कानपुर चिड़ियाघर तेंदुओं का पसंदीदा ठिकाना, यूपी में नंबर वन, जानें क्यों भा रहा यहां का माहौल
कानपुर चिड़ियाघर तेंदुओं के लिए उत्तर प्रदेश में सबसे उपयुक्त स्थान बन गया है। यहां का माहौल तेंदुओं को खूब भा रहा है, जिसके चलते यह चिड़ियाघर प्रदेश ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, कानपुर। तेंदुओं के संरक्षण व उनकी देखभाल में चिड़ियाघर प्रदेश में पहले स्थान पर आ गया है। यहां 23 तेंदुए है। इतने तेंदुए प्रदेश के किसी चिड़ियाघर में नहीं है। इनमें से कई को दूसरे जिलों से लाया गया है। इनकी संख्या अधिक होने पर उनके बीच सामंजस्य स्थापित करने का कार्य किया जा रहा है, ताकि वे एक साथ बाड़ों में रह सके। इसके लिए दो से तीन तेंदुओं के अलग-अलग बाड़ों में रखा जा रहा है।
पिछले दो वर्षो में चिड़ियाघर में तेंदुओं की संख्या में वृद्धि हुई है। चिड़ियाघर में जंगल जैसा वातावरण तथा घायल वन्यजीवों के इलाज की बेहतर व्यवस्था होने के कारण वन विभाग अलग-अलग जिलों से तेंदुओं को पकड़ कर यहां भेजता है। यहां तेंदुओं के संरक्षण के साथ उनके रखरखाव को लेकर प्रबंधन भी किया जा रहा है। इनकी संख्या में वृद्धि न हो, इसके लिए नर व मादा को अलग-अलग बाड़ों में रखा गया है। नए व पुराने तेंदुओं के बीच सामंजस्य बनाने के लिए भी कार्य किया जा रहा है। उनको एक बाड़े में रखने से पहले कुछ दिनों तक पहले जाल के बीच आमने सामने रखा जाता था। वे आपस में लड़ेंगे नहीं यह सुनिश्चित होने के बाद उन्हें एक ही बाड़े में भेज दिया जाता है।
तेंदुए के बारे में यह भी जाने
लंबाई
- नरः 203 से 243 सेमी एचबीएल (हेड बाडी लेंथ)
- मादाः 180 से 208 सेमी एचबीएल (हेड बाडी लेंथ)
वजन
- नरः 40 से 77 किलोग्राम
- मादाः 35 से 52 किलोग्राम
जीवन काल
- जंगल मेंः 12 से 17 वर्ष
- चिड़ियाघर मेंः 18 से 20 वर्ष
इन स्थानों पर बसेरा
सदाबहार वन, पर्णपाती वन, जंगलों की बाहरी सीमाओं पर
प्रजनन
87 से 94 दिन का गर्भकाल, एक बार में दो से तीन बच्चों को जन्म
ये विशेष गुण होते
- जीवित रहने के लिए सुनने व सूंघने की क्षमता का उपयोग करता है।
- जबड़े व पंजे शक्तिशाली व मजबूत होते हैं।
- 58 किलोमीटर प्रतिघंटा की गति से दौड़ लगा सकता है।
इन क्षेत्रों में पाया जाता
भारतीय उपमहाद्वीप, दक्षिण पूर्वी व पूर्वी एशिया, पश्चिमी व मध्य एशिया, सहारा

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