कानपुर में अंडरग्राउंड मेट्रो स्टेशनों का बुरा हाल, फर्श पर छत से गिर रहा पानी, रोकने को बाल्टियां रखीं
भूमिगत मेट्रो स्टेशनों के हिस्सों में छत से हो रहा पानी का रिसाव हो रहा है। डी-वाल के जरिए आ रहे पानी को फर्श पर फैलने से रोकने के लिए मेड़ जैसी बनाई गई। इतने अधिक स्थान से पानी टपक टपक रहा कि प्लास्टिक की लगाई गईं बाल्टियां नाकाफी हैं। दो दिन पहले प्रबंध निदेशक इन्हें ठीक करने का निर्देश दे गए थे लेकिन कुछ नहीं हुआ है।

जागरण संवाददाता, कानपुर। भूमिगत मेट्रो स्टेशनों के और भी हिस्सों में छत से हो रहा रिसाव बढ़ गया है। डी-वाल के सहारे आ रहे वर्षा का पानी फर्श पर न फैले, इसके लिए कई स्थानों पर छोटी सी मेड़ जैसी बनाई गई है, वहीं पानी की बूंदें इतनी जगह से टपक रही हैं कि उन्हें रोकने के लिए रखी गई बाल्टियां नाकाफी हैं। दो दिन पहले उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कारपोरेशन के प्रबंध निदेशक सुशील कुमार इसे ठीक करने के निर्देश दे गए थे लेकिन कुछ नहीं हुआ।
चुन्नीगंज से कानपुर सेंट्रल स्टेशन तक दो माह पहले मेट्रो का रूट शुरू हुआ था। बरसात के शुरुआती दौर में तो कुछ नहीं हुआ लेकिन जैसे ही वर्षा लगातार और तेजी से होना शुरू हुई, भूमिगत मेट्रो स्टेशनों में कानकोर्स की छतों से फर्श पर पानी टपकने लगा। मेट्रो अधिकारियों ने इसे देखा तो पाया कि डी-वाल (किनारे बनी दीवार) के जरिए पानी नीचे आ रहा है। जैसे-जैसे दिन गुजर रहे हैं, दीवारों पर सीलन साफ नजर आने लगी है।
कानकोर्स पर कुछ स्थानों पर जहां पानी की निकासी के लिए नालियां हैं, वहां हल्की सीमेंट से हल्की की मेड़ बनाकर पानी को बाकी फर्श तक पहुंचने से रोका जा रहा है। कानकोर्स पर यह व्यवस्था कई जगह की गई है। इसके बाद भी फर्श पर बहता पानी लिफ्ट से उतरते ही दिखने लगता है। साथ ही डी-वाल से नीचे आ रहा पानी कानकोर्स की छत पर लगे एसी सिस्टम को दिखने से रोकने के लिए जो लोहे का जाल लगाया गया है, उसके सहारे बूंदों के रूप में पूरे कानकोर्स पर जगह जगह टपक रहा है।
गुरुवार को वर्षा न होने के बाद भी स्टेशनों के कानकोर्स की छत से पानी टपक रहा था। साथ ही फर्श पर भी पानी बह रहा था। हालांकि मेट्रो के जनसंपर्क विभाग का कहना है कि मूसलाधार बारिश में ऐसा होना असाधारण नहीं है लेकिन सामान्य परिस्थितियों में पानी आने की घटना प्रकाश में नहीं आई है। मेट्रो के जनसंपर्क विभाग का यह बयान उस समय है जब उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कारपोरेशन के प्रबंध निदेशक के निरीक्षण के दौरान ही डी-वाल से पानी रिसकर नीचे आ रहा था और उन्होंने साफ कहा था कि जब इस रूट पर ट्रेन चले तो यहां इस तरह पानी नहीं आना चाहिए। उन्होंने चुन्नीगंज से कानपुर सेंट्रल तक के रूट में भी डी-वाल से नीचे आ रहे रिसाव को ठीक करने के लिए कहा था।
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