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    UP News: कानपुर में दंगे के फर्जी मुकदमे में 32 निर्दोष गए थे जेल, मुकदमा वापस लेगी सरकार

    कानपुर में 2015 के दंगों के बाद दर्ज फर्जी मुकदमे को वापस लेने का फैसला यूपी सरकार ने किया है। तत्कालीन सपा विधायक इरफान सोलंकी पर आरोप है कि उन्होंने 32 निर्दोष लोगों को जेल भिजवाया था। पीड़ितों की शिकायत पर भाजपा नेताओं ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक मामला पहुंचाया जिसके बाद सरकार ने मुकदमा वापस लेने का आदेश दिया है।

    By Jagran News Edited By: Vivek Shukla Updated: Thu, 10 Oct 2024 07:20 AM (IST)
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    कानपुर में जुलूस के दौरान मचा था बवाल। जागरण

     जागरण संवाददाता, कानपुर। सपा शासनकाल में दंगे के बाद दर्ज हुए मुकदमे को भाजपा सरकार ने वापस लेने का निर्णय लिया है। पीड़ितों का आरोप था कि तत्कालीन सपा विधायक इरफान सोलंकी ने फर्जी मुकदमा लिखाकर 32 निर्दोष लोगों को जेल भिजवाया था।

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    यह मुकदमा खत्म करने के लिए विशेष सचिव मुकेश कुमार सिंह ने जिलाधिकारी को पत्र जारी किया है। सीसामऊ विधानसभा क्षेत्र स्थित दर्शनपुरवा में वर्ष 2015 में मुहर्रम जुलूस के दौरान कुछ युवकों ने हिंदू देवी-देवताओं के चित्रों का अपमान किया था, जिसके बाद शहर में दंगा भड़क गया था।

    आरोप है कि इस दौरान तत्कालीन विधायक इरफान सोलंकी ने फर्जी मुकदमा दर्ज करवाकर दर्शनपुरवा के 32 लोगों को जेल भिजवा दिया था। पीड़ितों की बात को भाजपा उत्तर जिलाध्यक्ष दीपू पांडेय और भाजपा नेता सुरेश खन्ना ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक पहुंचाई। साथ ही निर्दोष लोगों पर मुकदमे की वापसी की बात रखी, जिसका संज्ञान लेकर सरकार ने मुकदमे को वापस लेने का आदेश जारी किया।

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    क्‍या था पूरा मामला

    बता दें कि 23 अक्‍टूबर 2015 को कानपुर के दर्शनपुरवा में अराजकतत्‍वों ने एक दुकान पर लगे धार्मिक पोस्‍टर को फाड़ दिया था। इसकी जानकारी होने पर दो समुदाया आमने सामने आए थे। पुलिस अध‍िकारियों की इसकी सूचना लगते ही हड़कंप मच गया था। वे आनन-फानन मौके पर पहुंचकर माहौल को शांत कराया लेकिन अगले ही दिन हिंदूवादी संगठनों ने दर्शनपुरवा में कालपी रोड पर हंगामा कर दिया।

    अध‍िकारियों को एक बार फ‍िर दौड़ लगानी पड़ी। उनके समझाने पर प्रदर्शनकारी दूसरे पक्ष से माफी मंगवाने पर अड़ गए। मौके पर तत्‍कालीन आईजी जोन आशुतोष पांडेय और तत्‍कालीन एडीएम सिटी अविनाश सिंह ने किसी तरह से दूसरे पक्ष को माफी मांगने पर राजी करा लिए। उस समय तय हुआ कि प्रदर्शकारियों में से कुछ लोग दूसरे पक्ष के पास जाएंगे और वहीं दूसरा पक्ष लिखित में माफी मांगेगा।

    उस समय कौशल राज शर्मा डीएम और शलभ माथुर एसएसपी थे। उन लोगों ने माफीनाम सुनाया तो दूसरे पक्ष के लोग राजी हो गए कि कोई जुलूस कार्यक्रम नहीं होगा। अब हालात काबू में होता दिख रहा था कि दूसरे पक्ष से तत्‍कालीन सपा विधायक इरफान सोलंकी पहुंच गए। वे जुलूस निकालने पर अड़ गए।

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    प्रशासन बीच का रास्‍ता अपनाते हुए लोडर से ताजिया जुलूस निकलवाया लेकिन वे तैयार नहीं हुए। ऐसे में प्रशासन विधायक के दबाव में आकर जुलूस को लेकर हां बोल दिया। इस बीच जुलूस की भीड़ में शामिल कुछ लोगों ने नारेबाजी कर दी, जिससे दोनों पक्षों में पथराव हो गया।

    इस बीच अराजकतत्‍वों ने फायरिंग की और बम भी चलाएं। कासगंज आने वाली ट्रेनों पर भी पथराव किया गया, जिससे ट्रेन में बैठे यात्री घायल हो गए। पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागकर हवाई फायरिंग से भीड़ को भगाया। घटना में पुलिस कर्मियों को भी गोली लगी थी।