वर्गमीटर पर बिना स्वीकृति भवन मानचित्र के अवैध भवन का निर्माण कराया गया।
इस मामले में कोर्ट ने साफ कहा है कि "पार्क" के लिए निर्धारित भूमि एक निजी कालेज को कैसे आवंटित कर दी गई। इस मामले में जमीन आवंटित करने वाले मुख्य अभियंता के खिलाफ कार्रवाई करने के मामले में अफसरों ने कहा कि सेवानिवृत्त हो गए हैं। उक्त आवंटन में केडीए के अन्य अधिकारी भी घेरे में आएंगे।
ये है पूरा मामला
भूखंड संख्या-559, ब्लाक डब्ल्यू-एक, योजना संख्या-दो, जूहीकलां का क्षेत्रफल 1.11 एकड़ है। भूउपयोग 'पार्क दर्शित है। भूखंड संख्या 559 क्षेत्रफल 1860 वर्गमीटर पार्क का आवंटन मेसर्स डा ब्रिज किशोर दुबे मेमोरियल स्कूल को 15 सितंबर 1998 में तत्कालीन मुख्य अभियंता ने अनुरक्षण को 10 वर्ष के लिए आवंटित किया था, जिसकी मियाद वर्ष 2008 में समाप्त होने के पुनः नवीनीकरण केडीए ने नहीं किया। इसमें अनाधिकृत रूप से मकान और अन्य निर्माण हो गए।
मामला सामने आने पर केडीए ने उत्तर प्रदेश नगर नियोजन एवं विकास अधिनियम 1973 की धारा 26 (क) 4 के अन्तर्गत सरकारी भूमि पर अनाधिकृत निर्माण को हटाए जाने के लिए वाद दर्ज कर कारण बताओ नोटिस 19 जुलाई 2025 को दी। चूंकि भूखंड संख्या 559 केडीए द्वारा अर्जित भूमि है और इस भूमि पर निजी संस्थानों व व्यक्तियों द्वारा क्रय विक्रय भी किया गया है। इसके तहत रजिस्ट्री व कय विक्रय की जांच की जा रही है। हालांकि पिछले चार माह से केडीए जांच कर रहा है। केडीए सचिव अभय सिंह ने बताया कि इस मामले में हाई कोर्ट ने आदेश दिए है। उसके तहत कार्रवाई की जाएगी।

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